श्रीनगर : राजकीय इंटर कॉलेज नवाखाल, ब्लॉक खिर्सू, पौड़ी गढ़वाल में सोमवार को कैरियर गाइडेंस एंड काउंसलिंग फॉर गर्ल्स पर कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रोफेसर डीएस नेगी, पूर्व डीन ऑफ साइंस केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.
प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी एवं एसएमसी अध्यक्ष ताजवर सिंह रावत ने प्रो. नेगी को माल्यार्पण किया. भौतिकी प्रवक्ता अरविंद काला ने प्रो. नेगी का बैच अलंकरण किया. वरिष्ठ प्रवक्ता रमेश डोभाल ने बुके भेंट किया. जबकि जीव विज्ञानं प्रवक्ता टीपी डिमरी एवं स. अ. प्रदीप कुमार ने प्रो. नेगी को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस अवसर पर छात्राओं ने दैणी ह्वे जा हे मां सरस्वती गढ़वाली वंदना का गायन किया. साथ ही मुख्य अतिथि के स्वागत में स्वागत गीत गाया.
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रोफेसर नेगी ने कहा कि वे अपनी रूचि के अनुसार विषय चयनित करें. एवं अपने गुरुजनों से मार्गदर्शन लेकर लक्ष्य निर्धारित कर कठिन परिश्रम करें. उन्होंने कहा कि मन की शक्ति से बढ़कर कुछ भी नहीं है. सबसे पहले आपके मन में विचार आना चाहिए कि मैं कुछ भी कर सकता हूं. मेरे लिए मेरा विद्यालय संसार में शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है. आपके शिक्षक आपके लिए बहुत मेहनत करते हैं एवं माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार आपके लिए प्रयास करते हैं. परंतु यदि आप सफल नहीं हो रहे हैं तो इसका कारण आपकी सोच है. आप अपनी सोच बदलिए, सकारात्मक रहिए एवं अपना शत-प्रतिशत देने का प्रयत्न कीजिए, अवश्य सफलता मिलेगी.
प्रत्येक महान व्यक्ति की सफलता का कारण उसकी द्वारा मन की शक्ति का सदुपयोग किया जाना है. सफलता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए. आत्मविश्वास होना चाहिए. पूर्व ज्ञान का उपयोग होना चाहिए. अच्छी मेहनत एवं पढ़ने के तरीके में बदलाव करना चाहिए. झुककर या लेटकर पढ़ने से समझने की शक्ति कम हो जाती है. अध्ययन करते समय रीढ़ की हड्डी सीधा कर बैठना चाहिए. फिर आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.
विद्यालय के प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी ने प्रोफेसर नेगी द्वारा अपना अमूल्य समय देकर विद्यार्थियों के मार्गदर्शन करने के लिए उनका हार्दिक आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा जिस प्रकार नदियों का पानी अपनी क्षमता होते हुये भी व्यर्थ बहता रहता है. परंतु यदि उसी पानी में से कुछ पानी को नहर द्वारा ऊंचाई से गिरा कर उसकी गतिज ऊर्जा का उपयोग करते हुए बांध की टरबाइन को घुमाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है, उसी प्रकार व्यक्ति प्रतिभावान होते हुई भी यदि लक्ष्य हीन है और सुनियोजित प्रयास नहीं करता है तो असफल हो जाता है. परंतु यदि वही व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित कर कठिन परिश्रम करता है तो उसको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.
शिक्षक जयप्रकाश ने गढ़वाली गीत न दौड़ दौड़ तै उंदरी का बाटा गाकर विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम करने की सलाह दी. इस अवसर पर सहायक अध्यापक राकेश आर्य, प्रवीण बिष्ट, वंदना रावत, मीना बिष्ट, वरिष्ठ सहायक परिमल लिंगवाल, परिचारक शुभम, एसएमसी सदस्य नीरा देवी, दुर्गेश देवी, मंजू देवी, पवित्रा देवी, गोदावरी देवी, बैजंती देवी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी प्रवक्ता आदित्य राम कांडपाल द्वारा किया गया.