new criminal low implemented in India

New Crminal Laws: आज यानी 1 जुलाई 2024 से देश में कानूनी प्रणाली में बड़ा बदलाव लागू हो गया। आज से तीन मुख्य आपराधिक कानून- भारतीय दंड संहिता, 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 – लागू नहीं रहेंगे। इनकी जगह पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 लागू हो गए हैं।

इन कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को शामिल किया गया है। जिसमें जीरो FIR, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत (ई-एफआईआर) दर्ज कराना और SMS के जरिए समन भेजने जैसी सुविधा होगी। और हफ्तेभर में फैसला ऑनलाइन उपलब्ध कराना जरूरी है। साथ ही, सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।

तीन नए कानूनों को पिछले साल दिसंबर में संसद में पारित किया गया था। अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन मुख्य आपराधिक कानूनों की जगह अब नए कानून देशभर में प्रभावी हो गए। हमारी जिंदगी में बढ़ते तकनीकी के दखल को देखते हुए इन कानूनों में भी तकनीकी के अधिकतम इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। ज्यादातर कानूनी प्रक्रियाओं को डिजिटलाइज करने का प्रावधान इन कानूनों में किया गया है। संसद में चर्चा के दौरान सरकार ने भी इन बातों का उल्लेख किया था।

तीन नए विधेयक

भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बने कानून

राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए। लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।

यहाँ जानिए तीन नए कानूनों के बारे में

  1. एक जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा. यानी जो केस 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज हुए हैं, उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानून का हिस्सा होगी.
  2. एक जुलाई से नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज हो रही है और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल पूरा होगा.
  3. BNSS में कुल 531 धाराएं हैं. इसके 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है. जबकि 14 धाराओं को हटा दिया गया है. 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. पहले CrPC में 484 धाराएं थीं.
  4. भारतीय न्याय संहिता में कुल 357 धाराएं हैं. अब तक आईपीसी में 511 धाराएं थीं.
  5. इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं. नए कानून में 6 धाराओं को हटाया गया है. 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धाराएं थीं.
  6. नए कानून में ऑडियो-वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर जोर दिया गया है. फॉरेंसिंक जांच को अहमियत दी गई है.
  7. कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा. जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा. अगर जीरो एफआईआर ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी.
  8. अब ई-सूचना से भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी. हत्या, लूट या रेप जैसी गंभीर धाराओं में भी ई-एफआईआर हो सकेगी. वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे. E-FIR के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करना जरूरी होंगे.
  9. फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है. फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है.
  10. FIR के 90 दिन के भीतर चार्जशीट चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी. चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे.
  11. मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर जजमेंट यानी फैसला देना होगा. जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी.
  12. पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा. ऑफलाइन और ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी.
  13. महिलाओं-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को BNS में कुल 36 धाराओं में प्रावधान किया गया है. रेप का केस धारा 63 के तहत दर्ज होगा. धारा 64 में अपराधी को अधिकतम आजीवन कारावास और न्यूनतम 10 वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है।
  14. धारा 65 के तहत 16 साल से कम आयु की पीड़ित से दुष्कर्म किए जाने पर 20 साल का कठोर कारावास, उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है. गैंगरेप में पीड़िता यदि वयस्क है तो अपराधी को आजीवन कारावास का प्रावधान है.
  15. 12 साल से कम उम्र की पीड़िता के साथ रेप पर अपराधी को न्यूनतम 20 साल की सजा, आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है. शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वाले अपराध को रेप से अलग अपराध माना गया है. यानी उसे रेप की परिभाषा में नहीं रखा गया है.
  16. पीड़ित को उसके केस से जुड़े हर अपडेट की जानकारी हर स्तर पर उसके मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए दी जाएगी. अपडेट देने की समय-सीमा 90 दिन निर्धारित की गई है.
  17. राज्य सरकारें अब राजनीतिक केस (पार्टी वर्कर्स के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन) से जुड़े केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी. धरना-प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी.
  18. गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है. तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह कोर्ट में मान्य होंगे.
  19. मॉब लिंचिंग भी अपराध के दायरे में आ गया है. शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराधों को धारा 100-146 तक बताया गया है. हत्या के मामले में धारा 103 के तहत केस दर्ज होगा. धारा 111 में संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान है. धारा 113 में टेरर एक्ट बताया गया है. मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल की कैद या उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है.
  20. चुनावी अपराध को धारा 169-177 तक रखा गया है. संपत्ति को नुकसान, चोरी, लूट और डकैती आदि मामले को धारा 303-334 तक रखा गया है. मानहानि का जिक्र धारा 356 में किया गया है. दहेज हत्या धारा 79 में और दहेज प्रताड़ना धारा 84 में बताई गई है.

दिल्ली में नए कानून के तहत पहली FIR दर्ज:

देशभर में आज से लागू हो चुके नए कानून के तहत दिल्ली में पहला मामला दर्ज कर लिया गया है। मामला दिल्ली के कमला मार्केट थाना इलाके में दर्ज हुआ है। जिसमें खुद पुलिस थाने के सब इंस्पेक्टर ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। दर्ज मामले के मुताबिक, उप निरीक्षक कार्तिक मीणा ने यह शिकायत दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि उप निरीक्षक इलाके में गश्त कर रहे थे, तब वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुट ब्रिज के पास डीलक्स शौचालय के नजदीक पहुंचे। यहां पर एक शख्स अपनी रेहड़ी लगाकर आम रास्ते पर पानी, बीड़ी और सिगरेट बेच रहा था।

इससे लोगों को वहां से गुजरने में परेशानी हो रही थी। उप-निरीक्षक ने उसे रेहड़ी हटाने के लिए कहा। लेकिन रेहड़ी मालिक ने अपनी मजबूरी बताई। वहां से नहीं जाने पर पुलिस कर्मी ने रेहड़ी वाले के खिलाफ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने और आमजन के आने जाने में दिक्कत करने का मामला दर्ज किया है। एफआईआर के मुताबिक, आरोपी की पहचान पंकज कुमार के रूप में हुई है, जो बिहार के बाढ़ इलाके का रहने वाला है।

दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली पुलिस तीन नए कानूनों को लागू करने के लिए तैयार है। हमने आज सुबह से नए कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया है।