Guru Chaurangi Nath Mela: उत्तराखंड को यूँ ही देवभूमि नहीं कहा जाता है। यहाँ अलौकिक शक्ति और आस्था का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। उत्तराखंड में आज भी ऐसे अनूठे नजारे देखने को मिलते हैं, जिस पर तकनीकी युग में यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, लेकिन जब आप अपनी आंखों से इन नजारों को देखते हैं तो एहसास होता कि सच में देवी-देवता भी होते हैं। ऐसा ही एक नजारा उत्तरकाशी के गाजणा क्षेत्र में देखने को मिला, जहां देवता के पश्वा ने सात किलो हलवा (बाड़ी) खाया। जिसे देख ग्रामीण अचंभित हो गए।
उत्तरकाशी जिले के गाजणा क्षेत्र में हर तीसरे साल में गुरु चौरंगी नाथ मेला का आयोजन किया जाता है। यहां हलवा देवता के पश्वा अवरित होकर सात किलो हलवा (बाड़ी) खाता है, जो मेले का प्रमुख आकर्षण केंद्र होता है।
गुरु चौरंगीनाथ मेला लोगों की अगाध श्रद्धा का केन्द्र है। जहां लोग दूर-दूर से मेले में भाग लेने पहुंचते हैं। इस बार भी गाजणा क्षेत्र के चौंदियाट गांव, दिखोली, सौड़, लौदाड़ा और भेटियारा गांवों द्वारा संयुक्त रूप से गुरु चौरंगी देवता पौराणिक मेले का आयोजन किया गया। जिसमें गाजणा क्षेत्र के हलवा देवता के पश्वा (जिन पर देवता अवतरित होते हैं) ने सात किलो मंडुए का बाड़ी (एक तरह का हलवा) खाया। जिसे देख भक्त हैरान रह गए और हलवा देवता का जय-जयकार करने लगे।
बाड़ी की रेसिपी हलवे जैसी ही होती है, लेकिन बाड़ी में सूजी की जगह गेहूं या अन्य अनाज का आटा मिलाया जाता है। जिसका भोग देवता को लगाया जाता है। इस दौरान ग्रामीण देवी-डोलियों से क्षेत्र की सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं।
मेले में क्षेत्र के प्रमुख आराध्य देव भगवान तामेश्वर, गुरु चौरंगी नाथ की डोली, हलवा देवता की डोली, हुणियां नागराजा की डोली, हरि महाराज की डोली, खंडद्वारी देवी की डोली के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीण उमड़े। ग्रामीणों ने इन देव डोलियों के साथ पारंपरिक नृत्य किया।
प्रीतम भरतवाण के जागर की प्रस्तुति पर झूमे ग्रामीण:
देव डोलियों से क्षेत्र और गांव की खुशहाली के लिए मन्नतें मांगी, जिस पर देव डोलियों ने प्रसन्न होकर ग्रामीणों को अपना आशीर्वाद दिया। बीती बुधवार रात को भेटियारा गांव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने जागर की प्रस्तुतियां दी, जिस पर ग्रामीण देर रात तक झूमते रहे।
5 दिन का होता है गुरु चौरंगी देवता का मेला:
हर तीसरे साल मनाए जाने वाले गुरु चौरंगी देवता के मेले का शुभारंभ चौदियाट गांव से शुरू होकर दूसरे दिन दिखोली, तीसरे दिन सौड़, चौथे दिन लोदाड़ा और पांचवें दिन मेले का समापन भेटियारा गांव में होता है। पांचवें दिन पारंपारिक वाद्य यंत्रों, ढोल नगाड़ों के साथ लोक नृत्य किया गया। मेले का मुख्य आकर्षण हलवा देवता के पश्वा की ओर से सात किलो मंडुए का बाड़ी खाना रहा। मेले में क्षेत्र के प्रमुख आराध्य देव भगवान तामेश्वर, गरु चौरंगीनाथ नाथ की डोली, हलवा देवता की डोली, हुणियां नागराजा की डोली, हरि महाराज की डोली, खंद्वारी देवी की डोली के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी।



