Chhawla Gangrape Case: वर्ष 2012 में दिल्ली के नजफ़गढ़ इलाके (छावला) में 19 वर्षीय दामिनी (बदला हुआ नाम) के साथ हुए जघन्य अपराध (गैंगरेप के बाद हत्या) ममाले में आज तक पीड़िता के परिजनों को इंसाफ नहीं मिला है। पीड़िता के परिजन इंसाफ की आस में आज भी दर-दर भटक रहे हैं। अपनी बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध मामले में इंसाफ की आस लेकर आज पीड़िता माता पिता आज एंटी रेप एक्टिविस्ट योगिता भयाना के साथ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचे। छावला गैंगरेप पीड़िता के परिजनों ने देहरादून पहुंचकर मुख्यमंत्री से भी न्याय की गुहार लगाई है।

छावला गैंगरेप में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रही एनजीओ संचालिका योगिता भयाना ने आज उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। योगिता भयाना ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि मृतिका के माता पिता पिछले 11 साल से न्याय के लिए भटक रहे है लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर से निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक मामले में त्वरित कार्यवाही की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को बाईइज्जत बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि अब एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीसन दायर किया जायेगा और फिर से न्याय की की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के एक आरोपी ने बरी होने के बाद आटो चालक की हत्या कर दी और उसके साथ ही अन्य आरोपी खुले आम घूम रहे है।

योगिता भयाना ने कहा कि इस मामले में न्याय की मांग को लेकर 09 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया जायेगा। उन्होंने स्थानयी लोगों से समर्थन की मांग की। उन्होंने इस केस में इंसाफ दिलाने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति, सीजीआई को अधिक से अधिक संख्या में पत्र लिखने की प्रदेशवासियों से अपील की है। बता दें कि ये परिवार मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के धुमाकोट का रहने वाला है।

इसके साथ ही 9 अप्रैल 2023 को शाम 4 बजे अल्मोड़ा भवन में एक बैठक का आयोजन कर किरण नेगी केस के संघर्ष को गति प्रदान करने हेतु एक व्यापक समिति का गठन किया जाएगा।

इस मौके पर मृतिका के पिता और मां ने पूरे प्रकरण के बारे मे विस्तार से अपनी बात रखी। इस अवसर पर संयुक्त नागरिक संगठन की पहल पर विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस दौरान ब्रिगेडियर केजी बहल (अखिल भारतीय उपभोक्ता समिति, मुकेश नारायण शर्मा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण समिति, सुशील त्यागी संयुक्त नागरिक संगठन, प्रदीप कुकरेती उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच, चौधरी, ओमवीर सिंह, राजकीय पैंशनर संगठनके साथ सिख वेलफेयर के आदि मुख्य रूप से किरण के माता पिता व संस्था से मिलकर किरण को न्याय दिलाने को लेकर सभी ने एक सुर में साथ देने की बात कही।

सुशील त्यागी व सेनि. ब्रिगेडियर केजी बहल, सेनि. कर्नल बीएम थापा एवं प्रदीप कुकरेती ने कहा कि सभी संस्थाएं अपने अपने माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री से किरण को न्याय देने हेतु ज्ञापन भेजेंगे। आशा टम्टा और डाक्टर मुकुल शर्मा के साथ मुकेश नारायण शर्मा ने कहा सभी संस्थाएं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजकर व व्यक्तिगत प्रयास से माता पिता की सुरक्षा दिलाने के साथ ही परिवार के बच्चों को रोजगार व न्याय दिलाने के लिए अपील करेंगें।

गौरतलब है कि दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले में दायर की गयी पुनर्विचार याचिका को पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा ख़ारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को बरी करने वाले आदेश को ही सही माना है और इस केस पर दोबारा विचार करने से मना कर दिया है।

क्या थी यह जघन्य अपराध वाली घटना

गौरतलब है कि दिल्ली के छावला इलाके में 9 फरवरी 2012 को एक उत्तराखंड मूल की एक19 वर्षीय युवती (नजफ़गढ़ की दामिनी) का तीन लड़कों ने अपहरण करके सामूहिक बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी थी। तीन दिन बाद युवती का क्षत-विक्षत शव हरियाणा के खेतों में मिला था। युवती गुरूग्राम साइबर सिटी इलाके में जॉब करती थी। इस मामले में दिल्ली की एक निचली अदालत ने तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। जिसके बाद आरोपियों ने सजा के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। पिछले साल 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पुलिस की जांच और ट्रायल पर सवाल उठाते हुए संदेह का लाभ देते हुए दोषियों को बरी कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में निचली अदालत और उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर तीनों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

जिसके बाद दिल्ली पुलिस और पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर बरी करने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है उपलब्ध रिकॉर्ड को देखने पर हमें अपने फैसले में कोई खामी नजर नहीं आती। लिहाजा पुर्नविचार की मांग वाली अर्जियों को खारिज किया जाता है। अब एक बार फिर से इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीसन दायर किया जायेगा।