Draupadi Murmu was sworn in by the CJI as the President of India

नई दिल्ली : नव निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में विधिवत रूप से देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। सपथ ग्रहण समारोह में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) एनवी रमना द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद की शपथ दिलाई। इस दौरान उनके सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी गयी। सपथ ग्रहण समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेता व हस्तियां मौजूद रहे। नव निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शपथ ग्रहण से पहले अपने आवास से राजघाट पहुंची और यहां बापू को नमन किया। वह देश की 15वीं और पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनी। वहीं, आजादी के 75वें साल में द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं।

नव निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने 18 मिनट के पहले संबोधन में कहा, “मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूं। आपकी आत्मीयता, विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे। मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है, जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।”

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु है। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गांव के प्रधान रहे। मुर्मू मयूरभंज जिले की कुसुमी तहसील के गांव उपरबेड़ा में स्थित एक स्कूल से पढ़ी हैं। यह गांव दिल्ली से लगभग 2000 किमी और ओडिशा के भुवनेश्वर से 313 किमी दूर है। उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया था। अपने पति और दो बेटों के निधन के बाद द्रौपदी मुर्मू ने अपने घर में ही स्कूल खोल दिया, जहां वह बच्चों को पढ़ाती थीं। उस बोर्डिंग स्कूल में आज भी बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। उनकी एकमात्र जीवित संतान उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहती हैं।

द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया और उसके बाद धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति में कदम रखा। साल 1997 में उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उनके राष्ट्रपति बनने पर दुनियाभर के नेताओं ने इसे भारतीय लोकतंत्र की जीत करार दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संदेश में कहा कि एक आदिवासी महिला का राष्ट्रपति जैसे पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मुर्मू का निर्वाचन इस बात का प्रमाण है कि जन्म नहीं, व्यक्ति के प्रयास उसकी नियति तय करते हैं। वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र प्रमुख पद पर पहुंचना उनकी ऊंची शख्सियत का ही परिणाम है।

25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की शुरुआत 45 वर्ष पहले हुई थी

देश की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गईं द्रौपदी मुर्मू आज सुबह 10:15 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में पद और गोपनीयता की शपथ ली। बता दें कि 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने वाली द्रौपदी मुर्मू ने पुरानी परंपरा को बरकरार रखा है। द्रौपदी 45 वर्षों से चली आ रही 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की परंपरा निभाई। दरअसल यह परंपरा आज की नहीं वर्षों पुरानी है और तब से ऐसी ही बनी हुई है। द्रौपदी मुर्मू से पहले भी जो राष्ट्रपति थे उन्होंने 25 जुलाई को ही शपथ ली थी। देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी 25 जुलाई को शपथ ली थी। उनसे पूर्व प्रणब मुखर्जी ने भी 25 जुलाई को ही शपथ ग्रहण किया था। देश में कुल ऐसे अब तक 9 राष्ट्रपति हुए हैं, जिन्होंने 25 जुलाई को अपने पद की शपथ ली है। इनमें सबसे पहला नाम देश के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का आता है। उन्होंने 25 जुलाई 1977 को देश के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।

दरअसल, देश में जब इंदिरा गांधी की सरकार ने इमरजेंसी लगाई थी तो उसके बाद जब पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए चुना हुआ तो पूर्व में जनता पार्टी के नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी को जीत हासिल हुई थी। हालांकि इसका कोई खास कारण नहीं है। दरअसल, देश के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने जब 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो उसके बाद जिन भी राष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया उन सभी ने इसी तारीख को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। 1977 में आज के ही दिन नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति बने थे। तब पहली बार किसी राष्ट्रपति को निर्विरोध चुना गया था। आंध्र प्रदेश में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी सबसे कम उम्र वाले राष्ट्रपति भी थे। तब उनकी उम्र 64 साल थी। उनकी शपथ के साथ ही देश में 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की परंपरा शुरू हुई, जो अब भी जारी है। बतौर राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने तीन प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाई और उनके साथ काम किया। इनमें जनता पार्टी के मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और कांग्रेस की इंदिरा गांधी शामिल हैं।

नीलम संजीव रेड्डी के बाद अब तक देश के कुल 8 राष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। उन सभी राष्ट्रपति पद की शपथ 25 जुलाई को ली है । पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली।