भारतीय आजादी के अमृत महोत्सव और दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह की श्रृंखला के अंतर्गत राष्ट्रोक्ति वेब पोर्टल, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पर्वतीय लोकविकास समिति, सिविल सोसायटी पालन क्षेत्र और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से शिव मंदिर धर्मशाला, 60 फुटा रोड़ साध नगर, पालम, नई दिल्ली में एक शानदार और रंगारंग कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि रूप में वरिष्ठ संघ विचारक, सुप्रसिद्ध पत्रकार और महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री रहे जगदीश जी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी को देश के चहुमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, देश में हो रहें सकारात्मक परिवर्तनों और विकास कार्यों को जनसामान्य तक पहुंचाने का संकल्प लेना चाहिए। पिछले 8 वर्षों में देश में बहुत कुछ बदला है, एक समय कुछ अति सक्रिय एनजीओ सरकारों से पैसा लेकर राष्ट्र के दुष्प्रचार और राष्ट्र के लिए समर्पित संगठनों और व्यक्तियों को निशाने पर रखते थे, आज स्वयंसेवी संस्थाएं राष्ट्रीय भावना को बढ़ाने का कार्य कर रही हैं।
समारोह के अतिविशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार और नागरी प्रचारिणी सभा के महासचिव डॉ. हरि सिंह पाल ने कहा कि आजादी के आंदोलन की मुखर आवाज और एक बड़े हथियार के रूप में हिंदी की भूमिका बेजोड़ थी, आज भी देश के साथ ही सात समंदर पार हिंदी विश्व की एक बड़ी भाषा है। हिंदी की लेखिका की रचना को प्रतिष्ठित बुकर सम्मान मिल रहा है। और संयुक्त राष्ट्र संघ ने हिंदी को कामकाज की भाषा के रूप में प्रयोग करना शुरू कर दिया है। हमें सूचना तकनीक और संचार के युग में अपनी नई पीढ़ी को इस हिंदी के प्रति सम्मान और स्वाभिमान की भावना कहानी चाहिए।
अणुव्रत भवन दिल्ली के निदेशक और विख्यात योग प्रशिक्षक रमेश कांडपाल ने कहा कि भारत विश्वगुरू अपने ज्ञान विज्ञान और योग, आयुर्वेद, वैदिक गणित और ज्योतिष आदि विधाओं के साथ ही कर्म प्रवण समाज की सजगता और सक्रियता के कारण भी रहा। अतिविशिष्ट अतिथि वरिष्ठ मीडियाकर्मी और हिमालिनी पत्रिका के संपादक एसएस डोगरा ने कहा कि नए भारत को हमारी नई पीढ़ी दुनिया के सामने आत्मनिर्भर और स्वावलंबी देश के रूप में प्रतिष्ठित कर रही है। हमारी शिक्षा में जब ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी के साथ संस्कार और अपनी पहचान के तत्व जुड़ेंगे तो हम फिर से विश्वगुरु बनेंगे। हमें प्रकृति के संरक्षण, पर्यावरण जागरूकता, भाषा प्रसार और साहित्य सबकी चिंता करनी है, जो प्रयास पर्वतीय लोकविकास समिति जैसी संस्थाएं कर रही हैं।
पाञ्चजन्य के वरिष्ठ उपसंपादक अरूण कुमार सिंह ने कहा कि भारत के सनातन जीवन मूल्य हिंदू धर्म की गौरव गाथा के प्रतीक हैं। हिंदुओं को अपनी आस्था के प्रतीकों के सम्मान के लिए सजग रहने की आवश्यकता है।
समारोह का संचालन करते हुए सिविल सोसायटी के महासचिव प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि देश की समस्याओं के उद्घाटन के साथ रचनाकारों का यह भी कर्तव्य है कि वे न केवल इन समस्याओं के समाधान सुझाएं बल्कि देश में हो रहे कल्याणकारी और क्रांतिकारी परिवर्तनों से भी समाज को परिचित कराएं। समारोह में विशिष्ट योगदान देने वाले नागरिकों का भी अभिनंदन किया गया।
सम्मानित होने वाले नागरिकों में पूर्व फ्लाइंग ऑफिसर आरडी नांगिया, पूर्व प्रशासक और सिविल सोसायटी के अध्यक्ष आरडी शर्मा, उत्तराखंड समाज के अध्यक्ष लोकेश्वर दत्त इष्टवाल, श्याम लाल मजेड़ा, इंजीनियर मान सिंह, श्रीमती लक्ष्मी नेगी, डॉ.एसएन बदलियाल और लीलाधर नौगाई प्रमुख हैं। सिविल सोसायटी के सचिव रविंद्र सोलंकी ने आगंतुक अतिथियों और कवियों का स्वागत किया।
वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध कवि प्रदीप वेदवाल के संयोजन और संचालन में हुए कवि सम्मेलन ने सभी का मन मोह लिया। सुषमा जुगरान ध्यानी, डॉ. राधाकांत पांडेय, सरला मिश्रा, वीर सिंह राणा, विनय शुक्ला विनम्र, अमर आकाश, अश्वनी मिश्रा आदि कवियों ने भारत के वैभव, समृद्धि, अद्भुत प्रकृति और अन्य सामयिक विषयों पर प्रभावी कविताओं का वाचन किया। हिंदी, पहाड़ी, भोजपुरी, हरियाणवी और राजस्थानी भाषा के कवियों ने काव्य पाठ किया।