Bhartruhari Mahtab Protem Speaker of Lok Sabha

Protem Speaker: भारतीय जनता पार्टी के सांसद भर्तृहरि महताब को 18वीं लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को आज सुबह राष्ट्रपति भवन में 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई। भर्तहरि महताब ओडिशा के कटक से बीजेपी के सांसद हैं। वे यहां से सात बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि उनकी नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है।

कौन हैं भर्तृहरि महताब

भर्तृहरि महताब ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री डॉ. एच महताब के बेटे हैं। कभी नवीन पटनायक के बेहद खास रहे महताब, बीजू जनता दल के संस्थापक सदस्य रहे हैं। महताब 6 बार BJD के टिकट पर ही लोकसभा पहुंचे। हालांकि हालिया लोकसभा चुनाव से पहले भर्तृहरि महताब ने BJD छोड़कर BJP की सदस्यता ले ली थी और अब वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।

कब होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति?

नई लोकसभा के गठन होने के बाद और लोकसभा अध्यक्ष के चयन से पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है। संसदीय परंपरा के अनुसार प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य को तरजीह दी जाती है। वरिष्ठ सांसद सत्ता पक्ष या विपक्ष किसी का भी हो सकता है। इसके बाद सत्तारूढ़ दल संसदीय मामलों के मंत्रालय के जरिए प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति को भेजता है।

क्या होता है प्रोटेम स्पीकर का पद और काम?

प्रोटेम स्पीकर को अस्थायी स्पीकर भी कहते हैं। प्रोटेम स्पीकर की प्राथमिक भूमिका नए सदस्यों को शपथ दिलाना है। प्रोटेम स्पीकर की अध्यक्षता में सभी लोकसभा सदस्य शपथ ग्रहण करते हैं। सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण के बाद लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होता है। प्रोटेम स्पीकर लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक पीठासीन अधिकारी के रूप में काम करता है। लोकसभा का पीठासीन अधिकारी होने के नाते स्पीकर की लोकसभा के संचालन में अहम भूमिका होती है। स्पीकर का चुनाव बहुमत के आधार पर होता है, लेकिन जब तक स्पीकर का चुनाव नहीं होता है, तब तक लोकसभा की अहम जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रोटेम स्पीकर को चुना जाता है। यही वजह है कि प्रोटेम स्पीकर को अस्थायी स्पीकर भी कहते हैं। संविधान में प्रोटेम स्पीकर के पद का जिक्र नहीं है, लेकिन संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ का जिक्र है। बता दें कि देश में आजादी से अभी तक लोकसभा अध्यक्षों का चयन सर्वसम्मति से होता आया है। लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता प्रोटेम स्पीकर करता है।

कहां से आया प्रोटेम शब्द?

लैटिन भाषा के प्रो टैम्पोर शब्द का संक्षिप्त रूप ही प्रोटेम है। जिसका अर्थ ‘कुछ समय के लिए’ होता है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति तब तक की खातिर होती है जब तक नए लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती है।

कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चुनाव?

संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली के अनुसार, नई लोकसभा द्वारा जब तक स्पीकर की नियुक्ति नहीं की जाती है, तब तक स्पीकर की जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए राष्ट्रपति सदन के ही किसी सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं। नई लोकसभा के सदस्यों को शपथ ग्रहण कराना प्रोटेम स्पीकर का प्राथमिक काम है। नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा तीन अन्य लोकसभा सांसदों को भी सांसदों को शपथ दिलाने के लिए नियुक्त किया जाता है। सामान्यतः संसद के सबसे वरिष्ठ सांसद को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, लेकिन अपवाद भी हो सकते हैं।

राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के तीन अन्य निर्वाचित सदस्यों को भी सांसदों के समक्ष शपथ लेने के लिए नियुक्त किया जाता है। पुस्तिका के अनुसार, सदन की सदस्यता के वर्षों की संख्या के संदर्भ में सबसे वरिष्ठ सदस्यों को आम तौर पर इस उद्देश्य के लिए चुना जाता है। हालांकि इसमें अपवाद भी हो सकता है।

जैसे ही नई सरकार का गठन होता है, तो उसके बाद सरकार का विधायी विभाग लोकसभा के वरिष्ठ सांसदों की लिस्ट तैयार करता है। इस लिस्ट को संसदीय मामलों के मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजा जाता है। प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद प्रोटेम स्पीकर और तीन अन्य सांसदों के नाम संसदीय मामलों के मंत्री राष्ट्रपति को इन नामों की जानकारी देते हैं। वहां से मंजूरी मिलने के बाद नामों का एलान कर दिया जाता है।

क्या है भर्तृहरि महताब के नाम पर विवाद

जैसे ही संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने भर्तृहरि महताब के नाम का एलान किया था, वैसे ही कांग्रेस ने विरोध करना शुरू कर दिया। कांग्रेस का कहना है कि उनकी पार्टी के आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश सबसे वरिष्ठ सांसद हैं, ऐसे में उन्हें लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए, जबकि महताब सात बार के ही सांसद हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वरिष्ठता की अनदेखी कर भाजपा संसदीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि परंपरा के अनुसार, जिस सांसद ने संसद में अधिकतम कार्यकाल पूरा किया है, उसे प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए।

सरकार का जवाब

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार कर कहा कि महताब लगातार सात बार के लोकसभा सदस्य हैं, जिससे वह इस पद के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि सुरेश 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे, जिस कारण उनका मौजूदा कार्यकाल निचले सदन में लगातार चौथा कार्यकाल है। इससे पहले, वह 1989, 1991, 1996 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए थे।