आज बात करेंगे पंजाब की। 4 दशक के बाद पंजाब एक बार फिर अशांत है। ‘खालिस्तान’ का भस्मासुर फिर से पंजाब से लेकर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन तक भारत के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। दो दशक से जहां पंजाब शांति की राह पर आगे बढ़ रहा था। लेकिन अब पिछले कुछ महीनों से पंजाब में जैसे हालात बनते जा रहे हैं वह एक भयावह संदेश भी दे रहे हैं। इसके साथ 80 के दशक के जलते पंजाब की यादें भी ताजा हो रही हैं। यही वह समय था जब इस राज्य में खालिस्तान बनाने की मांग ने पूरे देश अस्थिर करने का प्रयास किया था। उस दौर में खालिस्तानी समर्थकों (उग्रवादियों) ने हिंसा का सहारा लिया। इसके बाद पूरा पंजाब जल उठा था। हजारों बेकसूर लोगों के साथ कई बड़ी सियासी हस्तियों की भी हत्या हुई थी।
बता दें कि जरनैल सिंह भिंडरावाले ने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाई थी और पूरे पंजाब में कोहराम मचा दिया था। इसके बाद सड़कों पर कत्लेआम मच गया था। करीब एक दशक तक पंजाब जलता रहा। अब फिर से पंजाब में उथल-पुथल मची हुई है। इसकी शुरुआत खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने की है। अमृतपाल कई दिनों से देशभर में चर्चा में बना हुआ है। अमृतपाल सिंह के खिलाफ 3 केस दर्ज हैं, इनमें 2 हेट स्पीच के संबंधित हैं। लेकिन रविवार को ब्रिटेन स्थित लंदन भारतीय उच्चायोग में भी खालिस्तानी समर्थकों ने भारत सरकार के लिए चुनौती खड़ी करने की कोशिश की।
खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में लंदन में भारतीय हाई कमीशन में तोड़फोड़ की गई। रविवार शाम को सैकड़ों की संख्या में खालिस्तान समर्थक हाई कमीशन के बाहर जमा हुए। बिल्डिंग में घुसे और तिरंगा उतार दिया। हाई कमीशन पहुंचे खालिस्तान समर्थकों के हाथ में खालिस्तानी झंडा और अमृतपाल सिंह के पोस्टर थे। पोस्टर्स पर लिखा, ‘फ्री अमृतपाल सिंह’ (अमृतपाल सिंह को आजाद करो), ‘वी वॉन्ट जस्टिस’ (हमें न्याय चाहिए) और ‘वी स्टैंड विथ अमृतपाल सिंह’ (हम अमृतपाल के साथ हैं)। एक शख्स को ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ कहते हुए भी सुना गया। वहीं दूसरी ओरलंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने खालिस्तानियों को कड़ा जवाब देते हुए एक विशाल तिरंगा उच्चायोग पर लहरा दिया है।
बता दें कि रविवार को कुछ खालिस्तान समर्थकों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को उतारने की कोशिश की और खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की। हालांकि भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी ने हिम्मत दिखाते हुए खालिस्तानियों का विरोध किया और खालिस्तानी झंडे को फहराने की कोशिश कर रहे युवक से खालिस्तानी झंडा लेकर फेंक दिया। विदेश मंत्रालय ने एक कड़े बयान में कहा कि भारत को ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और कर्मियों की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन सरकार की बेरुखी देखने को मिली है, जो अस्वीकार्य है। सूत्रों ने कहा है कि ब्रिटिश उप उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट को घटना के मद्देनजर विदेश मंत्रालय में तलब किया गया क्योंकि उच्चायुक्त एलेक्स एलिस दिल्ली से बाहर हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ‘‘लंदन में भारतीय उच्चायोग के खिलाफ अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों द्वारा की गई कार्रवाई पर भारत का कड़ा विरोध जताने के लिए नई दिल्ली में ब्रिटेन की वरिष्ठ राजनयिक को आज देर शाम तलब किया गया।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘ब्रिटेन से सुरक्षा व्यवस्था की गैरमौजूदगी के लिए स्पष्टीकरण की मांग की गई, जिससे ये तत्व उच्चायोग परिसर में दाखिल हुए।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक को वियना संधि के तहत ब्रिटेन सरकार के बुनियादी दायित्वों की याद दिलाई गई। इस घटना के बाद देश में भी गुस्सा व्याप्त है। अब आइए जान लेते हैं कौन है अमृतपाल सिंह जो जरनैल भिंडरावाला की राह पर चल पड़ा है।
दीप सिंह सिद्धू की मौत के बाद दुबई से लौट अमृतपाल ने संभाली कमान, बन गया ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख
‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया अमृतपाल सिंह फरार है। 2 दिन पहले पंजाब पुलिस ने उसे पकड़ने का प्रयास किया था और पहले खबर भी आई थी कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन बाद में पुलिस ने स्वयं कहा था कि अभी वह पकड़ा नहीं गया है। उसे पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस लगातार दबिश दे रही है। पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है और पूरे राज्य में उसे तलाश रही है। पंजाब पुलिस का दावा है कि अमृतपाल अभी भी उसकी गिरफ्त से दूर है। वहीं, इस पूरे मामले में गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़कर 112 पहुंच गई है। पुलिस ने रविवार को बताया कि पूरे मामले में कई हथियार भी बदामद किए गए हैं, जिनकी वैधता की जांच की जा रही है। इस बीच रविवार रात अमृतपाल सिंह के ड्राइवर और उसके चाचा ने पुलिस के आगे समर्पण कर दिया। पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई पर देश से लेकर विदेश तक बवाल मचा हुआ है।
