what is cloud burst

Cloud Bursting: मानसून यानी बरसात का सीजन शुरू होते ही पहाड़ी इलाकों खासकर उत्तराखंड में अक्सर बादल फटने की घटनाएं सुनाई देती हैं। जिसके चलते कई बार काफी ज्यादा जान माल का नुकसान भी होता है। और आपदा जैसे हालात बन जाते हैं। भारत में पहली बार करीब 52 वर्ष पूर्व यानी कि सन 1970 में बादल फटने की घटना रिकॉर्ड की गई थी। हालाँकि पिछले 10-15 वर्षों में बादल फटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। बादल फटने की अब तक की सबसे बड़ी घटना वर्ष 2013 में 16-17 जून को उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में घटी थी। इस घटना में हजारों श्रद्दालुओं एवं आसपास के ग्रामीणों की जान चली गयी थी। कल रात को भी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सहित कई पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनायें हुयी हैं। आज हम आपको बताते हैं कि बादल फटने का मतलब क्या होता है और बाल क्यों फटते हैं।

बादल फटना क्या होता है या बादल फटना किसे कहते हैं? (What is cloud burst)

दरसल बादल फटना एक तकनीकी शब्‍द है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि किसी स्थान पर एक घंटे के दौरान 10 सेंटीमीटर यानी 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती है, तो इसे बादल फटने (cloud burst) की संज्ञा दी जाती है। सामान्य शब्दों में कहें तो किसी जगह पर एक साथ अचानक बहुत अधिक बारिश हो जाना बादल फटना (cloud burst) कहलाता है। यानी बादल फटना बारिश का एक चरम रूप है। बादल फटने के कारण कुछ मिनट में इतनी तेजी बारिश होती है कि कुछ किलोमीटर के हिस्‍से में चंद मिनटों में इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। इसे फ़्लैश फ्लड (flash flood) भी पुकारते हैं। बादल फटने की स्थिति में एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है।

आखिर क्यों फटता है बादल

बादल फटना (cloud burst) एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जो अभी भी मनुष्य के नियंत्रण से बाहर हैं। बादल फटना एक बड़ी प्राकृतिक आपदा मानी जाती है। दरसल आसमान से किसी एक जगह पर तेज बारिश हो जाने को ही बादल फटना कहते हैं। बादल फटने की घटना उस समय होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह एकत्र हो जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं। इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और तेज बारिश होने लगती है। पानी जमीन पर इतनी तेजी से गिरता है कि एक जगह कई लाख लीटर पानी इकट्ठा हो जाता है। और इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है। इस पानी के साथ मिट्टी, मलबा अपने रास्ते में आने वाले पेड़ पौधे, मकान जमीन सब कुछ बहाकर ले जाता है। जिसके चलते कई बार अत्यधिक नुकसान होता है।

बादल फटने की घटनाएं पहाड़ी क्षेत्रों में ही ज्यादा क्यों होती हैं?

अक्सर देखा गया है कि पहाड़ी इलाकों में बादल अधिक फटते हैं। उत्तराखंड की बात करें तो पिछले कुछ वर्षो से यहाँ बादल फटने की घटनाएँ काफी बढ़ चुकी हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्या आपने इस बारे में कभी सोचा है?। दरसल  पानी से भरे बादल जब हवा के साथ आगे बढ़ते हैं तो पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई इसे आगे नहीं बढ़ने देती है। ऐसे में पहाड़ों के बीच फंसते ही बादलों से गर्म हवा के झोंके टकराते हैं, तो वे अपना वजन नही संभाल पाते और अचानक फट जाते हैं। इस स्थिति में एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है। इससे संबंधित क्षेत्र में तेज बहाव के साथ बाढ़ आ जाती है। आकाश से लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से बारिश गिरती है। बादल फटने की घटना अक्सर धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर देखने को मिलती है।