Oscar Awards 2024: लॉस एंजिलिस के डॉल्बी थिएटर में आज 96वें ऑस्कर अवॉर्ड की घोषणा की कई। ऑस्कर अवॉर्ड्स 2024 में क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर की धूम रही। ‘ओपेनहाइमर’ ने 13 कैटेगरी में से 7 अवॉर्ड अपने नाम कर लिए। इसके साथ ही ’ओपेनहाइमर’ इस साल सबसे ज्यादा ऑस्कर हासिल करने वाली फिल्म बन गई। वहीं ‘पुअर थिंग्स’ ने भी 11 में से 4 ऑस्कर जीते। हालांकि भारतीयों के चेहरे मायूसी से लटके हुए दिखाई दिए। क्योंकि सिर्फ एक डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म ‘टू किल ए टाइगर’ (To Kill A Tiger) नॉमिनेट हुई थी और उसे ये खिताब नहीं मिला। जबकि 2023 में भारतीयों को दो ऑस्कर मिले थे।
ऑस्कर में धूम मचाने वाली ‘ओपेनहाइमर’ को किस-किस कैटेगिरी में अवॉर्ड हासिल हुए हैं?
तीन घंटे की सीरियस बॉयोपिक हॉलीवुड मूवी “ओपेनहाइमर” ने बेस्ट मूवी, बेस्ट निर्देशन और बेस्ट एक्टर, बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, बेस्ट ओरिजनल स्कोर, बेस्ट फिल्म एडिटिंग, का भी अवार्ड जीता। आखिर कौन थे वो रॉबर्ट ओपेनहाइमर, जिन पर ये फिल्म बनाई गई। जिसे पूरी दुनिया ने बहुत दिलचस्पी के साथ देखा।
ऑस्कर 2024 के विनर्स की पूरी लिस्ट देखिए।
विनर कैटगरी ऑस्कर विनर्स के नाम
- बेस्ट पिक्चर (ओपेनहाइमर)
- बेस्ट एक्ट्रेस एम्मा स्टोन (पुअर थिंग्स)
- बेस्ट एक्टर किलियन मर्फी (ओपेनहाइमर)
- बेस्ट डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन (ओपेनहाइमर)
- बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग व्हाट वाज आई मेड फॉर (बार्बी)
- बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर रॉबर्ट डाउनी जूनियर (ओपेनहाइमर)
- बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस डा’वाइन जॉय रैंडोल्फ (द होल्डओवर्स)
- बेस्ट ओरिजनल स्कोर लुडविग गोरानसन(ओपेनहाइमर)
- बेस्ट साउंड द जोन ऑफ इंटरेस्ट
- बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म द वंडरफुल स्टोरी ऑफ हेनरी शुगर
- बेस्ट सिनेमेटोग्राफी ओपेनहाइमर
- बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म 20 डेज इन मारियुपोल
- बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म द लास्ट रिपेयर शॉप
- बेस्ट फिल्म एडिटिंग ओपेनहाइमर
- बेस्ट विजुअल इफेक्ट गॉडजिला माइनस वन
- बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म द जोन ऑफ इंटरेस्ट
- बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन पुअर थिंग्स
- बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन पुअर थिंग्स
- बेस्ट मेकअप एंड हेयरस्टाइलिंग पुअर थिंग्स
- बेस्ट एडेप्टेड स्क्रीनप्ले अमेरिकन फिक्शन
- बेस्ट ओरिजनल स्क्रीनप्ले एनाटॉमी ऑफ ए फॉल
- बेस्ट एनिमेटेड फीचर फिल्म द बॉय एंड द हेरॉन
क्या है ’ओपेनहाइमर’की कहानी?
