नोएडा सैक्टर 62 स्थित प्रेरणा मीडिया सेंटर में भारतीय गांवों एवं पर्वतीय क्षेत्रों के कल्याण में समर्पित संस्था पर्वतीय लोकविकास समिति का 20वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया।

कार्यक्रम में राष्ट्रोक्ति द्वारा प्रकाशित कवि बीर सिंह राणा के गढ़वाली काव्य संग्रह “बौड़ि ऐजा” और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी राजेंद्र प्रसाद द्वारा संकलित “अनमोल सूक्तियां” ग्रंथ का लोकार्पण किया गया।

होली के अवसर पर आयोजित पर्वतीय लोकविकास समिति के इस आयोजन को वसंत उत्सव और होली महोत्सव के तौर भी मनाया गया। आयोजन को यादगार बनाने में नोएडा की पहाड़ी बान टीम की महिलाओं ने अहम योगदान दिया। पूजा भट्ट ‘पुष्पा’ और शीला पंत की अगुवाई में गीता जोशी, संजू भोज, पूजा पांडेय, चंद्रा, दीपा जोशी, सुनीता नयाल आदि ने परंपरागत होली गीत गाकर खूब वाह-वाही बटोरी।होली के परंपरागत गीतों की स्वर लहरी बिखरते हुए हौल्यारिनों ने कुछ इस तरह से समा बांधा।

वन को चले दोनों भाई, उन्हें समझावात माई

आगे आगे राम चलत हैं, पीछे से लक्ष्मण भाई।

कैसे बनी झकझोर पवनसुत

गढ़ लंका हो गढ़ लंका ।

मोहन गिरधारी कैसे अनाड़ी,

चुनर गए फाड़ी।

मत जाओ पिया होली आए रही फागुन मास में बिरहा सतावे।

आओ नवल बसंत सखी ऋतुराज  कहाई।

पुष्प काली बस फूलन लागे ,फूल ही फूल सुहाई।

जल भरण चली दोनो बहना

कहां से आई देवकी  बहन ,

कहां से आई यशोदा बहना।

जल कैसे भरूं जमुना गहरी

ठाडी भरू राजा राम जी देखत है

बैठी भरू भीजे चुनरी।

काली घटा घनघोर गगरिया कैसे भरूं ,

कैसे भरूं नंदलाल गगरिया कैसे भरूं।

गरवा लगा लो मुझे अपना बनाई के ,

लाल रंग डालो उसमें पीला मिलाई के।

लेखिका और शिक्षिका बीना नयाल ने अपनी स्वरचित सरस्वती वंदना के साथ ही अपनी कविता का पाठ किया। जिस पर सभागार में मौजूद सम्मानित श्रोताओं ने अपनी लयबद्ध तालियों से खूब सराहा।

शब्द साधिका बीना नयाल ने मां सरस्वती की वंदना कुछ इस अंदाज़ में करते हुए गाया कि शब्द बने साधना कर्म हो आराधना अंक में रहे तेरे सदा मेरा पालना

सत्य की हो गर्जना ,शोषितों की व्यंजना

लेखनी में शारदे ,कालजयी हो भावना…

वहीं बीना की कविता कोना मनमाना रंग पाऊं भी अपना संदेश देने में सफल रही।

उपवन पुष्प है कितने खिले ब्रह्म कमल खिला नहीं

कशिश रही जिसकी मन को वही विधाता लिखा नहीं….

युवा कवयित्री ममता रावत ‘मंदाकिनी’ ने अपनी गढ़वाली कविता के जरिए पलायन और पहाड़ के हालात को बखूबी बयां करते हुए कुछ इस तरह के सवाल किए।

रूडी लगि आग, बसग्याल मंस्वाग

सुनींद  हुयीच सरकार अर वण बिभाग

इस्कुल्या नौन्यालुन्न इस्कूल बि जाण

घसेर्यूं घास कनक्वे कि ल्याण

कख होला वु नेता अर करमचारी

सुण्णा निछी  किले हमरि खैरी

चौ तरफां हुयिच बागा कि डैरी…

पुस्तकों के लोकार्पण अवसर पर वासुकी फाउंडेशन के अध्यक्ष पी.एन.शर्मा और वरिष्ठ समाजसेवी विनोद कबटियाल ने दोनों लेखकों बीर सिंह राणा और राजेंद्र प्रसाद को प्रतीक चिन्ह,पटका और पहाड़ी टोपी पहनाकर सम्मानित किया।

वहीं वासुकी फाउंडेशन के अध्यक्ष पी.एन.शर्मा और वरिष्ठ समाजसेवी विनोद कबटियाल ने  कुमाऊँ-मंडल के होली गीतों का नोएडा और आसपास के इलाकों प्रचार-प्रसार करने के लिए पहाड़ी बान नोएडा की टीम की सराहना करते हुए टीम की अध्यक्ष पूजा भट्ट’पुष्पा’ और महासचिव ब्लाॅगर शीला पंत को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।