नई दिल्ली: दिल्ली में गढ़वाल भवन में रविवार उत्तराखण्ड के बरिष्ठ रंगकर्मी, समाजसेवी स्वर्गीय दयालधर तिवारी को एक कार्यक्रम के माध्यम से याद किया गया। उनकी सुपुत्री व सुप्रसिद्ध गायिका मनोरमा तिवारी भट्ट की पहल पर यह आयोजन किया गया। जिसमें साहित्य, गीत-संगीत एवं नृत्य नाटिका के माध्यम से स्वर्गीय दयालधर तिवारी को याद किया गया।

स्वर्गीय दयालधार तिवारी का जन्म 1944 को दुयुरी मल्ली पट्टी चंबा जिला टिहरी गढ़वाल में हुआ था। उनके पिता का नाम गोपेश्वर दत्त तिवारी तथा माता का नाम तरुण देवी था। तिवारी जी की पढ़ाई मैट्रिक तक की हो पाई थी। घर की परेशानियों के चलते छोटी सी उम्र में ही अपने लिए आजीविका ढूंढने के लिए दिल्ली जैसे महानगर में आ गए। तिवारी जी बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति थे, वह हमेशा ही समाज हित में सोचते थे। उन्होंने अपनी नौकरी के साथ-साथ अपने यहां के नवयुवकों को भी नौकरी पर लगवाया। तिवारी जी बचपन से ही अभिनय के शौकीन रहे, उन्होंने अपने गांव में समय-समय पर रामलीलाओं में अभिनय किया व बाद में स्वयं रामलीला मंचन आयोजन भी समय-समय पर किया। यहीं से कहीं ना कहीं उनके अंदर एक कलाकार छिपा हुआ था। तिवारी जी ने हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद की, जैसे कि गरीब कन्याओं के विवाह में आर्थिक व अन्य  सहयोग करना, गरीब  बच्चों की पढ़ाई में मदद करना तथा विशेषकर  सीनियर सिटीजनस के लिए एक  संगठन का गठन करना। जिससे जीवन के चौथे पहर में चल रहे समाज के बरिष्ठ नागरिकों को साथ में सुख-दुःख बांटने का मौका मिलता रहे। तिवारी जी सन 2004 में जब सेवा निवृत्त हो गए तो उन्होंने घर में बैठने के बजाय अपना ध्यान अपनी रुचियों की तरफ लगायाl उन्हें अभिनय करना बहुत ही पसंद था, इसीलिए वह उत्तराखंड जगत की फिल्मों से वीडियो और गीतों से जुड़े। उनकी सबस परिचित वीडियो नौछामी नारायण थी, जिनके गीत गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने गाये हैं। इस वीडियो में तिवारी जी ने एनडी तिवारी का रोल किया था, यह गाना इतना लोकप्रिय और चर्चा में रहा कि उनको जेल तक जाने की नौबत आ गई थीl उसके बाद उन्होंने दो-चार फिल्मों में भी अभिनय कियाl तिवारी जी की सेहत खराब होने लगी इसलिए वह अपने इलाज के चलते मन में यह सोच रखते हुए कि मैं कभी ठीक होगा तो दोबारा फिल्मों का रुख करूंगा। लेकिन इसीबीच तिवारी जी जीवन के 76 वसंत जीने के बाद अनंत यात्रा पर निकल गए।

इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यकार व गायक जगदीश ढौंडियाल, सुप्रसिद्ध लोक गायिका मीना राणा, पद्म गुसाईं समेत कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।  इस आयोजन में जानेमाने कवि जयपाल सिंह रावत छिपवडु दा, दिनेश ध्यानी व युवा कवियत्री अंजलि भंडारी ने गढ़वाली कविताओं से आयोजन में चार चाँद लगा दिया।  इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के ग्रुप देवभूमि द्वारा भी विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों की प्रस्तुति दी गयी, जिसे लोगों ने खूब सराहा।  कुछ बाल कलाकारों ने जिन्होंने उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली की ग्रीष्मकालीन कक्षाओं में गढ़वाली सीखी उन बच्चों ने  भी गढ़वाली भाषा में गीत, कविता आदि सुनाकर सबको आनंदित कर दिया। कुल मिलाकर अद्भुत आयोजन एवं समाज की भागीदारी ऐसी की पूरा हाल भरा हुआ था।

स्वर्गीय दयालधर तिवारी जी की 80वीं जयंती पर गढ़वाल भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के प्रबुद्ध लोगों, समाज सेवियों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों आदि ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। छोटे बच्चो ने भी अपनी प्रस्तुति नृत्य वा गायन के माध्यम से दी। जिनमे उनके मित्र व बरिष्ठ समाजसेवी लखीराम डबराल,  यूएस नेगी, हरिपाल रावत, दिनेश चमोली, पीएन शर्मा, मुरारी लाल खंडूरी, महाबीर राणा आदि लोग मौजूद थे।