‘ओपेनहाइमर’ एक बायोग्राफी ड्रामा फिल्म है। जो परमाणु बम के जनक ‘जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर’ की लाइफ पर बेस्ड है। ये फिल्म ओपेनहाइमर के पहले परमाणु परीक्षण ‘ट्रिनिटी’ को बताती है। जिसमें परीक्षण से पहले और उसके बाद घटनाओं का दिलचस्प वर्णन है।द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया गया था। जो अमेरिका द्वारा किया गया था। इस हमले में कई लोगों को जान तो गंवानी ही पड़ी साथ ही जापान को इस हमले से उबरने में कई साल लग गए। इस फिल्म में इसका एक हिस्सा लेते हुए दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान की इच्छा मानव जीवन के विनाश का कारण बन सकती है।
जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर के बारे में
दरअसल जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाकइमर ने परमाणु बम का निर्माण किया था। और वह एक जटिल शख्सियत थे। जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जन्म 22 अप्रैल 1904 को न्यूयॉर्क शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ। उनके पिता जूलियस एक जर्मन आप्रवासी थे जो कपड़ा व्यवसाय में काम करते थे। उनकी मां एला फ्रीडमैन एक चित्रकार थीं, जिनका परिवार कई पीढ़ियों से न्यूयॉर्क में था। उनका एक छोटा भाई भी था जिसका नाम फ्रैंक था। उनके दादा 1888 को जर्मनी से अमेरिका बिना पैसे के आए थे और उन्हें अंग्रेजी बोलना भी नहीं आती थी। लेकिन एक टेक्सटाइल कंपनी नौकरी करने के एक दशक के अंदर ही वे बहुत अमीर हो गए थे। परिवार 1911 में मैनहैटन में रहने गया था। रॉबर्ट के अलाव उनके छोटे भाई फ्रैंक भी फिजिक्स साइंटिस्ट थे।
रॉबर्ट ने न्यूयॉर्क में एथिकल कल्चर स्कूल में पढ़ाई की। 1922 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में बीए के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वह कैवेंडिश प्रयोगशाला में अध्ययन करने के लिए 1925 में इंग्लैंड के कैंब्रिज चले गए। फिर एक साल बाद जर्मनी में गोटिंगेन विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी संस्थान में नोबेल पुरस्कार विजेता मैक्स बोर्न के साथ अध्ययन करने के लिए चले गए।
ओपेनहाइमर ने 1927 में फिजिक्स में पीएचडी हासिल करने के बाद अमेरिका लौट आए। 1929 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय – बर्कले और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में संयुक्त प्रोफेसर के रूप में पढ़ाना शुरू किया। वह क्वांटम यांत्रिकी और सैद्धांतिक भौतिकी पढ़ाते थे। 1940 में उन्होंने जर्मन अमेरिकी वनस्पतिशास्त्री और जीवविज्ञानी कैथरीन पुएनिंग से शादी की। उनके दो बच्चे पीटर और कैथरीन हुए।
वहां ओपेनहाइमर ने कुछ वैज्ञानिक दिग्गजों से मुलाकात की। उनके साथ काम किया, जो बाद में मैनहट्टन प्रोजेक्ट में उनके साथ शामिल हुए। ये प्रोजेक्ट वही था जिसके तहत अमेरिका में परमाणु बम बनाया था।
03 साल में दो तरह के एटम बम विकसित किये
1942 में, ओपेनहाइमर को लॉस अलामोस, न्यू मैक्सिको में एक नई हथियार प्रयोगशाला का निदेशक नियुक्त किया गया, जिसे एक परमाणु बम विकसित करना था। इसे कोड नाम दिया गया – मैनहट्टन प्रोजेक्ट। मैनहट्टन परियोजना में पूरे अमेरिका में गुप्त स्थानों पर कई प्रयोगशालाएं शामिल थीं।
लॉस एलामोस में, ओपेनहाइमर ने परमाणु बम बनाने की गुत्थी सुलझाने के लिए फिजिक्स के बेस्ट ब्रेन माने जाने वाले साइंटिस्ट को इकट्ठा किया। अगले ढाई सालों तक काम करने के बाद उन्होंने वो पा लिया, जो चाहते थे। फिर अमेरिकी सरकार ने उनसे 1945 की गर्मियों तक एक यूरेनियम बम (“लिटिल बॉय”) और एक प्लूटोनियम बम (“फैट मैन”) बनाने का आदेश दिया।
16 जुलाई, 1945 को, ओपेनहाइमर और लॉस अलामोस के वैज्ञानिकों ने प्लूटोनियम परमाणु बम का पहला परीक्षण किया, जिसे उन्होंने जॉन डोने की कविताओं के बाद ट्रिनिटी परीक्षण नाम दिया। उन्होंने लॉस एलामोस से 210 मील दक्षिण में साइट की बमबारी रेंज का एक सुदूर कोना चुना, जिसे “जोर्नाडा डेल मुएर्टो” या “जर्नी ऑफ डेथ” के नाम से जाना जाता है। टेस्ट सुबह 4 बजे शुरू होने वाला था, लेकिन बारिश के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। लेकिन सुबह ठीक 5:30 बजे जैसे ही वैज्ञानिक और कर्मचारी आश्रय स्थलों में छिप गए, बम विस्फोट हो गया और परमाणु युग शुरू हो गया।
इसके ठीक तीन सप्ताह बाद, 6 अगस्त, 1945 को, “लिटिल बॉय” को एनोला गे हवाई जहाज से जापानी शहर हिरोशिमा पर गिराया गया। तीन दिन बाद, 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी पर “फैट मैन” गिराया गया। कुल मिलाकर इन दो परमाणु बम विस्फोटों में करीब दो लाख लोग मारे गए।
हालांकि ओपेनहाइमर अपने इस काम की भयानक शक्ति से भयभीत हो गया। ट्रिनिटी टेस्ट की सुबह लॉस एलामोस के नियंत्रण कक्ष में उनके दिमाग में भगवद-गीता के ये शब्द “मैं मृत्यु बन गया हूं, दुनिया को तोड़ने वाला।”
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, मैनहट्टन परियोजना को परमाणु ऊर्जा आयोग के तहत लाया गया, जिसमें ओपेनहाइमर ने सामान्य सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वहां उन्होंने हाइड्रोजन बम के विकास का जोरदार विरोध किया, जो उनके द्वारा विकसित परमाणु बमों से 1,000 गुना अधिक शक्तिशाली होने वाला था। इसके बाद ओपेनहाइमर ने नौकरी छोड़ दी। वह दुनिया भर के वैज्ञानिक संस्थानों में व्याख्यान और परामर्श देने लगे। 18 फरवरी 1967 को उनकी गले के कैंसर से मृत्यु हो गई, तब वह 62 वर्ष के थे।