नई दिल्ली: दिल्ली के न्यू अशोक नगर स्थित DPMI के सभागार में रविवार को गढ़वाली कवि अनूप सिंह रावत द्वारा रचित एवं रावत डिजिटल द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह “ज्यू त ब्वनू च” का लोकार्पण एवं बृहद गढवाली एवं कुमाउंनी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में गढवाली साहित्य प्रेमियों एवं युवा साहित्यकारों से खचाखच भरे सभागार में मुख्य अतिथि दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय दरमोड़ा, विशिष्ट अतिथि दिल्ली पैरामेडिकल इन्स्टीट्यूट (DPMI) के निदेशक डॉ. विनोद बछेती, कार्यक्रम अध्यक्ष वयोवृद्ध साहित्यकार ललित केशवान, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सतीश कालेश्वरी, पूरण चन्द्र कांडपाल, गढ़वाली गजल के सशक्त हस्ताक्षर पयाश पोखड़ा, श्रीनगर से आए आखर समिति के अध्यक्ष संदीप रावत एवं अनूप रावत के पिताजी दिलवर रावत द्वारा दीप प्रज्वलित कर संदीप रावत की गढ़वाली सरस्वती वंदना के साथ युवा गढ़वाली कवि अनूप रावत के प्रथम काव्य संग्रह “ज्यू त ब्वनू च” का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर पुस्तक पर चर्चा करते हुये युवा कवि आशीष सुन्दरियाल ने अनूप रावत की पुस्तक को नयी पीढ़ी के लिए एक उपलब्धि के तौर पर उल्लेखित किया तथा इस काव्य संकलन की प्रमुख बातों को उपस्थित साहित्य प्रेमियों के समक्ष रखा। पुस्तक पर अपने विचार रखते हुये दूसरे वक़्ता के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी व कवि दर्शन सिंह रावत ने नयी पीढ़ी के इस युवा साहित्यकार के प्रयासों की सराहना की।
इस मौके पर अनूप रावत ने अपनी पुस्तक पर अपने विचार रखते हुये कहा कि जब भी कोई विचार उनके मन में आता है, तो वह उसे कलमबद्ध कर लेते हैं और इस तरह एक कविता की रचना हो जाती है। उन्होंने कहा कि अग्रज कवियों से उन्हें बराबर प्रोत्साहन मिलता रहता है जो उनके लिए उर्जा स्रोत का काम करता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय शर्मा दरमोडा़ जी ने कहा कि युवा पीढ़ी का अपनी दूधबोली में साहित्य सृजन करना गढ़वाली भाषा के लिए एक सुखद पहलू है। इस अवसर पर अपने विचार रखते हुये विनोद बछेती ने युवा कवि के अपने साहित्य, समाज व संस्कृति के प्रति प्रेम व समर्पण की सराहना की। उन्होंने समाज से ऐसे युवाओं का साथ देखकर उन्हें आगे बढ़ाने की अपील की। करीब 2 घंटे चले कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन साहित्यकार एवं उत्तराखण्ड लोकभाषा साहित्य मंच के संयोजक श्री दिनेश ध्यानी ने किया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में गढवाली-कुमाउँनी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की शुरुआत करते हुये युवा कवि आशीष सुन्दरियाल ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में खडे़ उम्मीदवारों पर एक व्यंग्य रचना सुनायी। कवि सम्मेलन में शिरकत करते हुये युवा कवियत्री श्रीमती लक्ष्मी पाल ने महानगरों में रहकर पहाड़ के प्रति झूठा प्रेम प्रदर्शित करने वालों को आड़े हाथों लिया। वरिष्ठ कवि दिनेश ध्यानी ने अपनी बोली-भाषा व साहित्य एवं संस्कृति से विमुख हो रहे लोगों को अपनी रचना के माध्यम से सचेत किया। युवा कवि संतोष जोशी ने पहाड़ के दर्द के बयां करते हुये अपनी कुमाउँनी कविता को प्रस्तुत किया। युवा कवयित्री रामेश्वरी नादान ने कविता पाठ करते हुये सुन्दर हास्य एवं समसामयिक रचना सुनाते हुये सभागार में आये लोगों का खूब मनोरंजन किया। इस कार्यक्रम में जहाँ एक ओर युवा कवि वीरेन्द्र जुयाल ‘उपरि’ ने लोगों को अपनी क्षणिकाओं से गुदगुदाया वहीं सुप्रसिद्ध हास्य कवि जयपाल सिंह रावत ‘छिपड़ु दा’ ने अपनी हास्य रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।
द्वितीय सत्र में दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान में सृजनरत् लगभग दो दर्जन से भी अधिक साहित्यकारों व कवियों ने प्रतिभाग किया। जिसमें सुनील थपलियाल ‘घंजीर’, पयाश पोखडा़, प्रदीप रावत ‘खुदेड़’, गोविन्दराम पोखरियाल, वीर सिंह राणा, सुरेन्द्र सिंह रावत ‘लाटा’, रमेश हितैषी, ओम प्रकाश आर्य, नीरज बवाडी़, पृथ्वी सिंह केदारखण्डी एवं द्वारिका प्रसाद चमोली आदि प्रमुख थे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ललित केशवान व सफल संचालन श्रीनगर गढ़वाल से कार्यक्रम में पहुँचे गढवाली कवि, गीतकार एवं आखर समिति के अध्यक्ष संदीप रावत ने किया। इस अवसर पर युवा कवि अनूप रावत के माँ-पिताजी के साथ पूरे कुटुम्ब-परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
यह भी पढ़ें: