World television day

World television day : आज भले ही मनोरंजन और टेक्नोलॉजी के कितने भी साधन क्यों न उपलब्ध हो लेकिन जो बात टेलीविजन ने शुरू की थी वह आज भी कम नहीं हुई है। 80 के दशक में टेलीविजन हमारे जिंदगी से जुड़ गया था। यही कारण था उस दौर में टीवी तेजी के साथ लोकप्रिय हो गया। ‌पूरे घर के लोग एक साथ बैठकर टीवी पर फिल्में, गाने, सीरियल (धारावाहिक) आदि देखा करते थे। इस टेक्नोलॉजी के युग में टीवी ने भी अपने आप को हाईटेक किया है। ब्लैक एंड व्हाइट से शुरू हुआ ये सफर स्मार्ट टीवी तक पहुंच गया।

रविवार के मौके पर चर्चा करेंगे टीवी की।‌ हर साल 21 नवंबर को ‘वर्ल्ड टेलीविजन दिवस’ मनाया जाता है। अब बात को आगे बढ़ाते हैं और टीवी के शुरुआती दिनों को याद करते हैं। हमारे देश में टेलीविजन की समाज में सूचनाओं के आदान-प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 70 के दशक में टीवी का भारत में बहुत ही तेजी के साथ उदय हुआ। 80 के दशक में टीवी में शुरू हुए प्रसारणों ने घर-घर में लोगों को दीवाना बना दिया। संचार और वैश्वीकरण में काफी अहम भूमिका निभाई है। बता दें कि टीवी न सिर्फ जनमत को प्रभावित करता है बल्कि बड़े फैसलों पर असर डालता है। विश्व टेलीविजन दिवस को बढ़ावा देने के लिए लोग कई तरह की गतिविधियों का आयोजन करते हैं। पत्रकार, लेखक और ब्लॉगर्स टेलिविजन की भूमिका पर प्रिंट मीडिया, ब्रोडकास्ट मीडिया और सोशल मीडिया पर भी अपने विचार साझा करते हैं।

15 सितंबर 1959 को भारत में पहली बार टीवी का प्रसारण शुरू हुआ था

भारत में पहली बार टीवी 1950 में आया। चेन्नई के एक इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट ने प्रदर्शनी में पहली बार टेलीविजन सबके सामने रखा। अगर देश में प्रसारण की बात करें तो दिल्ली में 15 सितंबर 1959 में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया था। टेलीविजन के शुरुआती दिनों में हफ्ते में सिर्फ तीन दिन कार्यक्रम आते थे, वह भी सिर्फ 30-30 मिनट के लिए। लेकिन शुरू से ही यह लोगों का मनोरंजन और ज्ञानवर्द्धन करने लगा। जल्द ही यह लोगों की आदत का हिस्सा बन गया। साल 1982 में भारत में कलर (रंगीन) टेलीविजन आने के बाद इसका प्रभाव और बढ़ गया। उसके बाद 26 जनवरी 1993 को दूरदर्शन अपना दूसरा चैनल लेकर आया। इसका नाम था मेट्रो चैनल।

इसके बाद पहला चैनल डीडी 1 और दूसरा चैनल डीडी 2 के नाम से काफी लोकप्रिय हो गया। लेकिन धीरे-धीरे टेलीविजन का देश में प्रभाव कम होने लगा। करीब एक दशक से मोबाइल, इंटरनेट लैपटॉप और कंप्यूटर की आई सूचना क्रांति ने देश ही नहीं पूरे विश्व में टेलीविजन की धाक को कम कर दिया। दो दशक पहले लोगों को टेलीविजन देखने का बहुत ही जबरदस्त उत्साह रहता था। लेकिन धीरे-धीरे मोबाइल के आने पर यह उत्साह लोगों में कम होता गया। आज की अधिकांश युवा पीढ़ी मोबाइल या लैपटॉप पर ही टेलीविजन की भरपाई कर लेती है। कुछ साल पहले तक पूरे देश में घरों के ऊपर टेलीविजन के एंटीना दिखाई पड़ते थे, लेकिन समय के साथ गायब हो चुके हैं ।

21 नवंबर 1996 को यूएनओ ने घोषित किया था विश्व टेलीविजन दिवस

बता दें कि अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने साल 1927 में टेलीविजन का आविष्कार किया था। लेकिन इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप देने में 7 साल का समय लग गया और साल 1934 में टीवी पूरी तरह से तैयार हुआ। इसके बाद 2 साल के अंदर ही कई आधुनिक टीवी के स्टेशन खोल दिए गए। धीरे -धीरे यह मनोरंजन और सूचना के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस यानी ‘वर्ल्ड टेलीविजन डे’ के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी। दरअसल, इसी साल 21 नवंबर को पहले विश्व टेलीविजन फोरम की स्थापना की गई थी। इस फोरम की स्थापना के उपलक्ष्य में ही यह दिवस मनाया जाता है। इससे मीडिया को टीवी के महत्व पर चर्चा करने का एक प्लैटफॉर्म मिला। टेलीविजन जनसंचार का एक ऐसा माध्यम है जिससे मनोरंजन, शिक्षा, खबर और राजनीति से जुड़ी गतिविधियों के बारे में सूचनाएं मिलती हैं। मौजूदा दौर में टेलीविजन  सूचना प्रदान करके समाज में अहम भूमिका निभाता है।