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भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन:

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन प्रत्येक वर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। तथा भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। वैसे आजकल रक्षा बंधन में भाई बहनों को अपनी हैसियत के अनुसार उपहार देने का प्रचलन हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन 26 अगस्त रविवार को है।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त:

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त प्रातः 9:50 से 12:15 तक स्थान (देश), समय, परिस्थिति, अनुसार साईं पूर्णिमा रहते 5:00 बजे तक कोई दोष नहीं है।

रक्षा सूत्र बंधते समय एक श्लोक का उच्चारण किया जाता है। यह श्लोक है
येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबली।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। 

इसमें कहा गया है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेंद्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।rakhi

रक्षाबंधन क्यों और कब शुरू हुआ:

रक्षा सूत्र या रक्षा बंधन कब शुरू हुआ इसका कोई ठोस प्रमाण तो नहीं है। परन्तु पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं।
देव, दानव कथा

पुराणों के अनुसार एक बार जब देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हुआ और दानव, देवताओं पर हावी होते नज़र आने लगे तब देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी इंद्राणी रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर के अपने पति के हाथ पर बांध दिया। वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इंद्र इस लड़ाई में इसी धागे की मंत्र शक्ति से विजयी हुए थे।

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भगवान विष्‍णु और राजा बलि, वामन अवतार कथा:

वामन अवतार कथा के अनुसार जब भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण असुरों के राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें। राजा बलि की दान वीरता से खुश होकर भगवान् विष्णु ने राज बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल में बसने का वर मांग लिया। बलि की इच्‍छा पूर्ति के लिए भगवान को पाताल जाना पड़ा। भगवान विष्‍णु के पाताल से वापस लाने के लिए माता लक्ष्‍मी गरीब स्‍त्री बनकर राजा बलि के पास पहुंची और उन्‍हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी. बदले में भगवान विष्‍णु को पाताल लोक से वापस ले जाने का वचन ले लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी और मान्‍यता है कि तभी से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।

श्री कृष्ण, द्रौपदी महाभारत कथा:

रक्षाबंधन का जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है जब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी उंगली कट जाने से खून बह रहा था जिसे देख द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर श्री कृष्ण अंगुली पर बांध दिया था. कहते हैं कि उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी। श्रीकृष्ण ने बाद में द्रौपदी के चीर-हरण के समय उनकी लाज बचाकर भाई का धर्म निभाया था।

बादशाह हुमायूं, रानी कर्मवती:

इसके अलावा रक्षाबंधन मनाए जाने के ऐतिहासिक तथ्य भी पढने को मिलते है। मुगल काल में एक बार जब बादशाह हुमायूं चितौड़ पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ रहा था। उस समय चित्तौड़ के महाराजा राणा सांगा की विधवा रानी कर्मवती ने हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया। जिसके बाद हुमायूं ने चितौड़ पर आक्रमण नहीं किया। और आगे चलकर उसी रक्षा सूत्र की लाज रखते हुए हुमायूं ने चितौड़ की रक्षा के लिए बहादुरशाह के विरूद्ध लड़ते हुए कर्मवती और उसके राज्‍य की रक्षा की।

रक्षाबंधन पर उत्तराखण्ड के गढ़ रत्न नरेंद सिंह नेगी जी का गाया गीत यूट्यूब के सौजन्य से जरुर सुनें.