Mars will be the king of the new year

Special on Chaitra Navratri: हमारी भारतीय संस्कृति अपने आप में अनुपम विशिष्ट व प्रभाव कारी है। इस संस्कृति की अतुलनीयता के आधार पर ही हमारे भारत वर्ष की गरिमा जगत गुरु के रुप में रही है। इस सत्यता को मनुस्मृति में इस प्रकार से उद्घघटित किया है – यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता। अर्थात जिस कुल में नारियों की पूजा, उनका यथोचित सेवा सत्कार होता है, उस परिवार में दिव्य गुण, दिव्य भोग, उत्तम संतान होते हैं। जहां अनादर होता है, वहां सब प्रकार की क्रियायें निष्फल होती हैं।

सही अर्थों में चिन्तन मनन किया जाए तो नारी नर से बढ़कर है। नारी मनुष्य के जीवन में क्ई रूपों में अवतरित होती है। इसी कारण हमारी संस्कृति में नारी को देवी का रूप माना जाता है। इसका साक्षात प्रमाण नवरात्रि  का त्योहार है। नवरात्रि के आठवें नवें दिन नौ कुंवारी कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराने व यथोचित उपहार देने की परम्परा रही है। जीवन के विभिन्न रुपों में नारी ही सच्ची मार्ग दर्शिका होती है। मां ही जीवन का आधार तथा केन्द्र बिन्दु होती है। मां के बिना हम जीवन की कल्पना ही नही कर सकते हैं। मां बच्चे को नौ माह गर्भ  में धारण करके अनेक प्रकार के कष्ट सहन करती है। इसी कारण मां को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है।हमारी सनातन संस्कृति में गंगा माता गो माता पृथ्वी माता कहकर बडी निष्ठा व श्रद्वा के साथ सम्बोधित किया गया है।

नवरात्रि का अर्थ है नौ दिन और नौ रात्रि तक एकाग्रचित्त होकर मां शक्ति की आराधना में लीन होकर सम्पूर्ण भाव से जप तप करना, पूरे वर्ष में चैत्र, आषाढ, अश्विन एवं माघ मास में शुक्ल पक्ष के प्रथम नौ दिन मां शक्ति की पूजा के लिए परम शुभ माने जाते हैं। इन चारों महीनों में चैत्र माह बसन्तीय नवरात्रे एवं अश्विन माह में शारदीय नवरात्रे प्रमुख व विशिष्ट माने जाते हैं। आषाढ एवं माघ मास में मां शक्ति के पर्व गुप्त नवरात्रे के पर्व से जाने जाते हैं। सभी नवरात्रों में मां शक्ति की पूजा दुर्गा शफ्त शती के पाठों से की जाती है। ऋग्वेद में कहा गया है कि मां भगवती ही महत्वपूर्ण शक्ति है, उन्ही से सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है, इनके अतिरिक्त कोई दूसरी शक्ति नही।

इस वर्ष बसन्तीय नवरात्रे का शुभारंभ अमृत सिद्ध योग और अश्विनी नक्षत्र में 9 अप्रैल मंगलवार के दिन हो रहा है। इस योग चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि का उदय होना मां के भक्तो को बहुत ही शुभ कारी है। सच्चे भाव से मां की पूजा करने से सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होगें, सौर मंडल की सम्पूर्ण सत्ता मंगल ग्रह के हाथ में आ जायेगी, ये राजा बन जायेंगें, मन्त्री के रूप में शनि ग्रह अपने दायित्व का निर्वहन करेंगें। मां इस संवत्सर में  घोड़े मे सवार होकर भक्तो के यहां शुभागमन करेगी। 17अप्रैल को महानवमी के दिन कन्याओं  का पूजन करने के साथ मां के पुनीत पर्व का समापन होगा।

   नवरात्रि के पर्व पर  इन बातों का विशेष ध्यान रखना बहुत जरुरी है, तभी मां की कृपा बनेगी

  1. मां की नौ रुपों की पूजा बिशेष तरीके से करें, जिस दिन जिस रूप का दिन है, उस दिन उस रुप का ध्यान जरूर करें।
  2. नवरात्रि के समय सुबह 8बजे से पहले स्नान करें।
  3. नौ दिन तक ज्योति जलायें।
  4. नवरात्रि के शुभ दिनों में घर में जो भी भोजन बने उसका सबसे पहले मां को भोग लगांयें।
  5. सात्विक खाना खायें।
  6. अखण्ड ज्योति जलाने पर पूजा स्थल को खाली न छोडे।
  7. नवरात्रि के दौरान भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग बिल्कुल न करें।
  8. मांस मदिरा का प्रयोग न करें।
  9. जमीन पर शयन न करें।
  10. छोटी छोटी कन्याओं को भगवती रूप में मानकर प्रतिदिन श्रद्धा भाव से भोजन करायें।

इस प्रकार नवरात्रि के शुभ अवसर पर उपवास रखने से शरीर को भी आराम मिल जाता है। अच्छी सोच व सकारात्मक विचारों का प्रकटीकरण हो जाता है। मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है। किसी भी स्थिति में निरीह पशु की बलि नही देनी चाहिए। कन्या पूजन करने से सभी विघ्न बाधाएं दूर हो जाती है।जीवन के प्रति नवीन उत्साह संचार पैदा होता है।सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

चैत्र नवरात्र का शुभारंभ

चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 08 अप्रैल 2024 को रात में 11 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इसका समापन  09 अप्रैल रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, चैत्र माह का आरंभ 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन से होगा। इस दौरान कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा

घट स्थापना मुहूर्त

 सुबह 06 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक।

घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।

निम्नलिखित क्रम के अनुसार करें दुर्गा पूजा।

  1. चैत्र नवरात्र का पहला दिन – 09 अप्रैल, 2024 – मां शैलपुत्री पूजा
  2. चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन – 10 अप्रैल, 2024 – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
  3. चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन – 11 अप्रैल, 2024 – मां चंद्रघंटा की पूजा
  4. चैत्र नवरात्र का चौथा दिन – 12 अप्रैल, 2024 – मां कुष्माण्डा पूजा
  5. चैत्र नवरात्र का पांचवा दिन – 13 अप्रैल, 2024 – मां स्कन्दमाता पूजा
  6. चैत्र नवरात्र का छठा दिन – 14 अप्रैल, 2024 – मां कात्यायनी पूजा
  7. चैत्र नवरात्र का सातवां दिन – 15 अप्रैल, 2024 – मां कालरात्रि पूजा
  8. चैत्र नवरात्र का आठवां दिन – 16 अप्रैल, 2024 – मां महागौरी पूजा
  9. चैत्र नवरात्र का नौवां दिन – 17 अप्रैल, 2024 – मां सिद्धिदात्री पूजा और रामनवमी
  10. चैत्र नवरात्र का दसवां दिन – 18 अप्रैल, 2024 – मां दुर्गा विसर्जन

लेखक- अखिलेश चन्द्र चमोला

श्रीनगर गढवाल