नोएडा: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का मौजूदा लेवल अस्थमा के गंभीर मरीजों में अस्थमा का दौरा पैदा कर सकता है. इसी को देखते हुए शुक्रवार को अग्रणी पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. दीपक तलवार के नेतृत्व में संचालित, मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा में अत्यधिक उन्नत एवं अभिनव अस्थमा थेरेपी की स्थापना की गयी है, जिसे ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टीके नाम से जाना जाता है। इस प्रकार, लगातार और मुश्किल एस्थमा का प्रबंधन करने के लिए ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टी उपयोग करने के मामले में, मेट्रो रेस्पिरेटरी सेंटर, उत्तर प्रदेश में पहला, और दिल्ली एनसीआर में एम्स औरसर गंगाराम के बाद तीसरा ऐसा संस्थान बन गया है।
मेट्रो रेस्पिरेटरी सेंटर के डायरेक्टर एवं चेयरमैन, डॉ. दीपक तलवार ने कहा, “हमारे देश में अस्थमा सबसे आम पुराने विकारोंमें से एक है और कई अन्य कारणों के साथ, अधिकांश भारतीय शहरों, विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर की हवा में मौजूद छोटेनिलंबित कणों की उच्च मात्रा, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का कारण बनती है, क्योंकि ये कण वायुमार्ग और फेफड़ों में गहराई सेप्रवेश कर जाते हैं। हजारों अस्थमा रोगियों को वर्षों से तीव्र और लगातार रहने वाले अस्थमा का सामना करना पड़ रहा है तथाइनहेलर्स और नेबुलाइजर्स के माध्यम से दवा के निरंतर सेवन के बावजूद उन्हें सांस लेने में जबरदस्त कठिनाई होती है। इसतरह के दवा प्रतिरोधी रोगियों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि ब्रोंकियल थर्मोप्लास्टी नामक यह नयी अभिनव थेरेपीसांस लेना आसान और बेहतर कर सकती है।”
दुनिया भर में, ब्रोंकियल थर्मोप्लास्टी गंभीर अस्थमा के लिए एक आशाजनक उपचार है। फेफड़ों के अंदर कुछ मांसपेशियां होतीहैं जिन्हें ‘स्मूद मसल्स’ कहा जाता है, जो अस्थमा के दौरे के दौरान कठोर हो जाती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। ब्रोंकियल थर्मोप्लास्टी फेफड़ों में हवा का प्रवाह बढ़ाने के लिए हीट का इस्तेमाल करके इन मांसपेशियों पर दबाव पैदा करती है। डॉक्टर इस प्रोसीजर को तीन सत्रों में पूरा करता है। प्रत्येक सत्र एक घंटे का होता है और हर बार फेफड़ों केअलग-अलग हिस्सों का इलाज किया जाता है।
डॉ. तलवार ने आगे कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि ब्रोंकियल थर्मोप्लास्टी थेरेपीलेने के बाद, रोगी की जीवन शैली बेहतर हो जाती है और उन्हें न तो अपने काम से छुट्टी लेने की आवश्यकता होती है, न ही रोजमर्रा के कार्यों में कोई परेशानी होती है। अस्थमा के दौरे पड़ने पर आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है या फिर एक दिन के लिए इमर्जेंसी रूम में रहना पड़ता है, लेकिन नयी थेरेपी से ऐसा करने की नौबत नहीं आती है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में करीब डेढ़ से दो करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, जबकि कुछ अध्ययनों केमुताबिक यह संख्या तीन करोड़ से अधिक है। इनडोर और आउटडोर हवा में मौजूद प्रदूषकों, धूल कणों, पराग कणों, माइट्सऔर खतरनाक गैसों जैसे एलर्जीकारकों के संपर्क में आने पर, छोटे वायुमार्ग वाले मरीजों को परेशानी होती है। दिल्लीएनसीआर जैसे दुनिया के सर्वाधिक प्रदूर्षित शहरों में इनका प्रसार अधिक हो सकता है। ऐसी खतरनाक स्थिति में, ब्रोन्कियल थर्मोप्लास्टी जैसी उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी मरीजों के लिए राहत प्रदान करने वाले एक वरदान की तरह हो सकती है।