gaon-ki-ramleela

कल्जीखाल : अपने पहाड़ की रामलीलाओं की बात ही अलग है। यहाँ की रामलीला में कलाकारों द्वारा चौपाई के माध्यम से आपस में जो संवाद किया जाता है वह अपने आप में दर्शनीय होता है। वैसे तो पूरे देश में रामलीला दशहरे के समय होती है। परन्तु हमारे पहाड़ों में रामलीला दीपावली के बाद यानी नवंबर-दिसंबर तक होती रहती हैं। इसका मूल कारण यह है कि इस समय तक हमारे यहाँ खेती का काम निपट जाता है और रामलीला के मंचन के लिए खेत खाली मिल जाते हैं।

इन दिनों पौड़ी गढ़वाल के पट्टी मनियारस्यूं के ग्राम थापला में ऐतिहासिक रामलीला का मंचन हो रहा है। लगातार 106 वर्ष में प्रवेश हो रही रामलीला के पांचवे दिन मुख्य अतिथि कैप्टन नरेन्द्र सिंह नेगी (ग्राम प्रधान थनुल) ने कहा की इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से अन्य प्रांतों में रोजगार के लिए गए प्रवासियों को गांव आने का अवसर मिलता है। साथ ही प्रवासियों एवं रैवासियों को रामलीलाओं के मंचो पर मेल मिलाप करने और अपनी बोली-भाषा, संस्कृति का ज्ञान होता है। समाजिक कार्यकर्ता एवं ग्रामीण पत्रकार ने बताया की नई पीढ़ी को पुरुखों से रामलीला के रूप में एक बेहतर विरासत में मिला है। इसे संजोए रखने की जरूरत है। साथ नई पीढ़ी को मंच के माध्यम से अपनी प्रतिभा का हुनर दिखाने का भी अवसर मिलता है। इस तरह जो भी प्रवासी बंधु अपनी संस्कृति को बचाने का काम कर रहे हैं, हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। डांगी ने बताया कि उन्होंने हमेशा बिना पक्षपात के हर गांव के छोटी बड़ी खबर को प्रमुखता से समाज के सामने रखा है। रामलीला के साथ-साथ रंगमंच के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी है। राम की भूमिका में मनोज रावत, लक्ष्मण की भूमिका योगेंद्र कुकरेती, सीता कुमारी पिंकी नैथानी, हनुमान सुदेश नैथानी तथा रावण की भूमिका बंटी नैथानी ने निभाई है। इस अवसर पर रामलीला संयोजक सजंय असवाल, निर्देशक अनिल नैथानी, अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, तबला पर नीरज डुकलानं, कैशो पर दीपक नौटियाल रामलीला मंचन का संचालन ग्राम प्रधान राकेश कुमार ने किया।

थापला गांव से देवभूमिसंवाद के लिए जगमोहन डांगी