उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय के बर्खास्त कर्मचारियों को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश को सही माना है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से हुईं भर्तियों की जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति की रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने बैकडोर से हुईं 250 भर्तियां रद्द कर दी थी। जिनमे 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां शामिल थी। जिसके बाद इन कर्मचरियों को नौकरी से हटा दिया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी द्वारा इन कर्मचारियों को हटाने के फैसले के खिलाफ यह सभी हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट में न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय से हटाए गए कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी थी। एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई में उनकी बर्खास्तगी के आदेश पर अग्रिम सुनवाई तक रोक लगा दी थी। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे।
इस आदेश के खिलाफ सरकार डबल बैंच में गई थी। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को सही माना है। विधानसभा से बर्खास्त किए गए कर्मचारी हाईकोर्ट से बड़ी उम्मीद लगाए हुए थे। लेकिन गुरुवार को उन्हें निराशा हाथ लगी।
करीब 5 महीने पहले उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से की गई भर्तियों को लेकर राज्य में सियासी माहौल को गर्माया हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत तमाम नेताओं ने इन भर्तियों पर सवाल उठाए थे। इस मामले की गूंज दिल्ली तक भी सुनाई दी। जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में बैकडोर से की गई भर्तियों की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी से जांच करके कार्रवाई करने की अपील की थी। करीब 1 महीने की जांच के बाद स्पीकर खंडूड़ी ने इन कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।