Vidya-Mahtolia

उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान दिल्ली व हिमालय विरासत न्यास द्वारा रविवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में हल्द्वानी की विद्या महतोलिया को वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्हें कुसुमकांता पोखरियाल स्मृति न्यास के सहयोग से 21000 रूपये की धनराशि पुरस्कार स्वरुप भेंट की गई।

हल्द्वानी, नैनीताल की रहने वाली विद्या महतोलिया अपनी घर गृहस्थी के साथ विगत 25 वर्षों से सामाजिक कार्यों में जुड़ी हुई हैं। वह लम्बे समय से पहाड़ में नशा विरोधी आंदोलन से लेकर तमाम समाजिक बुराईयों के खिलाफ लगातार आवाज उठाती रही हैं। विद्या महतोलिया ने महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने हेतु निःशुल्क सिलाई, कड़ाई, हस्त निर्मित वस्तुओं का उत्पादन आदि के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोला है। इसके अलावा गरीब असहाय बच्चों को पाठ्य सामाग्री से लेकर स्कूली यूनिफार्म तक में सहायता करती हैं।

उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान दिल्ली द्वारा पिछले कुछ वर्षों से उत्तराखंड मुख्य रूप से पहाड़ की विषम परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर समाज के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य करने वाली महिलाओं को वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष इस पुरस्कार हेतु संस्थान के पास कुल 8 प्रविष्ठियां प्राप्त हुई। जिनका सम्पूर्ण अवलोकन करने के बाद ही हल्द्वानी (नैनीताल) की समाज सेविका विद्या महतोलिया को उनके द्वारा किये गए सामाजिक कार्यों को देखते हुए इस सम्मान के लिए उपयुक्त पाया गया।

विद्या महतोलिया को यह सम्मान पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की अस्वस्था के चलते उनके नई दिल्ली स्थित आवास में उनके हाथों प्रदान किया गया। इस मौके पर सम्मान समारोह में मुख्य रूप से हिमालय विरासत न्यास से जुडी विदुषी पोखरियाल, ट्रस्टी आशना नेगी, समाजसेवी संजय शर्मा दरमोडा, उत्तराखंड फिल्म संस्थान के कुलदीप भंडारी, साहित्यकार डॉ. हरी सुमन बिष्ट, नाट्यकार एवं वृत्तचित्र निर्माता हरी सेमवाल, रंगकर्मी दर्शन सिंह रावत, संस्कृति कर्मी एवं उद्घोषक बृज मोहन शर्मा, डॉ. बैचैन कंडियाल, संस्थान की अध्यक्षा संयोगिता ध्यानी, प्रशासक प्रेम सिंह रावत, संयोजक एवं अध्यक्ष चयन समिति बी.लाल शास्त्री, कार्यक्रम सचिव अरुण डोभाल, सलाहकार सुमित्रा किशोर, प्रसिद्ध रंगकर्मी केएन पांडेय, उत्तराखंडी फिल्म नायिका कुसुम बिष्ट, गायिका सुनीता बेलवाल, प्रसिद्ध रंगकर्मी कुसुम चौहान, संस्थान के सगीत निर्देशक कृपाल सिंह रावत, कलाकार महेंद्र रावत एवं संस्थान से जुड़े अनेक सदस्यगणों के अलावा समाज से जुड़े गणमान्य व्यक्ति, लेखक, कवि, पत्रकार मौजूद रहे।

विद्या महतोलिया को निम्लिखित कार्यों को देखते हुए दिया गया यह सम्मान  

  1. शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण पर 25 वर्षों से वह कार्य कर रही हैं, जो महत्वपूर्ण है।
  2. अपने कार्यों को विधिवत अंजाम देने के लिए सन 2003 में उन्होंने “सौहार्द जन समिति” का गठन किया जिसके माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कार्य शुरू किए। जैसे प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत, सिलाई कढ़ाई, हस्त निर्मित वस्तुओं का उत्पादन, स्वयं सहायता समूह के द्वारा उन्हें जोड़ना, छोटी छोटी बचत करवाना, जो समय पर उनके काम आ सके। साथ ही विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन आदि बनाकर महिलाओं की मदद करने के सुन्दर प्रयास उनके रहे।
  3. नशा जो पहाड़ों को बर्बाद कर रहा उसके खिलाफ आंदोलन (1995) में वह सक्रिय रहीं।
  4. अपने एवं संस्था के स्तर पर गरीब एवं असहायों की मदद,बच्चों को शिक्षा सामग्री पहुंचाना, बच्चों में विभिन्न प्रतियोगिताओं के द्वारा उन्हें पर्यावरण एवं स्वच्छता के प्रति सचेत करना महत्वपूर्ण रहा।
  5. साहित्य एवं कविताओं की रचना द्वारा भी विद्या ने समाज में जागरूकता लाने का प्रयास किया। स्वच्छता अभियान पर वह तबसे कार्य कर रही हैं जब देश में यह अभियान इतने जोरों पर नहीं था। अपनी टीम के साथ स्वरचित गीत के माध्यम से रैली निकालकर, कई स्थानों में कूड़ादान लगवाकर स्वच्छता के प्रति लोगों को उन्होंने जागरूक किया। महत्वपूर्ण है कि इस स्वच्छता अभियान को “विद्या जी का अभियान” नाम से कक्षा छठी, सांतवी और आठवीं में पढ़ाया भी जाता है।
  6. कोरोना काल में भी हस्तनिर्मित मास्क, सेनेटाइजर आदि वितरित कर इस महामारी काल में अपना योगदान दिया।
  7. उनके अधिकतम कार्यों के प्रमाणपत्र एवं फोटोग्राफ भी उनके जीवनवृत्त के साथ संलग्न हैं जो कि उनके कार्यों को एक ठोस प्रमाणिकता देते हैं।
  8. जब दूरभाष पर विद्या से उनके कार्यों के बारे में संवाद किया तो उनके, अपने कार्यों के प्रति समर्पित भाव, जज्बे और दृढ़ निश्चय से सब कुछ स्पष्ट हो गया कि अपनी घर गृहस्थी के साथ किस प्रकार वह विगत 25 वर्षों से सामाजिक कार्यों में जुड़ी हुई हैं। और प्रत्यक्ष रूप से अपनी भागीदारी निभा रही हैं। जो अतुलनीय है और उन्हें इस सम्मान का असली हकदार बनाता है। उन्होंने बताया कि शादी के बाद ही अपने कई दायित्वों के निर्वहन के साथ “उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी” से 2019 में “मास्टर ऑफ सोशल वर्क” की डिग्री उन्होंने प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने घूम-घूमकर आंकड़े इकट्ठे कर बहुत मेहनत की और प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया।

उक्त बिन्दुओं पर गौर करते हुए निर्णायक मण्डल द्वारा विद्या महतोलिया को वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान पुरस्कार 2021 के लिए चुना गया।

वीरांगना तीलू रौतेली पुरुस्कार से सम्मानित होने पर विद्या महतोलिया ने उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान दिल्ली व हिमालय विरासत न्यास का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि शादी के बाद ही मैंने अपने कई दायित्वों का निर्वहन करने के साथ-साथ मास्टर ऑफ सोशल वर्क में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी से 2019 में डिग्री प्राप्त की। जो मेरे लिए सामाजिक कार्यों को करने में काफी मदगार साबित हुई।