sharad-purnima-2018

शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु यानि सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है। सालभर की 12 पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा सबसे खास होती है। शरद पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर अमृत बरसाता है। शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। कहा जाता है कि गोपियों के अनन्य प्रेम को देखकर भगवान कृष्ण ने चंद्रमा को आदेश दिया था कि वह गोपियों पर प्रेम की वर्षा करें।

इस प्रकार चंद्रमा ने अपनी किरणों को बिखेर दिया। और किरणे अमृत मयी होकर भगवान कृष्ण पर पड़ी। और गोपियों मोहित हो गई। जिससे उन्हें अमृत्व प्राप्त हो गया। इस दिन चंद्रमा की किरणों अमृत मायी हो जाती हैं। इसलिए रात्रि के समय खीर बन कर खुले आसमान के नीचे रखकर उसका सेवन करने से सभी प्रकार के असाध्य रोग दूर हो जाते हैं।

इस पूर्णिमा को कोजागर व्रत भी कहा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी रात्रि के समय पर पृथ्वी पर भ्रमण करती है। और जो व्यक्ति रात्रि के समय जाग रहा होता है। उसे धन, धान्य और समृद्धि का वरदान भी देती है। इस रात्रि में जागरण करते हुए मां लक्ष्मी की आराधना करने से उनकी अपार कृपा होती है। क्योंकि इस व्रत नाम ही कोजागर है जिसका अर्थ होता है ‘कौन जाग रहा है‘ इस दिन मां लक्ष्मी का प्राकटय़ मनाया जाता है। आज ही के दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी।

इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है। शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की उपासना, कनक धारा स्त्रोत का पाठ, विष्णु सहस का नाम का पाठ, लक्ष्मी सूक्त एवं पुरुष सूक्त पाठ करते हुए षोडशोपचार पूजन करने से सभी प्रकार के कर्ज से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। व्यापार में सफलता मिलती है। विष्णु भगवान से 25 दिन पहले ही मां लक्ष्मी का जागरण हो जाता है। जन्म कुंडली में चंद्रमा के दोष का समन करने के लिए यह दिन सबसे खास होता है। शरद पूर्णिमा के दिन रात्रि में चंद्रमा को अध्र्य, खीर का भोजन, खीर का दान, महालक्ष्मी का पूजन, सफेद वस्त्रों को धारणा करना तथा मंदिर मे सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए