Gandhi Jayanti: दुबला पतला हड्डी का ढांचा मात्र शरीर, घुटनों तक खादी धोती, कन्धों पर चादर, हाथ में लाठी, यह था आधुनिक विश्व का युग पुरुष। भारत ने उसे बापू कहकर पुकारा, संसार ने उसकी महामानव के रुप में वन्दना की, यह गौतम की भांति हृदय में अनंत करुणा लेकर आया। ईशा की भांति मानवीय पशुता का शिकार होकर चला गया। हम आज भी उन्हें महात्मा गांधी के नाम से स्नरण करते हैं।
महात्मा गांधी के अन्दर निर्भीकता, आत्मविश्वास का गुण कूट-कूट कर भरा हुआ था। गांधी जी किसी को भी देखकर नहीं घबराते थे। धैर्य का भाव इनके अन्दर बना रहा। इनका जीवन बडा ही सादगी पूर्ण था।
1915 में गुरु रवीन्द्र नाथ टैगोर ने सबसे पहले गांधी को महात्मा कहा था। जबकि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी. 4 जून 1944 को 1944 में रेडियो रंगून में सम्बोधन के दौरान सुभाष चन्द्र बोस ने गांधी को राष्ट्रपिता कहा था। बाद में पूरा देश गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर पुकारने लगा। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे’।
2 अक्टूबर सम्पूर्ण देश में महात्मा गांधी का जन्म दिवस गांधी जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी ने अंहिसा आंदोलन चलाया था। इस कारण विश्वस्तर पर उनके प्रति सम्मान व्क्तय करते हुये इस दिन को विश्व अंहिसा दिवस के रुप मे भी मनाया जाता है। गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ जीवनभर संघर्ष किया। ‘गांधी जी का मानना था कि अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है, जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना संभव है’। महात्मा गांधी शांतिप्रिय थे और उन्होंने हमेशा अहिंसा को सबसे पहला धर्म बताया था। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसक आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 गुजरात के निकट पोरबन्दर के हिन्दू परिवार में हु आ था। पिता करम चन्द्र गांधी और माता पुतली बाई द्वारा इनका नाम मोहन दास रखा। इनका पूरा नाम मोहन दास करम चन्द गांधी था। महात्मा गांथी जी की मां बडी ही धार्मिक बिचारों की महिला थी। गांधी जी पर जैन दर्शन का भी विशिष्ट प्रभाव था। यही कारण है कि इनके दर्शन में अंहिसा आत्म शुद्वि और शाकाहार को मुख्य रूप से स्थान दिया गया।
अपने विद्यार्थी जीवन में गांधी जी यद्यपि होनहार छात्र नहीं थे, लेकिन अनवरत मेहनत करने की आदत से अच्छे छात्रों के क्रम में अपना स्थान निर्धारित कर दिया था। बचपन में कुसंगति के कारण गांथी जी ने धूम्रपान और मांसाहार का भी सेवन किया। समझ विकसित होने पर इन सभी चीजों को जीवन में कभी न दोहराने का दृढ निश्चय किया। गांथी जी ने सत्य हरीश्चन्द्र, मातृ पितृ भक्ति श्रवण कुमार के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया।
महात्मा गांधी का विवाह 13 वर्ष की आयू में कस्तुरबा से हु आ। विवाह के पश्चात स्कूल का जीवन समाप्त होने पर मुम्बई के एक बिद्यालय में अध्ययन करने के बाद लन्दन चले गये। आगे की शिक्षा लन्दन से हुयी। तीन वर्ष की शिक्षा के बाद वे वैरिस्टर बने। इसके बाद गांधी के जीवन की महत्व पूर्ण यात्रा शुरु हुयी, जो सत्याग्रह अंहिसा आन्दोलन से शुरु होकर उनके राष्ट्र पिता बनने तक जीवन पर्यन्त चलती रही।
गांधी जी ने अहमदाबाद के पास साबरमती नदी के तट पर आश्रम की स्थापना की। यह गांधी जी की तपोभूमि थी। यहीं से साबरमती के सन्त ने करोडो जनता का मार्ग दर्शन करते हुये स्वतन्त्रता आन्दोलन की सत्ता अपने हाथ में ली। भारत के राजनीतिक क्षितिज मैं गांधी जी सूर्य की भांति आलोकित एवं अनुप्रणित हुये।
1930 में गाँधी जी ने एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की। जो दांडी यात्रा के नाम से प्रसिद्व हुयी। पूर्ण स्वराज की मांग को लेकर पूरा देश अंग्रेजो के खिलाप हो गया।
सन 1942 में गांधी जी नै नारा दिया-अंग्रेजो भारत छोडो, इसमें सभी नेताओं को गिरफ्तार कर दिया गया। गांधी जी को पूना आगा खां महल में नजर बन्द कर दिया गया। वहीं कस्तुलबा की मृत्यू हो गयी। इस प्रकार 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हो गया। इस तरह से गाँधी जी स्वतन्त्रता आन्दोलन के कर्णधार बने। जन जन के सबसे प्रिय नेता बने। साम्प्रदायिकता का भाव मनुष्य में दुर्गुण के भाव को भर देता है। इसी तरह की मानसिकता से ओत प्रोत नाथूराम बिनायक गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को संन्ध्या सभा की प्रार्थना में गांधी जी पर गोलियों की बौछार कर दी। अपने हत्यारे को हाथ जोडकर हे राम कहते हुये गांधी जी ने प्राण त्याग दिये.
महामानव की मृत्यू पर समूचा संसार अवाक रह गया। मानवता रो बैठी सत्य अंहिसा का पुजारी चल बसा। गांधी जी का समाधि स्थल राजघाट विश्व के समस्त मानवों का तीर्थस्थल बन गया।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 120वीं जयंती
आज यानी 2 अक्टूबर को देश के दो महान विभूतियों की जयंती है। पहले राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी और दूसरे देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। आज देश महात्मा गांधी की 154वीं जयन्ती और लाल बहादुर शास्त्री जी की 120वीं जयंती मना रहा है। लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था। देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान रहा। साल 1920 में शास्त्री जी भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए और स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनमें मुख्य रूप से 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का ‘दांडी मार्च’ और 1942 का ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ उल्लेखनीय हैं। शास्त्री ने ही देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री जी का 10 जनवरी 1966 को रूस के ताशकंद शहर में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर ‘करार’ के दूसरे दिन 11 जनवरी को निधन हो गया था। उनकी मृत्यु को आज भी रहस्य माना जाता है। वह मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे।
(लेखक: अखिलेश चन्द्र चमोला, हिन्दी अध्यापक, राइका सुमाड़ी)