देहरादून: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सलाहकार और उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं के संपूर्ण समाधान के लिए एक विस्तृत फार्मूला प्रस्तुत किया है। हाल ही में अपनी हल्द्वानी में संपन्न हुई पत्रकार वार्ता में बलूनी ने कहा था कि वह उत्तराखंड की स्वास्थ्य समस्याओं के बड़े समाधान के विषय में होमवर्क कर रहे हैं ताकि राज्य की जनता को प्रदेश में ही उपचार सुलभ हो सके और नागरिकों को उपचार के लिए राज्य से बाहर न जाना पड़े। इस सम्बन्ध में उन्होने आज एक पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा है और जल्द ही इस सम्बन्ध में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करेंगे और स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से इस विषय में चर्चा करेंगे।
उन्होंने इस विषय पर विस्तृत अध्ययन करके एक ब्लूप्रिंट पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा उन्हें उम्मीद है कि आगामी दिनों में उनके प्रस्ताव पर प्रदेशवासियों को सुखद समाचार मिलेगा। बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री का उत्तराखंड से भावात्मक संबंध है, वे देश के ऐसे पहले यशस्वी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सर्वाधिक बार उत्तराखंड की यात्राएं की हैं और उत्तराखंड की सम्पूर्ण समस्याओं से अवगत हैं। “अटल जी ने बनाया है, मोदी जी संवारेंगे” के मन्त्र के साथ भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के विकास के लिए अनवरत सेवारत है।
बलूनी ने कहा अटल जी द्वारा प्रदान ऋषिकेश एम्स अब प्रभावी रूप से सेवाएं देने लगा है, लेकिन उत्तराखंड राज्य की जनता को संपूर्ण उपचार देने के लिए पर्याप्त नहीं है। बलूनी ने प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में कहा है कि ऋषिकेश एम्स का एक अतिरिक्त परिसर कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी में स्थापित किया जाए। इसके साथ ही श्रीनगर गढ़वाल और अल्मोड़ा में एक-एक मेडिकल पीजीआई की स्थापना की जाए। इन चार संस्थानों की स्थापना के बाद उत्तराखंड की जनता को उच्च कोटि का उपचार प्राप्त होगा और राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि में एक ऐतिहासिक कदम होगा और राज्य के लिए वरदान साबित होगा।
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सांसद बलूनी ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री जी जिनका उत्तराखंड के प्रति विशेष स्नेह है, वह राज्य की जनता को निःसन्देह यह सौगात देंगे। उत्तराखंड अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ सामरिक प्रांत है। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार कृत संकल्प है, किंतु इसके संपूर्ण समाधान के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।