Drug Racket in Greater Noida : गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में चल रही ड्रग्स की अवैध फैक्टरी का भंडाफोड़ करते हुए अंतरराष्ट्रीय गैंग के 9 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान एनुडम इमैनुअल, अजोकू उबाका, डैमियल अजूह, द्रामेमोम्ड, लेवी उजोचुक्व, जैकब एमेफिएले, कोफी, चिडी इजीअग्वा और अजोकू क्लेची के रूप में हुई है। सभी आरोपी अफ्रीकी देश नाईजीरिया के रहने वाले हैं.
पुलिस को ग्रेटर नोएडा में किराये के मकान में चल रही फैक्टरी से भारी मात्रा में मैथाफीटामाइन, ड्रग्स बनाने के उपकरण व केमिकल बरामद हुआ है। बरामद ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग तीन सौ करोड़ रुपए आंकी गई है। पुलिस इस अंतरराष्ट्रीय गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटा रही है। गौतमबुद्धनगर की पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने बताया कि ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत गोपनीय सूचना मिली थी कि ग्रेटर नोएडा में रह रहे कुछ विदेशी नागरिक ड्रग्स के अवैध कारोबार से जुड़े हैं। इस पर पुलिस टीम ने गहनता के साथ जांच पड़ताल कर रही थी। आरोपियों के संबंध में खास इनपुट मिलने पर बुधवार को स्वाट टीम, बीटा-टू व दादरी कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम ने डाढा गोल चक्कर से नौ विदेशी नागरिकों को 46 किलो मैथाफीटामाइन/ एमडीएमए/मैथ ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया।
विदेशी अभियुक्तों की पहचान अनुडुम इमानुएल, अजोकु उबाका, डेनियल अजुह,डामेमोमद, लेवी उजोचुकव, जैकब एमिफिले, कोफी, चिडी इजिअगवा व अजोकू कलेची के रूप में हुई है। सभी विदेशी अभियुक्त मूलत: नाइजीरिया अफ्रीका के रहने वाले हैं। सख्ती से पूछताछ करने पर अभियुक्तों द्वारा सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र के सेक्टर थीटा-2 स्थित एक तीन मंजिला मकान में ड्रग्स की अवैध फैक्टरी संचालित किए जाने की जानकारी दी गई।
पुलिस ने टीम ने उपरोक्त मकान पर दबिश देकर वहां से भारी मात्रा में कैमिकल बरामद किया गया, जिससे लगभग 100 करोड़ रुपए की ड्रग्स बन सकती है। अभियुक्तों के कब्जे से कुल 300 करोड़ रुपए की ड्रग्स, कार व चार मोबाइल बरामद हुआ है। ड्रग्स की अवैध फैक्टरी किराये के मकान में चल रही थी। पुलिस आयुक्त ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी की जा रही है। इस संबंध में नारकोटिक्स डिपार्टमेंट, विभिन्न जांच एजेंसियों व अफ्रीकी दूतावास को सूचना दे दी गई है।
विदेशी नागरिकों के लिए मादक पदार्थ की तस्करी का सबसे सुरक्षित स्थान बना ग्रेटर नोएडा
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा औद्योगिक शहर ग्रेटर नोएडा विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही विदेशी नागरिकों के लिए ड्रग्स (मादक पदार्थ) की तस्करी करने का सुरक्षित स्थान भी बन गया है। यहां अफ्रीकी मूल के नौ नागरिकों का तीन सौ करोड़ रुपए की ड्रग्स के साथ पकड़ा जाना इसका ताजा उदाहरण है। इससे पहले भी ड्रग्स व अन्य अवैध गतिविधियों में विदेशी नागरिकों की संलिप्तता पाई जा चुकी है। इसके बाद भी पुलिस-प्रशासन जिले में रह रहे विदेशी नागरिकों के सत्यापन को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। जब कोई बड़ा प्रकरण सामने आता है तो कुछ समय के लिए सत्यापन अभियान चलाकर पुलिस प्रशासन अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है।
पुलिस गिरफ्त में आए नौ विदेशी नागरिकों द्वारा ड्रग्स की अवैध फैक्टरी संचालित करना यह दर्शाता है कि उनमें पुलिस प्रशासन का खौफ नहीं है। बताया जाता है कि ड्रग्स की अवैध फैक्टरी पिछले लंबे समय से संचालित की जा रही थी,लेकिन पुलिस को भनक नहीं लगी। अभियुक्तों से पूछताछ में इस गैंग का नेटवर्क विदेशों तक फैले होने के संकेत मिले हैं। नॉर्थ इंडिया सहित किन- किन देशों को यहां से ड्रग्स की सप्लाई की जाती थी, पुलिस इसकी छानबीन कर रही है। पु
लिस अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुई है, उससे तो यही लग रहा है कि इस गैंग के सदस्यों की संख्या अच्छी खासी है। जांच में पाया गया है कि क्रिप्टो करेंसी (एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम) के माध्यम से कारोबार किया जा रहा था। ज्ञात हो कि अभी कुछ माह पहले ही स्वॉट टीम व नॉलेज पार्क कोतवाली पुलिस ने विदेशी मूल के तीन ड्रग्स तस्करों को गिरफ्तार किया था,जो कैलिफोर्निया से महंगी ड्रग्स मंगाकर दिल्ली एनसीआर के ग्रेटर नोएडा, नोएडा व अन्य शहरों में स्थित होटलों में उसकी सप्लाई करते थे। दो साल पहले भी नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने ड्रग्स की बड़ी खेप के साथ विदेशी नागरिकों को ग्रेटर नोएडा से पकड़ा था। पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह का कहना है कि ड्रग्स के अवैध कारोबार से जुड़े तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने का काम किया जाएगा। इस अंतरराष्ट्रीय गैंग के बारे में गहनता से जांच की जा रही है।
कम बसावट वाले सेक्टरों में मकान लेकर अवैध गतिविधियों को देते हैं अंजाम
पढ़ाई व टूरिस्ट वीजा लेकर यहां आने वाले अफ्रीकी मूल के विदेशी नागरिकों की अवैध गतिविधियों में सबसे ज्यादा संलिप्तता पाई जाती है। ऐसा कई बार हो चुका है। मादक पदार्थ व अन्य अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए शहर के कम बजावट वाले सेक्टरों में किराये पर मकान लेते हैं। लोगों का आवागमन कम होने की वजह से इनकी गतिविधियों पर किसी की नजर नहीं पड़ती है। दूसरे मोटा किराया मिलने की लालच में मकान मालिक भी सत्यापन कराने की जहमत नहीं उठाते हैं। सत्यापन अभियान को लगातार चलाकर ही इस तरह की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।