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कल्जीखाल : उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बड़ी संख्या में बिहारी, नेपाली मजदूर आकर काम करते हैं। कोरना महामारी के बीच लॉकडाउन के चलते काम-धंधे बंद होने की वजह से ज्यादातर मजदूर अपने राज्यों को वापस लौट गए थे। परन्तु अब लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे ये दिहाड़ी मजदूर भी वापस आने लगे हैं। ऐसे में बाहरी राज्यों से गढ़वाल के गांवों में आने वाले इन मजदूरों के साथ कोरोना बीमारी आने का खतरा भी बढ़ गया है। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है।

पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत घण्डियाल में भी बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर किराये पर रहते थे, जोकि लॉकडाउन के दौरान अपने राज्य वापस लौट गए थे। इसबीच लॉकडाउन खुलने पर बीते 18 जुलाई को बिहार के किशनगंज से मो. मेराजुल आरफीन (उम्र 30 वर्ष) एवं मो. नजीमउदीन (उम्र 58 वर्ष) घण्डियाल वापस आए और सहायक नोडल अधिकारी एवं ग्राम प्रधान को सूचित किए बगैर सीधे अपने परिवार के साथ किराये के मकान में घुस गए। जिस मकान में वह रहते हैं, वह घण्डियाल बाजार के बीचों-बीच स्थित है। यही नहीं उसी मकान में वरिष्ठ जागरूक अध्यापक भी किराये पर रहते हैं। जब उन्होंने आपत्ति जताई तो आनन-फानन में दोनो व्यक्तियों को नोडल अधिकारी एवं उपप्रधान द्वारा प्राथमिक विद्यालय घण्डियाल में 14 दिनों के लिए कवारेंटाइन किया गया। यह मामला राजस्व उपनिरीक्षक के संज्ञान में गया उन्होंने क्या कार्यवाही की अभी इसकी जानकारी नही मिली है। परन्तु सवाल इस बात का है कि नियम कानून केवल स्थानीय लोगों के लिए ही बने हैं क्या? बाहरी मजदूरों के लिए नही, यदि पड़ोसी शिक्षक कोविड-19 के प्रति जागरूक नही होते और उक्त मजदूर कोरोना पॉजिटिव होते तो पूरा घण्डियाल बाजार कोरोना की चपेट में आ सकता था। इसलिए घण्डियाल बाजार के सभी मकान स्वामी, दुकानदार, किरायेदारों के प्रति जागरूक रहें। इस लापरवाही के खिलाफ पड़ोसी शिक्षक ने एसडीएम को पत्र लिखा है। ताकि कोई अन्य इस प्रकार कोविड-19 के नियमों का उलंघन न करें।

जगमोहन डांगी ग्रामीण पत्रकार