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उत्तराखंड में मानवीय और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हंस फाउंडेशन जनरल अस्पताल सतपुली ने 50 फीसदी जल चुके गरीब रमेश को जीवनदान दिया है। दुगड्डा निवासी रमेश एक गरीब मजदूर है। जो एक टेंट हाउस में काम कर अपने परिवार का लालन-पालन करता है। 14 दिसंबर को रमेश अपनी पत्नी के साथ अपने घर पर नाश्ता बनाने में सहयोग कर रहा था कि गैस रिसाव के कारण अचानक गैस सिलेंडर फट गया। जिसमें रमेश बुरी तरह झुलस गया।

रमेश के परिजनों ने बताया कि हम इस घटना से बहुत घबरा गए थे। जिसके बाद हम रमेश को जल्द से जल्द कोटद्वार एवं देहरादून के प्रतिष्ठित अस्पतालों में लेकर गए। लेकिन इन अस्पतालों ने रमेश को भर्ती करने से मना कर दिया। जिसके चलते हम और परेशान हो गए। उसी दौरान कुछ लोगों ने हमें रमेश को सतपुली स्थिति  द हंस फाउंडेशन जरनल अस्पताल के बारे में बताया और हम रमेश को हंस फाउंडेशन जरनल अस्पताल लेकर आए। जहां रमेश का अनुभवी चिकित्साकों की देखरेख में इलाज चल रहा है।hans-foundation-hospital-sa

द हंस फाउंडेशन जरनल के चिकित्सक डॉ. सुदर्शन गोस्वामी ने बताया कि दुगड्डा से लाया गया मरीज रमेश आग से बुरी तरह झुलसी स्थिति  में हमारे यहाँ लाया गया था। जो लगभग 50 फीसदी जला हुआ है। इस मरीज का पेट, हाथ और पैर बुरी तरह झुलसे हुए। जिसका हमारे यहाँ तत्काल इलाज शुरू किया गया। जिसकी बाद अब मरीज खतरे से बाहर है।

डाक्टर गोस्वामी ने बताया कि मरीज की हालत की नाजुकता को देखते हुए उसे इंटेंसिव केयर युनिट में रखा गया है। अस्पताल सबसे उच्च क्षमता की तकनीक का प्रयोग कर रहा है ताकि मरीज की हालत में जल्द से जल्द सुधार हो सके।

हंस फाउंडेशन जरनल अस्पताल के चिकित्सकों की देखरेख में रमेश का इलाज नि:शुल्क किया जा रहा है। जिसके लिए रमेश के परिजनों ने हंस कल्चर सेंटर एवं हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्त्रोत माताश्री मंगलाजी एवं भोले जी महाराज और द हंस फाउंडेशन जरनल अस्पताल के चिकित्सकों का आभार जताते हुए कहा कि माताश्री मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज जी के आशीष से हम जैसे गरीब लोगों के लिए यह अस्पताल किसी वरदान से कम नहीं है। आज माताश्री मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज जी के आशीर्वाद से हमारे परिवार के सदस्य को नया जीवन मिला है।

आपको बताते चलें कि 150 बैड की क्षमता के साथ विभिन्न रोगों के उपचार के लिए कई आधुनिक उपकरण एवं तकनीक से सुसज्जित द हंस फाउंडेशन जनरल अस्पताल सतपुली इससे पहले भी कई मरीजों को नया जीवन देने में अहम भूमिका निभा चुका है।

जगमोहन ‘आज़ाद’

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