Tribute paid to eminent journalist Narendra Uniyal

प्रख्यात पत्रकार, उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी,गढ़वाल विश्वविद्यालय निर्माण आंदोलनकारी स्वर्गीय नरेंद्र उनियाल को उनकी 41वीं जयंती पर याद किया गया। प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा में लोकतन्त्र प्रहरी, संविधान रक्षक ‘नरेंद्र उनियाल’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने आपातकाल के दौरान नरेंद्र उनियाल के क्रांतिकारी कार्यों को याद किया।

नरेंद्र के समकालीन रहे शशिभूषण खण्डूड़ी ने कहा कि आपातकाल में गिरफ्तारी देने वाले नरेंद्र गढ़वाल मंडल के पहले युवा और पहले जनसंघी थे। एसपी गौड़ ने कहा कि गढ़वाल के मेलों में पशबलि प्रथा का विरोध करने में नरेंद्र उनियाल ने स्वामी मनमथन के साथ मिलकर आंदोलन किया। साहित्यकार और पत्रकार प्रदीप वेदवाल ने गढ़वाल विश्वविद्यालय बनाओ आंदोलन और उत्तराखंड राज्य आंदोलन में नरेंद्र उनियाल के योगदान को याद करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए वोट क्लब पर आंदोलन करते हुए नरेंद्र को अन्य आंदोलनकारियों के साथ गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में रखा गया। पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा नेता वीरेंद्र सेमवाल ने पत्रकार नरेंद्र उनियाल की याद में किसी स्कूल और सड़क के नामकरण की मांग की।

ग्राम-सकनोली, पट्टी-असवालस्यूं, जिला-पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी नरेन्द्र उनियाल का जन्म 12 मार्च 1952 को टिहरी नरेन्द्र नगर में हुआ था। उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी तथा पिता का नाम आदित्यराम उनियाल था। छः भाई-बहिनों में नरेन्द्र उनियाल दूसरे नम्बर के थे। नरेन्द्र बाल्यकाल से ही प्रखर बुद्धि के थे। शारीरिक रूप से कृश परन्तु बुद्धिबल में बलवान नरेन्द्र बचपन से ही परोपकार की भावना से ओत-प्रोत थे। बालक नरेन्द्र के अन्दर कर्तव्यनिष्ठा, देश-प्रेम तथा स्वयंसेवक के गुणों का उदय जीवन के प्रारम्भिक काल में ही हो गया था। अपने बाल्यकाल से ही उन्होंने अपने बाल सखाओं के साथ मिलकर एक संगठन तैयार किया जो अपने तथा आस-पास के गांवों में स्वप्रेरित होकर समाज हित के कार्य करता था। श्रमदान से रास्तों का निर्माण हो या किसी जरूरतमंद की मदद आपका बाल संगठन सदैव तत्पर रहता था।

आजादी के बाद उत्तराखंड की पत्रकारिता को एक नई दिशा देने वाले पत्रकार नरेंद्र उनियाल ने कोटद्वार और दिल्ली से साप्ताहिक धधकता पहाड़ का प्रकाशन कर गढ़वाल की पत्रकारिता में एक सुनहरा अध्याय रचा। आपातकाल के दौरान जेल में रहने की वजह से यह समाचार पत्र नियमित रूप से प्रकाशित नहीं हो सका तो जेल से आने के बाद उन्होंने कोटद्वार से साप्ताहिक जयंत का प्रकाशन भी नए तेवर और कलेवर के साथ किया।

विचार-गोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त प्रांत प्रचारक कृपाशंकर, पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सेमवाल, विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के भारतीय धरोहर के संपादक प्रवीण शर्मा और वासुकी फाउंडेशन के अध्यक्ष पी एन शर्मा ने किया। विचार गोष्ठी का संचालन प्रोफेसर सूर्य प्रकाश सेमवाल ने किया।

उत्तराखंड सरकार में राज्य मंत्री रहे सच्चिदानंद शर्मा पोखरियाल, रंगकर्मी बृजमोहन शर्मा वेदवाल, लेखिका बीना नयाल, पत्रकार सुषमा जुगरान ध्यानी, साहित्यकार अर्जुन सिंह रावत, समाजसेवी विनोद कबटियाल, विनोद नौटियाल, सकनोली विकास समिति के उपाध्यक्ष जगमोहन भट्ट, प्रीता शर्मा, कैलाश चंद्र शर्मा, पवन मैठाणी, शिवाकांत शर्मा, हरपाल सिंह आदि विचार गोष्ठी में मौजूद थे।