World Happiness Ranking : विश्व के सबसे खुशहाल (हैप्पीनेस) देशों की रैंकिंग जारी कर दी गई है। जारी की गई रैंकिंग के मुताबिक फिनलैंड एक बार फिर दुनिया में हैप्पीनेस देशों में पहले स्थान पर आया है। जबकि एशिया का कोई भी देश टॉप 20 में भी अपनी जगह नहीं बना सका। इस बार भी भारत की स्थिति खुशहाल देशों में संतोषजनक नहीं रही। भारत इस लिस्ट में पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है। 150 देशों की इस लिस्ट में भारत 136वें नंबर पर है।हालांकि पिछले रैंकिंग के मुकाबले भारत की स्थिति कुछ ठीक हुई है।
किस आधार पर जारी की जाती है हैप्पीनेस रैंकिंग
आइए जानते हैं हैप्पीनेस रैंकिंग किस आधार पर जारी की जाती है। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट ने दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की लिस्ट बनाते वक्त इन देशों के लोगों की लाइफस्टाइल, वहां की जीडीपी, सोशल सपोर्ट, बेहद कम भ्रष्टाचार और एक दूसरे के प्रति दिखाए गए प्रेम को आधार बनाया है। इसी आधार पर वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट ने अपनी रैंकिंग में फिनलैंड को इस बार भी सबसे ऊपर रखा है। हालांकि अगर हम इस रिपोर्ट में सबसे नीचे नजर डालें तो वहां हमें अफगानिस्तान 146वें पायदान पर मिलेगा।
फिनलैंड के इस खुशहाली का राज क्या है
दरअसल, फिनलैंड जैसे देश उन चीजों में बेहतर हैं जिनकी वजह से ज्यादातर दुनियाभर के देश इस वक्त संघर्ष कर रहे हैं। इनमें जीडीपी, लाइफ़स्टाइल शिक्षा, स्वास्थ्य, सोशल सपोर्ट और भ्रष्टाचार बेहद अहम मुद्दे हैं। फिनलैंड में वहां के लोगों के लिए अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य, एक बेहतरीन लाइफस्टाइल जैसी कई चीजें सरकार की ओर से या तो एकदम फ्री हैं या फिर बिल्कुल ही कम कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा सुरक्षा के बेहतर इंतजाम, अच्छी पुलिसिंग सिस्टम, मानवाधिकार की बेहतर निगरानी, उच्च इनकम लेवल, कम करप्शन जैसी चीजें कड़े कानून और मजबूत सिस्टम के साथ सुनिश्चित की जाती हैं। जिससे आम लोगों की जिंदगी काफी आसान हो जाती है। फिनलैंड की 90 फीसदी से अधिक आबादी की जिंदगी हर नजरिए से संतुलित मानी जाती है। यानी वहां के लोग जितनी कोशिश अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करते हैं, उतनी ही कोशिश वहां की सरकार भी अपने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए करती है। यही वजह है कि पिछले 6 वर्षों से फिनलैंड वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में पहले नंबर पर बना हुआ है। इस देश की आबादी 55 लाख से अधिक है। हैप्पीनेस इंडेक्स में फिनलैंड को 7.842 अंक प्राप्त हुए हैं।
फिनलैंड के बाद डेनमार्क को दूसरा स्थान मिला है। तीसरे नंबर पर आइसलैंड, इजराइल चौथे, नीदरलैंड पांचवें नंबर पर है। हैप्पीनेस रैंकिंग में छठें स्थान पर स्वीडन, सातवें पर नॉर्वे, आठवें पर स्विट्जरलैंड, 9वें पर लक्जमबर्ग और 10वें पर न्यूजीलैंड है। इनमें से कोई भी एशियाई देश नहीं है। अमेरिका इस लिस्ट में 15वें नंबर पर है और ब्रिटेन 19वें स्थान पर है। 150 देशों की इस लिस्ट में भारत 136वें नंबर पर है। भारत की रैंकिंग में 3 स्थानों का उछाल आया है। पिछली बार भारत 139वें स्थान पर था।
कोरोना काल के दौरान साल 2020 से 2022 के बीच यह रैंकिंग जारी नहीं की गई थी। वहीं अफगानिस्तान को दुनिया में सबसे नाखुश देश माना जाता है। वह इस सूची में 146वें स्थान पर है। इस सूची में नेपाल (84), बांग्लादेश (94), पाकिस्तान (121) और श्रीलंका (127) स्थान पर है। इस साल की रैंकिंग में 150 से ज्यादा देशों के इन डेटा का अध्ययन करने के बाद लिस्ट तैयार की गई है। इस बार 2020 से 2022 तक देशों के औसत जीवन मूल्यांकन के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र स्थायी विकास उपाय नेटवर्क द्वारा जारी की गई है और इसमें कहीं कहीं, सामाजिक सहयोग, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रत्येक देश में भ्रष्टाचार के स्तरों जैसे कारकों पर ध्यान देते हुए खुशी के स्तरों का मूल्यांकन किया जाता है।
इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक वैश्विक रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संभव है कि जल्द ही भारत ‘घृणा और यादाश्त’ में ऊपरी स्थान पर पहुंच जाए। उन्होंने ‘विश्व हिमायत रिपोर्ट’ का हवाला दिया, जिसमें भारत 136वें स्थान पर है।