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कल्जीखाल : यूँ तो पहाड़ के ज्यादातर गांवों में गर्मियों का सीजन शुरू होते ही पीने के पानी के लिए मारामारी शुरू हो जाती हैं। इसका मुख्य कारण यह हैं कि गांवों में जो पीने का पानी आता है वह प्राकृतिक श्रोतों से आता है। और गर्मियां आते आते यहाँ के प्राकृतिक श्रोत सूखने लगते हैं। साथ ही गर्मियों की छुट्टियों में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी भी गाँव पहुँच जाते हैं, जिस कारण पानी की खपत भी बढ़ जाती है। हालाँकि अब ज्यादातर गांवों में सरकार द्वारा पेयजल योजना के तहत पाइपलाइन द्वारा नदी, नयारों से पीने का पानी पहुँचाया जा चुका है। परन्तु कई किलोमीटर दूर से आ रही इन पाइपलाइनों के सही तरह से रख रखाव न होने के कारण अक्सर पाइपलाइन जगह-जगह टूटी पड़ी रहती हैं। जिससे कि ग्रामीणों को कई कई दिन तक पीने का पानी नसीब नहीं हो पाता है।

पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ऐसे ही एक गाँव कारगिल शहीद धर्म सिंह रावत का गाँव टंगरोली है। जहाँ इन दिनों पीने के पानी की जबरदस्त किल्लत हो गई है। कोरोना महामारी के चलते गाँव पुहुँचे कई प्रवासी पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। हमारे संवाददाता जगमोहन डांगी ने जब टंगरोली गाँव का दौरा किया तो ग्रामीणों ने बताया कि गाँव में प्राकृतिक श्रोत से जो पानी आ रहा था, वह लगभग सूख गया है। हालाँकि अभी भी पूरा गाँव इसी पानी पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि दो घंटे लाइन में लगने के बाद नंबर आता है और उसमे भी एक परिवार को केवल 2 बर्तन पानी ही मिल पाता है। क्योंकि उसके बाद पानी की टंकी को बंद कर दिया जाता है ताकि दूसरे दिन के लिए पानी जमा हो सके। जब ग्रामीणों से पूछा गया कि क्या कारगिल शहीद धर्म सिंह रावत के गाँव में पाइपलाइन से पानी नहीं आता है, तो उनका कहना था कि ज्वाल्पा पम्पिंग योजना के तहत यहाँ भी पाइपलाइन बिछी हुई है। टैंक बना हुआ है, पानी के स्टैंड लगे हुए हैं। परन्तु नल सूखे पड़े रहते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि यह पाइपलाइन ज्वाल्पा से होकर कई गांवों को पानी की सप्लाई देते हुए यहाँ तक पहुंची है। और यहाँ पहुँचने से पहले ही पानी समाप्त हो जाता है। पानी की किल्लत को लेकर ग्रामीणों खासकर दिल्ली/एनसीआर से लौटे प्रवासियों में खासा रोष है। उनका कहना है कि जब गाँव में पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं है तो फिर हम लोग यहाँ खेती बाड़ी या स्वरोजगार से जुड़े व्यवसाय के बारे में कैसे सोच सकते हैं। इन्ही मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते पहले भी लोग पलायन को मजबूर हुए थे, और जब वापस लौटे हैं तो भी यही हाल हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य संजय डबराल से इस समस्या को शासन/प्रशासन तक पहुँचाने की बात कही। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्दी ही गाँव में पीने के पानी की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो इसके लिए वे आन्दोलन करने पर मजबूर हो जायेंगे। इस मौके पर टंगरोली की ग्रामप्रधान संतोषी देवी, उप प्रधान जय रावत, विमल कुमार (छात्र संघ उपाध्यक्ष), दीपक कुमार (प्रवासी) सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।

देवभूमि संवाद के लिए टंगरोली (कल्जीखाल) से जगमोहन डांगी एवं विक्रम पटवाल की रिपोर्ट।