अमृतपाल सिंह का जन्म साल 1993 में अमृतसर के जल्लूपुर गांव में हुआ। अमृतपाल ने 12वीं तक पढ़ाई की है और अपने चाचा के ट्रांसपोर्ट के कारोबार में हाथ बंटाने के लिए 2012 में भारत से दुबई चला गया। वह छह महीने पहले सबकी नजरों में आया। पिछले साल एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिंह सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद उसने ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की कमान संभाली और दुबई से लौटकर भारत आया। सिद्धू से अमृतपाल की कभी मुलाकात नहीं हुई लेकिन उसका कहना है कि वह सिद्धू के ऑनलाइन वीडियो से काफी प्रभावित है। साल 2021 में किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर प्रदर्शन के दौरान अमृतपाल ने सिद्धू का समर्थन किया था। एक सप्ताह पहले सिद्धू की पहली पुण्यतिथि पर अमृतपाल ने कहा कि उसने अपने बाल काटने बंद कर दिए हैं। नवंबर 2021 में दिवंगत अभिनेता ने इस तरह की सलाह दी थी।
पिछले साल 25 सितंबर को अमृतपाल आनंदपुर साहिब गया और ‘अमृतधारी सिख’ बनने के लिए औपचारिक रूप से सिख धर्म अपनाया। एक इंटरव्यू में अमृतपाल ने बताया कि उनका जन्म और पालन-पोषण अमृतसर के जादू खेड़ा गांव में हुआ है। उसकी शादी 10 फरवरी 2023 को बाबा बकाला में हुई। अमृतपाल सिंह के खिलाफ तीन केस दर्ज हैं। दो केस नफरती भाषण और एक केस अपहरण से जुड़ा हुआ है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अमृतपाल सिंह की शादी ब्रिटेन की एनआरआई किरणदीप कौर से हुई है। अमृतपाल अपना पहनावा भिंडरवाला की तरह रखता है। वह उसी अंदाज में पगड़ी पहनता है जैसा कि भिंडरवाला पहनता था। अमृतपाल को लेकर खुफिया विभाग ने जारी किया अलर्ट। दिल्ली और आसपास के इलाकों को सतर्क रहने का आदेश जारी हुआ है। खुफिया विभाग की तरफ से दिल्ली और आसपास के इलाकों में अलर्ट रहने को कहा गया है। खास तौर पर उन इलाकों में जंहा पंजाब के लोग रहते है।
80 के दशक में खालिस्तान की मांग बनाने वाला जरनैल सिंह भिंडरावाला ने देश को किया था डिस्टर्ब
पंजाब में 80 के दशक में जरनैल सिंह भिंडरावाला ने पूरे देश को डिस्टर्ब कर दिया था। जरनैल सिंह धर्म और ग्रंथों की शिक्षा देने वाली संस्था ‘दमदमी टकसाल’ का अध्यक्ष चुना गया, उसके बाद उसके नाम के साथ भिंडरावाले जुड़ गया, तब उसकी उम्र करीब 30 साल थी। कुछ ही महीनों बाद भिंडरावाले ने पंजाब में उथल-पुथल पैदा कर दी। 13 अप्रैल 1978 को अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसमें 13 अकाली कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। इसके बाद रोष दिवस मनाया गया। इसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले ने हिस्सा लिया। भिंडरावाले ने पंजाब और सिखों की मांग को लेकर कड़ा रवैया अपनाया। वो जगह-जगह भड़काऊ भाषण देने लगा।
80 के दशक की शुरुआत में पंजाब में हिंसक घटनाएं बढ़ने लगीं। 1981 में पंजाब केसरी के संस्थापक और संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हो गई। पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं के लिए भिंडरावाले को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण गिरफ्तार नहीं किया जा सका।
अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। कुछ दिन बाद पंजाब रोडवेज की बस में घुसे बंदूकधारियों ने कई हिंदुओं को मार दिया। बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच इंदिरा गांधी ने पंजाब की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लगा दिया। पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए भिंडरावाले को पकड़ना बहुत जरूरी था। इसके लिए इंदिरा गांधी की सरकार ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ लॉन्च किया। 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ शुरू किया गया। एक जून से ही सेना ने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी शुरू कर दी थी।
पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों को रोक दिया गया. बस सेवाएं रोक दी गईं। 3 जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया। 4 जून की शाम से सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी। अगले दिन सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक भी स्वर्ण मंदिर पर पहुंच गए। भीषण खून-खराबा हुआ। 6 जून को भिंडरावाले को मार दिया गया। उसके बाद उसी साल खालिस्तानी समर्थकों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या अक्टूबर 1984 को राजधानी दिल्ली स्थित आवास पर ही गोली मारकर हत्या कर दी थी।
90 के दशक में पंजाब में धीरे-धीरे स्थित आने लगी और सब कुछ शांत हो गया। लेकिन अब अमृतपाल सिंह ने एक बार फिर से पंजाब में उथल-पुथल मचा रखी है। ऐसा नहीं है कि अमृतपाल सिंह की गतिविधियों पर केंद्र चुपचाप बैठा है। केंद्र सरकार का एक्शन जल्द ही सामने दिखाई देगा।