जीवन में हमें निरन्तर सकारात्मक कार्यो को करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। इस संदर्भ में गीता में लिखा है – – कर्म करने पर हमारा अधिकार है ‘ फल पर नहीं । यदि हम इस भाव को निरुपित करते हुए कर्म करते रहेंगे तो निश्चित ही उसकी सुगन्ध चारों ओर फैल जाती है। समाज में इस तरह के भाव से कार्य करने वाला व्यक्ति लब्ध ख्याति अर्जित करके पूरे राष्ट्र के गौरव में वृद्धि कर देता है। यदि इस तरह की बात रा ० इ० का० सुमाड़ी में कार्यरत हिन्दी अध्यापक के विषय में कही जाय तो किसी तरह की अतिश्योक्ति नहीं होगी। अपने बेहतर व उत्कृष्ट समाजोपयोगी कार्यों के आधार पर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।

अखिलेश चंद्र चमोला अपने अध्यापन कार्य के साथ साथ 27 वर्षों से निरन्तर ग्रामीण आंचलिक में अध्ययनरत छात्र/ छात्राओं को अपने निजी व्यय पर सम्मानित करने के साथ साथ जीवन में कभी नशा न करने की व संस्कार वान बनाने की मुहिम भी चलाते रहते हैं। उनके द्वारा समय समय पर प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन भी किया जाता रहा है। जिसे चमोला छात्रों को निशुल्क वितरण का भी कार्य करते हैं। इस तरह की लब्ध प्रतिष्ठा के आधार पर 500 से भी अधिक राष्ट्रीय सम्मानो पाधियों से सम्मानित हो चुके हैं। नशा

उन्मूलन में उत्कृष्ट कार्य करने पर शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड द्वारा इन्हे गढवाल मण्डलीय नशा उन्मूलन नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी भी दी गई है। जिसका निर्वहन चमोला अपने अध्यापन कार्य के साथ साथ विभिन्न कार्य शालाओं के माध्यम से करते रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर अलक जगाने पर वे अनेकों पुरस्कारों से विभूषित हो चुके हैं। चमोला के उत्कृष्ट कार्यों को रेखांकित करते हुए सहारा चैरिटेबल ट्रस्ट सामाजिक संगठन (भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नीति आयोग से सम्बद्ध संस्थान) ने चमोला को डॉक्टरेट अवार्ड 2025 की मानद उपाधि से सम्मानित किया। इस खबर से शिक्षा विभाग समाज सेवियों में खुशी की खबर छा गई । दूरभाष से चमोला को बधाई सन्देश मिल रहे हैं। इस उपलब्धि पर चमोला ने कहा कि संस्थान द्वारा मेरे कार्यों का मूल्यांकन करके मुझे गौरव शाली उपाधि से अंलकृत करके मेरे अन्दर जिम्मेदारी और ऊर्जा का संचार पैदा कर दिया है। इसके लिए मैं संस्थान का आभारी हूँ मेरे जीवन का लक्ष्य यही है कि मैं भावी पीढी जो राष्ट्र की बहुमूल्य धरोहर है उसका सही तरीके से मार्ग दर्शन करके आदर्श .राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे संकू।