नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर में रह रहे लाखों प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ-साथ पूरे उत्तराखंड के लिए बड़ी ख़ुशी की बात है। दिल्ली सरकार द्वारा “गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी” भाषा अकादमी दिल्ली का गठन कर लिया गया है। दिल्ली सरकार द्वारा गठित यह देश की पहली अकादमी है जो उत्तराखंड से सम्बद्ध भाषा साहित्य संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम करेगी। उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक, जाने माने कवि एवं गीतकार हीरा सिंह राणा को “गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी” भाषा अकादमी दिल्ली के पहले उपाध्यक्ष होंगे। दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने अपने ट्विटर पर यह जानकारी दी। इसके बाद अब उत्तराखंड की लोक भाषाओँ गढ़वाली और कुमाऊंनी और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के प्रयासों में तेजी आएगी।
“गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी” भाषा अकादमी दिल्ली के पहले उपाध्यक्ष हीरा सिंह राणा के बारे में आपको बतादें कि महज 15 साल की उम्र से पहाड़ की संस्कृति से जुड़कर लोक गीतों की रचना करने वाले हीरा सिंह राणा का नाम उत्तराँखण्ड के प्रमुख गायक कलाकारो में प्रथम पंक्ति में आता है। उन्हें लोग हीरदा कुमाऊनी के नाम से भी पुकारते हैं। हीरदा ने रामलीला, पारंपरिक लोक उत्सव, वैवाहिक कार्यक्रम से अपने गायन का सफ़र शुरू किया और बाद में आकाशवाणी नजीबाबाद, दिल्ली, लखनऊ ही नहीं अपितु देश-विदेश में भी अपनी बेहद सुरीली आवाज में पहाड़ी लोक गीतों की धाक जमाई है।
हीरा सिंह राणा का जन्म 16 सितंबर 1942 को मानिला डंढ़ोली जिला अल्मोड़ा में हुआ उनकी माताजी स्व: नारंगी देवी, पिताजी स्व: मोहन सिंह थे। राणा जी प्राथमिक शिक्षा मानिला में हुई। उन्होंने दिल्ली सेल्समैन की नौकरी की लेकिन इसमें उनका मन नहीं लगा और इस नौकरी को छोड़कर वह संगीत की स्कालरशिप लेकर कलकत्ता चले गए और संगीत के संसार में पहुँच गए। इसके बाद हीरा सिंह राणा ने उत्तराखंड के कलाकारों का दल नवयुवक केंद्र ताड़ीखेत 1974, हिमांगन कला संगम दिल्ली 1992, पहले ज्योली बुरुंश (1971) , मानिला डांडी 1985, मनख्यु पड़यौव में 1987, के साथ उत्तराखण्ड के लोक संगीत के लिए काम किया। इस बीच राणा जी ने कुमाउनी लोक गीतों के 6- कैसेट ‘रंगीली बिंदी, रंगदार मुखड़ी’, सौमनो की चोरा, ढाई विसी बरस हाई कमाला’, ‘आहा रे ज़माना’ भी निकाले। राणा जी ने कुमाँउ संगीत को नई दिशा दी और ऊचाँई पर पहुँचाया। राणा ने ऐसे गाने बनाये जो उत्तराखण्ड की संस्कृति और रिती रीवाज को बखुबी दर्शाते हैं। यही वजह कि भूमंडलीकरण के इस दौर में हीरा सिंह राणा के गीत खूब गाए बजाए जाते हैं।
जाने माने कवि गीतकार हीरा सिंह राणा गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी’ भाषा अकादमी दिल्ली के पहले उपाध्यक्ष होंगे.
दिल्ली सरकार द्वारा गठित यह देश की पहली अकादमी है जो उत्तराखंड से सम्बद्ध भाषा साहित्य संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम करेगी. pic.twitter.com/JzWo5q6JZU
— Manish Sisodia (@msisodia) October 16, 2019
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