पौड़ी : पौड़ी गढ़वाल के पाबौ विकासखण्ड के अंतर्गत भट्टी गांव, कुलमोरी, सपलोड़ी, ग्वाड़ीगांव तथा सरणा आदि गांवों के ग्रामीण बीते कुछ दिनों से आदमखोर गुलदार के भय से लगातार दहशत के साये में जी रहे हैं। बता दें कि इस क्षेत्र में बीते एक महीने में गुलदार द्वारा इंसानों पर हमला करने की कई घटनायें हो चुकी है। बीते 2 जून को आदमखोर गुलदार द्वारा भट्टी गांव में एक 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला को उनके घर के पास ही निवाला बना दिया था। उससे पहले बीते 15 मई को सपलोड़ी गांव में काफल लेने जंगल में गई 45 वर्षीय महिला सुषमा देवी को गुलदार ने निवाला बनाया था। उसके बाद 20 मई को भी गुलदार ने सपलोड़ी पास कुलमोरी गांव में एक महिला पर हमला कर दिया था। क्षेत्र में लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं से आसपास के ग्रामीण दहशत में हैं। हालाँकि प्रशासन द्वारा गुलदार को आदमखोर घोषित कर दिया गया है लेकिन अभी तक गुलदार पकड़ा नहीं जा सका है। जिसे लेकर ग्रामीणों में काफी रोष हैं।
इसी को लेकर मंगलवार को सुशांत कुमार पटनायक मुख्य वन संरक्षक, पौड़ी गढ़वाल ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ गुलदार प्रभावित क्षेत्र में भ्रमण कर स्थानीय ग्रामीणों के साथ बैठक की।
बैठक में गुलदार ग्रस्त गांव के ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य सहित ग्रामवासियों ने मिलकर दो ज्ञापन मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड को दिए। जिसमे नरभक्षी गुलदार को जल्द से जल्द पकड़ने या मारने की मांग के साथ-साथ गांव की सीमा में सोलर लाइट, दिवार और जंगल में घाल बनाने, झाड़ी आदि काटने के लिए मनरेगा योजना, गांव के रास्ते परिवहन निगम की बस रेगुलर चलाने आदि मांगों रखी गयी। सभी अधिकारियों ने गंभीरता से लोगों की बात सुनी और पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस दौरान मुख्य वन संरक्षक सुशील कुमार पटनायक द्वारा ग्राम वासियों की इन ज्वलंत समस्याओं के निराकरण हेतु अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। साथ ही गुलदार ग्रस्त क्षेत्र में सतर्कता बरतने, अपने आसपास की झाड़ी साफ करने, घर के बाहर पर्याप्त रोशनी करने, ईंधन व चारा पत्ती लेने हेतु सामूह में जाने, धारा-पंदेरा में पानी लेने हेतु सामूह में जाने, सूर्योदय से पूर्व एवं सायंकाल में बच्चों, बुजुर्गों को घर से अकेला बाहर न आने देने तथावन विभाग को यथा आवश्यक सहयोग प्रदान करने की भी अपील की गई।
साथ ही वाइल्ड लाइफ से भी अधिकारियों ने ग्राम सभा में आकर जानकारी देने का विश्वास दिलाया। वन अधिकारी ने कहा कि जंगल में सूखी लकड़ी घास के लिए गांव के लोगों को वन विभाग प्रशासन तंग नहीं करेगा।
इसके अलावा पूर्व में गुलदार जलाने की घटना में ग्राम वासियों को बुलाकर विधिवत सुनवाई होगी। ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व सभी ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए क्योंकि गांव में लगातार तीन घटनाएं होने के कारण लोगों में गुस्सा व आक्रोश है। तत्कालीन अधिकारियों ने समय पर कोई एक्शन नहीं लिया। बैठक में दो शूटर भी उपस्थित थे उन्होंने भी अपनी बात रखी और जल्द से जल्द नरभक्षी गुलदार को मारने या पकड़ने का भरोसा दिलाया। गांव में पुलिस व वन विभाग फ्लैग मार्च करेगे। स्कूल जाने वाले बच्चों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। गुलदार पांच किलो मीटर एरिया में सक्रिय है। उनकी आबादी भी बढ़ रही है., इसमें भी अंकुश लगाना जरूरी है। गांव की बाउंड्री में पेड़ की छंटाई वा तार बाड़, सोलर लाइट वा उसका करेंट भी लगाना भी जरूरी। गांव वासियों ने पानी, जल संरक्षण गांव में घर में नलके तो है लेकिन पानी नही आता हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और है। इस कारण दुर पानी लेने जाना पढ़ता है , स्कूल कॉलेज, खेती, बाजार , घर से बाहर निकलने में खतरा बना रहता है। गुलदार अब घर तक आ पहुंचा है। लोगो ने एक स्वर से गुलदार मुक्त घोषित करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों से अनुरोध किया। एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा पौड़ी वन विभाग रेंज में केवल 14 स्टाफ का जिक्र किया और अधिक स्टाफ की मांग की गई । साथ ही गुलदार में चिप आदि लगाने का सुझाव दिया गया। कुल मिलाकर अभी पूरे एरिया में गुलदार का डर व्याप्त है।
ज्ञापन की कॉपी मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्थानीय विधायक एवं कैबिनेट मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत, सांसद पौड़ी गढ़वाल, विधायक पौड़ी, जिला अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भी प्रेषित की गई है।