नई दिल्ली : छावला गैंगरेप मामले में निचली अदालत और हाईकोर्ट से फांसी की सजा पाने वाले दोषियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बेनिफिट ऑफ़ डाउट देकर बरी कर दिए जाने के खिलाफ आज दिल्ली के जागरूक लोगों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के बाहर जोरदार धरना प्रदर्शन किया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आहत दिल्ली की तमाम महिलाओं एवं पुरुषों ने आज सुबह बड़ी संख्या सुप्रीम कोर्ट के बाहर एकत्रित हुए। जहाँ बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं ने माथे पर काली पट्टी बांधकर सड़क पर चक्का जाम कर दिया. सभी ने एक स्वर में सुप्रीम कोर्ट से पीडिता के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए एक बार फिर से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।
महिलाओं का कहना था कि एक बेटी के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर उसकी निर्मम हत्या करने वाले दरिंदों को जिस तरह से खुला छोड़ दिया गया है। वह हम सभी के लिए बहुत भयावह है। इस फैसले से उनके हौसले बुलंद हैं। और वे कल हम में से किसी के साथ भी इस तरह की दरिंदगी कर सकते हैं। इसलिए दोषियों को वापस जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाए और फांसी की सजा दी जाए। धरना प्रदर्शन करने वालों में प्रेमा धोनी, कुसुम कंडवाल भट्ट, रोशनी चमोली, दीपा चतुर्वेदी, लक्ष्मी नेगी, दीपिका नायल, किरण लखेड़ा, दीपू भाकुनी, योगिता बयाना सहित बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष शामिल थे।
हत्यारों को सजा दिलाने के लिए श्रद्धांजलि सभा व कैंडल मार्च
छावला गैंग रेप पीडिता के हत्यारों को सज़ा दिलाने के लिए बुधवार को छावला में श्रद्धांजलि सभा व कैंडल मार्च निकाला गया। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने किरण नेगी को न्याय दिलाने के लिए कानूनी एवं सामाजिक मोर्चे पर पुरजोर संघर्ष का ऐलान किया। आज सुबह छावला और आसपास के सभी लोग छठ घाट कुतुब विहार पर एकत्र हुए। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय सह-संयोजक जगदीश ममगांई भी उपस्थित थे। कैंडल मार्च की अगुवाई उत्तराखंड प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती ने की। इस दौरान लता तिवारी, सुषमा बिष्ट, चंदा नेगी, ताजवर सिंह रावत, आशीष पोखिरयाल, विकास राय, कुंदन सिंह गोसाई, पृथ्वी सिंह रावत आदि उपस्थित थे।
जगदीश ममगांई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की नजर में यदि पुलिस, निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने अपना कार्य ठीक से नहीं किया तो उन पर कार्रवाई करनी चाहिए। एक युवती के साथ हुई बर्बरता पर किसी को भी दोषी न मानना न्यायसंगत नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यदि जघन्य अपराध में शामिल अभियुक्तों को दंडित नहीं किया जाता है या बरी कर दिया जाता है तो समाज और विशेष रूप से पीड़िता के परिवार के लिए एक प्रकार की पीड़ा और निराशा हो सकती है।
ममगांई ने कहा कि दिल्ली सरकार को जल्द सुप्रीम कोर्ट के इस स्तब्धकारी फैसले के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए। उत्तराखंड प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती ने कहा कि किरण नेगी को न्याय दिलाने के उनके पिता कुंवर सिंह नेगी के संघर्ष में पूरा देश साथ खड़ा है।