देहरादून: देश की आजादी की 77वीं वर्षगांठ के अवसर पर जहाँ एक ओर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत पूरे देश में तिरंगा फहराया गया, तो वहीं दूसरी उत्तराखंड का एक लाल तिरंगा में लिपट कर आया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में डोडा के अस्सर इलाके में स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए उत्तराखंड के कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए। 48 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन दीपक सिंह देहरादून के कुआंवाला के रहने वाले थे।
25 वर्षीय शहीद कैप्टेन दीपक का पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से जम्मू से आज दोपहर करीब एक बजे देहरादून एयरपोर्ट पर लाया गया। शहीद दीपक को मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विधायक और बलिदानी के पिता महेश सिंह ने श्रद्धांजलि दी। जिसके बाद कैप्टन दीपक सिंह के पार्थिव शरीर को सेना के ट्रक द्वारा देहरादून ले जाया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून के कैप्टन दीपक सिंह के शहीद होने पर गहरा दुख प्रकट किया। कैप्टन दीपक सिंह का पार्थिव शरीर दून लाए जाने पर वह श्रद्धांजिल देने पहुंचे। कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैन्य भूमि उत्तराखंड के वीर सपूत कैप्टन दीपक सिंह जी को कोटिशः नमन। मां भारती की सेवा में आपका ये बलिदान सदैव युवाओं में राष्ट्रभक्ति का संचार करता रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान दे और शोक संतप्त परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करे।
वीरगति को प्राप्त हुए कैप्टन दीपक सिंह को पुलिस मुख्यालय में श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान डीजीपी अभिनव कुमार और मुख्यालय का स्टाफ शामिल रहा। डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि कैप्टन दीपक सिंह का यह सर्वोच्च बलिदान देश ही नहीं उत्तराखंड पुलिस परिवार के लिए भी अपूरणीय क्षति है। इस दुःखद क्षण में समस्त उत्तराखंड पुलिस परिवार कैप्टन दीपक सिंह के पिता महेश सिंह के साथ खड़ा है। महेश सिंह डीजीपी के गोपनीय सहायक के रूप में नियुक्त रहे। 30 अप्रैल, 2024 को वे सेवानिवृत्ति हुए हैं।
कैप्टन दीपक सिंह के घर बीते चार महीनों से खुशियों का माहौल था। चार महीने पहले उनकी एक बहन की शादी हुई थी। शादी में शामिल होने के लिए भाई दीपक सिंह भी देहरादून आए थे।