उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अक्सर गर्मियों तो आग लगने की घटनायें सुनाई देती हैं। परन्तु हैरानी की बात है कि सर्दियों के इस मौसम में उत्तराखंड के जिन जंगलों पर बर्फ की सफेद चादर बिछी रहती थी। वहां आजकल जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। इस समय जबकि ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में न्यूनतम तापमान शून्य के आसपास पहुँचा हुआ है। ऐसे में भी पहाड़ी इलाकों में आग लगने की घटनाएँ सामने आ रही है। ऐसी ही एक घटना अल्मोड़ा जिले से सामने आई है। अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक के ठाना मटेना गांव में रविवार को जंगल में लगी आग गांव तक पहुंच गई। आग बुझाते वक्त इस गाँव की सास और बहू बुरी तरह झुलस गईं।
जानकारी के मुताबिक रविवार दोपहर को लमगड़ा ब्लॉक के ठाना मेटना गांव की वन पंचायत में आग लग गई। आग को घरों के आस-पास आते देख ग्रामीण आग बुझाने में जुट गए। हालाँकि काफी मस्सकत के बाद आग पर काबू पा लिया गया, परन्तु इस बीच आग बुझाने गई 60 वर्षीय सरस्वती देवी और उनकी 25 वर्षीय बहू हेमा देवी आग की चपेट में आ गई और बुरी तरह झुलस गई। ग्रामीणों के अनुसार हवा के झोंके से आग की लपटें तेज होने से दोनों महिलाएं चपेट में आ गईं। जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से दोनों महिलाओं को पहले जिला अस्पताल अल्मोड़ा ले जाया गया। जहाँ से प्राथमिक उपचार के बाद डोक्टरों ने उन्हें हल्द्वानी के सुशीला तिवारी (एसटीएच) अस्पताल रेफर कर दिया। एसटीएच के प्लास्टिक सर्जन डॉ. हिमांशु के अनुसार दोनों महिलाओं की हालत गंभीर है। एक महिला 60 और दूसरी 40 फीसदी जली हुई हैं। दोनों को बर्न आईसीयू में रखा गया है।
मसूरी में भी आग से झुलसने से व्यक्ति की हालत गंभीर
मसूरी शहर के कैम्पटी रोड़ छतरी बैंड के पास आग से एक व्यक्ति झुलस गया। आनन-फानन में परिजन 108 सेवा के माध्यम से पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले गए। यहां चिकित्सकों ने पीड़ित का प्राथमिक उपचार करने के बाद उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। डोक्टरों के अनुसार पीड़ित व्यक्ति करीब 50 प्रतिशत से अधिक झुलस गया है। शहर कोतवाल देवेंद्र सिंह असवाल के अनुसार कैम्पटी रोङ के छतरी बैंड के पास एक व्यक्ति ठंड से बचने के लिए आग सेक रहा था। इस बीच आग में मिट्टी का तेल डाल दिया, जिससे आग तेज हो गई और एक व्यक्ति बुरी तरह से झुलस गया।
राज्य में एक अक्टूबर से चार जनवरी तक आग लगने की 236 घटनाएं
उत्तराखंड वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में एक अक्टूबर से चार जनवरी तक आग लगने की 236 घटनाएं हुई हैं। गढ़वाल में रिजर्व फॉरेस्ट में आग की 96 घटनाएं हुई, जबकि सिविल फॉरेस्ट में 51 घटनाएं हुईं। रिजर्व फॉरेस्ट के 129.05 हेक्टेअर समेत कुल 188.4 हेक्टेअर क्षेत्र जंगल की आग में स्वाहा हुए। इसमें पौधरोपण का 4.5 हेक्टेअर शामिल है। 3000 पेड़ों को नुकसान पहुंचा है। 5,11,700 रुपये के नुकसान का आंकलन है।
इसी तरह कुमाऊं में रिजर्व फॉरेस्ट में 64 और सिविल फॉरेस्ट में 25 आग की घटनाएं हुई हैं। यहां रिजर्व फॉरेस्ट के 89.52 हेक्टेअर और सिविल फॉरेस्ट के 44.35 हेक्टेअर क्षेत्र आग की चपेट में आए। पौधरोपण का 5.5 हेक्टेअर क्षेत्र भी जंगल की आग में स्वाहा हुआ। कुमाऊं में आग से 4,60,110 रुपये के नुकसान का आंकलन है।