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Senior Citizen Day: चाहे घर हो समाज हो या किसी भी क्षेत्र में वरिष्ठ सीनियर बुजुर्ग लोगों की अहमियत हमेशा से रही है। उनका अनुभव प्रेरणादायक होता है। यही नहीं वे क्या अच्छा क्या बुरा है, घर-परिवार के सदस्यों को बताते रहते हैं। वरिष्ठ नागरिक उम्र के इस पड़ाव में कई बाधाओं को पार करके पहुंचते हैं। सुख-दुख हो चाहे हताशा भरे माहौल में वृद्ध लोगों की बातें मन को सुकून देती हैं।

आज ‘अंतरराष्ट्रीय सीनियर सिटीजन डे’ है, और हम चर्चा करेंगे वरिष्ठ नागरिकों की। अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस हर साल 21 अगस्त को मनाया जाता है। ‘बुजुर्ग लोगों की जिंदगी और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए इस दिन को दुनिया भर में मनाया जाता है’। विभिन्न कार्यक्रमों को व्यवस्थित करके वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाते हुए लोग इसका आनंद उठाते हैं। इस दिन को चिह्नित करने के लिए लोगों द्वारा कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। देश में बुजुर्गों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। ये एक ऐसी अवस्था है जब तन ही नहीं, व्यक्ति मन से भी बीमार पड़ने लगता है। ऐसे में बुजुर्गों को खास देखभाल की जरूरत होती है।

इस दिवस की शुरुआत वृद्ध लोगों को प्रभावित करने वाले कारकों और उनके मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई है, जिनमें बढ़ती उम्र के साथ सेहत में गिरावट और बुजुर्ग लोगों के साथ दुर्व्यवहार शामिल है। इस दिवस को समाज की ओर बुजुर्ग लोगों द्वारा दिए योगदान के लिए भी मनाया जाता है। ‘सीनियर सिटीजन डे जश्न मनाने का एक कारण यह भी है कि बुजुर्गों ने अपने बच्चों के लिए जो कुछ भी किया है उसके लिए उनको धन्यवाद देना और सम्मान करना है’। वे अपना पूरा जीवन परिवार के लिए निस्वार्थ सेवा करने में लगे रहते हैं।

बुजुर्गों के लिए साल में एक विशेष दिन समर्पित करना अपने परिवार को अपने बड़ों के प्रति प्यार और लगाव को समझने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन पोते-पोतियों के लिए अपने दादा-दादी के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक दिन है और माता-पिता यह महसूस कराने का कि वे ऐसे बुजुर्गों को पाकर ईश्वर के कितने आभारी हैं। लोग अपने अभिभावकों के लिए उनका धन्यवाद करने के लिए प्रयास करते हैं जिन्होंने इतने सुंदर तरीके से अपना जीवन बना लिया है।

भारत में भी सीनियर सिटीजन के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चलाती हैं

दुनिया के तमाम देशों में सरकारें अपने देश के वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई योजनाएं चला रहीं हैं। भारत में कई लोगों के समूह द्वारा किए गए कई गतिविधियों के रूप में भारत में यह समारोह विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है। केंद्र और राज्य सरकारें ऐसे लोगों के कल्याण के लिए उपायों की स्थापना कर रही हैं और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की भी वकालत कर रही है। योजनाबद्ध अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं कि वृद्धों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

अगर बुजुर्गों को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो हर देश की सरकार वहां के वरिष्ठ नागरिकों का खास ख्याल रखती है। वहीं बुजुर्ग किसी पर आश्रित न रहें, इसके लिए उनके पेंशन की व्यवस्था भी की गई है। 60 वर्ष से ऊपर के प्रत्येक नागरिक सभी सरकारी सुविधाओं के हकदार हैं। वहीं इस दिन सुविधाओं, सरकारी सहायता की कमी और उनके उन्नयन और सुधार के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

इसके अलावा इस दिन कुछ संगठन और स्कूल इस दिवस के बारे में ज्ञान प्रसार करने के लिए विभिन्न थीमों के साथ विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। स्कूलों में बच्चों के दादा-दादी को आमंत्रित किया जाता है जहां हमारे देश के वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान देने के लिए विशेष प्रदर्शनकारी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

साल 1990 से अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाने की हुई थी शुरुआत

यहां हम आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 दिसंबर 1990 में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। वहीं पहली बार 1 अक्टूबर 1991 को अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया गया था। अमेरिका में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 19 अगस्त 1988 को इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए और 21 अगस्त 1988 को संयुक्त राज्य में पहली बार अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया गया। वहीं रोनाल्ड रीगन वरिष्ठ नागरिक दिवस को पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे।

यह दिन दुनिया भर में बुजुर्गों की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ उनके योगदान की समस्याओं को प्रतिबिंबित करने के लिए मनाया जाता है। वहीं भारतीय संस्कृति में बड़ों का सम्मान करना बहुत ही पवित्र और धार्मिक माना जाता है। श्रवण भगत की पितृ सेवा की कहानी हर घर में बताई जाती है। इस तरह ये पितृ सेवा अनुष्ठान अगली पीढ़ी को और उनसे अगली पीढ़ियों को प्रेषित की जाती है। अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस पर आओ हम भी माता-पिता, दादा-दादी और वरिष्ठ बुजुर्गों का सम्मान करें और उन्हें सुखद अहसास कराएं।

देवभूमि संवाद के लिए शंभू नाथ गौतम की विशेष रिपोर्ट