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सामाज सेवा के पटल में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को कार्य कर रहे समाजसेवी विनोद बच्छेती की प्रेरणा से दिल्ली में 27 जनवरी को सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक एकता का उत्तराखंडी महाकुंभ होने जा रहा है। जिसमें उत्तराखंड के कौने-कौने से बड़ी संख्या में लोगों पहुंचेगे।

इस उत्तराखंडी महाकुंभ में उत्तराखंड के हर जिले से सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विचारधारा के साथ आम लोग भी भागीदारी कर रहे है। जिनका मक्सद उत्तराखंड की संस्कृति, साहित्य एवं लोक परिवेश को जमीनी धरातल पर उतारना है। कार्यक्रम के संयोजक एवं समाज सेवी विनोद बच्छेती ने इस उत्तराखंडी महाकुंभ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस उत्तराखंडी महाकुंभ के मंच पर हम अपनी संस्कृति, अपने साहित्य, अपने लोक परिवेश के साथ-साथ उन बच्चों का सम्मान करने जा रहे है, जिन बच्चों ने देश की राजधानी में रहते हुए अपनी भाषा को सीखने और उसके प्रचार-प्रसार के लिए नयी भूमिका तय की। इस सांस्कृतिक कुंभ में हमारी लोक संस्कृति का समावेश होगा। साथ ही दिल्ली एनसीआर में जो हमारे लोग रह रहे हैं, उनकी सामाजिक एकता का सगंम देखने को मिलेगा। इसी के साथ इस महाकुंभ में महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान भी प्रदान किया जाएंगा।

श्री बच्छेती ने बताय कि इस उत्तराखंडी महाकुंभ में लगभग पचास हजार से ज्यादा लोग एकठा होने जा रहे है। जो इस मंच से बताएंगे की हम अपनी विचारधार, अपने सांस्कृतिक परिवेश और अपने पहाड़ होने के मायने के लिए जब एक जुट एक मुट होते हैं तो हमारा कुनवा विशाल जन समुह के साथ आगे बढ़ता है। जो सिर्फ वोट बैंक ही नहीं बल्कि खुद के वजूद को स्थापित करने की क्षमता भी रखता हैं। साथ ही सामाजिक चेतना के लिए आवाज़ उठाने में भूमिका निभाता है।

विनोद बच्चेछी ने बताया की हम इस महाकुंभ के मंच से भारत सरकार से मांग करते हैं कि गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा को संविधान के आठवीं सूची में शामिल करें। क्योंकि हमारी भाषा समाप्त होती जा रही है। हम अपने बच्चों को अपनी भाषा से जोड़ने का प्रयास कर रहे है। जिसके लिए हम स्कूलों के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उत्तराखंड के बच्चों को गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा सीखा रहे है। मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि इस दिशा में हमें बहुत बड़ी सफलता मिली है। हमारे बच्चे गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा को पढ़-लिख ही नहीं रहे है, बल्कि दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है। इन बच्चों को हम इस उत्तराखंडी महाकुंभ में सम्मानित करने जा रहे है। जिनकी संख्या लगभग एक हजार की करीब है।

श्री बच्छेती ने बताया कि हम पिछले कई वर्षों से दिल्ली में गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा अकदामी के गठन के लिए आंदोलन कर रहे है। जिसमें हमें बड़ी सफलता मिली और सरकार ने हमारी मांग को माना,जिसका परिणाम यह हुआ की आज दिल्ली में गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा अकादमी का गठन हो चुका है। यह सब तब हो पाया जब हम सब एक साथ हाथ से हाथ मिलाकर आगे बढ़े। साथ ही राजधानी में हम पिछले कई वर्षों से उत्तराखंडी लोक पर्व उत्तरायणी मना रहे है। इसके लिए हमने सरकार से निवेदन किया कि उत्तरायणी के हमारे लिए क्या मायने हैं। इसके लिए भी हम एक जुट एक मुट हुए तो सरकार को समझ आया की हमारी राजधानी में क्या भागीदारी है। जिसका सुफल परिणाम हैं कि आज दिल्ली एनसीआर में लगभग सौ जगहों पर उत्तरायणी धूम-धाम से मनाई गई।

उत्तराखंडी महाकुंभ के माध्यम से उत्तराखंडी समाज अपने सामाजिक,साहित्यिक परिवेश की धमक के साथ यह भी दिखाने का प्रयास करने जा रहा हैं कि पहाड़ के लोग राजधानी में रहते हुए सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक नहीं हैं बल्कि उनकी भी अपने दुःख-दर्द हैं,अपने मुद्दे हैं। जिनके लिए उन्हें अक्सर भटकना पड़ता है। अपने लोगों को न्याय दिलाने के लिए उन्हें संघर्षों की एक बड़ी लीक से गुजरना पड़ता है। ऐसे संघर्षों से कैसे निपटा जाएं,कैसे अपने लोगों के लिए एक साथ आकर आगे बढ़ा जाएं। इन तमाम मुद्दों को लेकर 27 जनवरी 2019 को दिल्ली के रास विहार,वेस्ट विनोद नगर मण्डावी मेट्रों स्टेशन के पास स्थिति डी.डी.ए.मैदान में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आवाह्न कार्यक्रम के संयोजक विनोद बच्छेती कर रहे है।

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