देहरादून: उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम विकास परियोजना, ग्राम्या-2 के परियोजना क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने के हेतु गठित कृषक संघों का, कृषि व्यवसाय गतिविधियों और वित्तीय प्रबंधन की दिशा में व्यावहारिक क्षमता विकास करने के उद्देश्य से जलागम प्रबंध निदेशालय, देहरादून में पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ जलागम अनुश्रवण एवं विकास परिषद उत्तराखंड के उपाध्यक्ष (कैबिनेट स्तर), ज्योति प्रसाद गैरोला द्वारा किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु देश के प्रतिष्ठित संस्थान “इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद” (इरमा), गुजरात, का सहयोग दिया गया है। कार्यक्रम में ग्राम्या-2 परियोजना के क्षेत्रीय अधिकारियों तथा कृषि व्यवसाय सहयोगी संस्थाओं को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद के विशेषज्ञों द्वारा कृषि व्यवसाय तथा वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य स्तर पर आयोजित हो रहा यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है।
ग्राम्या परियोजना के अन्तर्गत एक मुख्य घटक, पर्वतीय जनपदों के कृषकों के कृषि व्यवसाय सुदृढ़ीकरण से सम्बन्धित है। इस घटक के अन्तर्गत कृषकों को संगठित कर इच्छुक कृषक समूह एवं कृषक संघों का गठन किया गया है। वर्तमान में परियोजना क्षेत्र के 8 जनपदों में 6685 कृषकों के 16 कृषक संघ गठित किये गये है। यद्यपि परियोजना अन्तर्गत कृषकों द्वारा लगभग रू0 200 लाख का व्यवसाय किया गया है तथापि वित्तीय प्रबन्धन के दृष्टिकोण से कृषक संघों का क्षमता विकास किये जाने की आवश्यता है। माह सितम्बर 2019 में सम्पन्न विश्व बैंक की मध्यावधिक समीक्षा में भी परियोजना के विभिन्न घटकों में प्रगति को संतोषजनक स्तर के साथ सराहते हुए, कृषि व्यवसाय को सुदृढ़ करने हेतु विभिन्न आयामों क्षमता विकास किए जाने पर बल दिया है।
इस क्रम में Institute of Rural Management Anand, Gujarat, जो कि कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में देश का प्रतिष्ठित संस्थान है, के सहयोग से ‘‘कृषि व्यवसाय में वित्तीय प्रबन्धन‘‘ विषय पर एक 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जलागम प्रबन्ध निदेशालय में दिनांक 26 से 30 नवबर, 2019 तक आयोजित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में परियोजना क्षेत्र के समस्त सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी व कृषि व्यवसाय सहयोगी संस्थाओं के कार्मिक प्रतिभाग कर रहे हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ज्योति प्रसाद गैरोला, उपाध्यक्ष जलागम अनुश्रवण एवं विकास परिषद उत्तराखंड ने कहा कि परियोजना के अंतर्गत गठित किए जा चुके कृषक संघ, अपने गठन के उद्देश्यों के अनुरूप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं तथा स्थानीय और बाहर की कृषि मंडियों में अपने ताजा कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत उत्पादों विपणन करते हुए बहुत अच्छा लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन परियोजना अवधि की समाप्ति के पश्चात भी कृषक संघ, इसी सक्रियता से कार्य कर सकें, इस दिशा में कार्य करना उचित होगा। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अतिरिक्त भी जलागम प्रबंध निदेशक के साथ निरंतर संबद्धता बनाए रखने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद के विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया।
सचिव एवं मुख्य परियोजना निदेशक जलागम प्रबंधन डॉ. भूपिंदर कौर औलख ने कहा कि जलागम प्रबंधन निदेशालय द्वारा किया जा रहा है आयोजन एक अभिनव प्रयास है जिससे परियोजना क्षेत्र के किसान लाभान्वित होंगे तथा कृषक संघों की आमदनी बढ़ाने तथा समुचित वित्तीय प्रबंधन की दिशा में, आवश्यकतानुसार अन्य विभागों के साथ समन्वय बढ़ाने की संभावनाएं विकसित होंगी।
परियोजना निदेशक, ग्राम्या-2 श्रीमती नीना ग्रेवाल ने कहा कि परियोजना के अंतर्गत अब तक गठित हो चुके तथा निकट भविष्य में घटित होने वाले कृषक संघों की कृषि व्यवसाय गतिविधियों तथा वित्तीय प्रबंधन की व्यावहारिक समझ बढ़ाने के परियोजना पश्चात संघ की गतिविधियों में निरंतरता के लिए, इस क्षेत्र में वृहद अनुभव रखने वाले संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद के विशेषज्ञों के सानिध्य में दिया जा रहा है प्रशिक्षण अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पूर्व भी परियोजना के अधिकारी संस्थान में जाकर संबंधित प्रशिक्षण ले चुके हैं जिसका पर्याप्त लाभ परियोजना के अंतर्गत कृषक संघों की गठन प्रक्रिया में प्राप्त हुआ है। ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम कि इस सत्र में परियोजना निदेशक, आई0एल0एस0पी0 कपिल लाल, डॉ. आर पी कवि, उप निदेशक डॉ. एस के सिंह, डॉ. सिद्धार्थ श्रीवास्तव एवं अजय कुमार, इरमा के प्रो. राकेश अरावतिया, प्रो. श्रीधर विश्वनाथ, प्रो. सुशांत कुमार शर्मा, परियोजना के सभी प्रभागों के परियोजना निदेशक कर्मचारी तथा कंसलटेंट आदि उपस्थित रहे।