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देहरादून: पेशावर काण्ड के महानायक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय वीरचंद्र सिंह गढ़वाली के परिवार को उत्तर प्रदेश के वन विभाग द्वारा जमीन खाली कराने का नोटिस जारी कर प्रताड़ित किए जाने से आहत स्व. गढ़वाली जी के परिजनों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उन्हें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भेजने की गुजारिश के बाद से उत्तराखण्ड सरकार हरकत में आ गई है।

मामले को गंभीरता से लेते हुए वन मंत्री तथा कोटद्वार विधायक डॉ. हरक सिंह रावत ने आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भावुक पत्र लिखकर उन्हें उत्तराखण्ड के लोगों की भावनाओं से अवगत कराया।  अपने पत्र में डॉ. रावत ने पेशावर काण्ड के महानायक, स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय वीरचंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को 90 साल के लीज पर दी गई जमीन का शुल्क माफ करने की गुजारिश की है। तथा स्वर्गीय वीरचंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को जमीन खाली करने का नोटिस जारी करने वाले वन विभाग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

बता दें कि वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को भारतीय इतिहास में पेशावर कांड के नायक के रूप में याद किया जाता है। 23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चन्द्र सिंह गढवाली के नेतृत्व में रॉयल गढवाल राइफल्स के जवानों ने पेशावर में भारत की आजादी के लिये लड़ने वाले निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से मना कर दिया था। अंग्रेजी हुकूमत का आदेश न मानने पर गढ़वाली पल्टन हथियार ले लिये गये और उन्हें बैरक में भेज दिया गया। तथा चन्द्रसिंह गढ़वाली को गिरफ्तार कर 11 साल के लिए जेल में ठूंस दिया गया। और उनपर मृत्युदंड का मुकदमा चलाया गया। वैरेस्टर मुकुंदीलाल ने चन्द्र सिंह गढवाली का केस लड़ा और उनकी सजा मृत्युदंड से आजीवन कारावास में बदलवाई। इस बीच उन्हें गम्भीर यातनाएं दी गई और उनकी सारी सम्पति जफ्त कर ली गई थी।

उनकी वीरता को देखते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें गढ़वाली की उपाधि दी थी। उनकी वीरता को देखते हुए सरकार ने भी उन्हें 21 जनवरी 1975 को अभिभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान बिजनौर जिले की साहनपुर रेंज के हल्दूखाता वन क्षेत्र में वन रक्षक चौकी के पास 10 हेक्टेयर जमीन 90 साल के लीज पर दी थी।
आज उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वे लीज शुल्क देने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में वीर गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर उन्हें यह ज़मीन खाली करने का लिखित फरमान सुना दिया गया है। जिस देश की आज़ादी के लिए वीर गढ़वाली ने कालापानी की सजा भुगतने के साथ ही अंग्रेजो की दर्दनाक यातनाएं झेली थी। अब उनके परिजनों को उस देश को छोड़ कर पाकिस्तान में शरण लेने के लिए प्रधानमंत्री से गुजारिश करनी पड़ रही है,  इससे शर्म की बात प्रदेश और देश के लिए और क्या हो सकती है।