Aditya L-1 Launch: चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब इसरो का आदित्य-एल1 सूर्य के सफर पर निकल चुका है। आज यानी शनिवार 2 सितम्बर को भारत ने अपना पहला सौर मिशन Aaditya L-1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से करीब 11.50 लांच किया। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण सौर मिशन है और इसको एल-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। इसके लांच से पहले सोमनाथ ने तिरुपति जिले के चेंगलम्मा मंदिर में पूजा अर्चना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, “संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।”

सोमनाथ ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि आदित्य एल-1 उपग्रह हमारे सूर्य का अध्ययन करने के लिए है। इसे एल-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे यह एक महत्वपूर्ण प्रेक्षपण है। आदित्य एल-1 के बाद हमारा अगला प्रेक्षपण गगनयान है जो अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लॉन्च होगा।

आदित्य एल-1 भारत की पहली अंतरिक्ष सौर वैधशाला है। और इसे पीएसएलवी-57 द्वारा लांच किया गया। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए सात अलग अलग पेलोड ले जाएगा। उनमें से चार सूर्य के प्रकाश का अध्ययन करेंगे और तीन सीटू पैरामीटर पर प्लाजमा और चुंबकीय क्षेत्र का। आदित्य एल-1 सबसे बड़ा और तकनीकी रुप से चुनौतिपूर्ण विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ( वीईएलसी) है। वीईएलसी को इसरो के सहयोग से होसाकोटे में भारतीय भौतिकी खगोल संस्थान के CREST परिसर में परीक्षण और आशांकित किया गया था।

आदित्य एल-1 को लेग्रेजियन प्वाइंट के चारो और प्रभामंडल कक्ष में स्थापित किया जाएगा। जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है। जिसको चार महीनें में पूरा करने की उम्मीद है।

Aditya-L1 क्या है?

आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। आदित्य-L1 का प्रक्षेपण आज सुबह 11:50 बजे किया गया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल1 का प्रक्षेपण किया गया। भारत का आदित्य एल1 अभियान सूर्य की अदृश्य किरणों और सौर विस्फोट से निकली ऊर्जा के रहस्य सुलझाएगा।

अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। दरअसल, लैग्रेंजियन बिंदु वे बिंदु हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।

Aditya-L1 कब पहुंचेगा अपने गंतव्य पर?

आदित्य एल-1 को लैंग्रेंजियन बिन्दु 1 (एल1) तक पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा। इस दौरान यह 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करेगा। चंद्रयान-3 की तरह यह भी अलग-अलग कक्षा से गुजरकर अपने गंतव्य तक पहुंचेगा। यानी, आदित्य एल-1 को भी सीधे नहीं भेजा गया है।

मिशन Aditya-L1 के उद्देश्य

भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।

मिशन के घटक ?

आदित्य-एल1 मिशन सूर्य का व्यवस्थित अध्ययन करने के लिए सात वैज्ञानिक पेलोड का एक सेट ले गया है। विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग यानी सौर कोरोना और सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोटों यानी कोरोनल मास इजेक्शन की गतिशीलता का अध्ययन करेगा।

सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) नामक पेलोड अल्ट्रा-वायलेट (यूवी) के निकट सौर प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा। इसके साथ ही SUIT यूवी के नजदीक सौर विकिरण में होने वाले बदलावों को भी मापेगा।