रक्षाबंधन भाई के प्रति बहिन के असीम स्नेह व बहिन के प्रति भाई के कर्तव्यबोध को उजागर करता है। बहिन भाई के प्रति प्रेम का प्रतीक यह त्योहार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहिन भाई की कलायी पर रक्षा सूत्र बांधती है। भाई बहिन को आजीवन रक्षा का बचन देता है।

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने पर उनके हाथ से खून का रुकना बन्द नही हुआ। तब द्रोपदी ने अपनी साडी का पल्लू फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में बांधा जिससे खून रुकना बन्द हो गया। इस पर श्रीकृष्ण ने द्रोपदी से कहा -इस रक्षा सूत्र का ऋण मै तुम पर बिपत्ति आने पर चुकांऊँगा। कौरवों की सभा में जब द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था तो भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा की।

राक्षसों और देवताओ के 12 वर्ष तक चले युद्ध में जब देवताओ के राजा इंद्र के पराजित होने पर समूचे स्वर्ग पर राक्षसों का अधिकार हो गया। जिससे इन्द्र देब घबराते हुए देवताओ के गुरू बृहस्पति के पास पहुंचे। बृहस्पति ने कहा -तुम श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ब्राह्मणों के हाथों द्वारा रक्षा सूत्र पहनो, तुम्हें बिजय श्री अवश्य मिलेगी।

इन्द्र ने जैसे ही श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ब्राह्मणों द्वारा रक्षा सूत्र धारण किया, वैसे ही अभूतपूर्व सफलता मिली।     रक्षाबंधन की पावनता से यमलोक भी अछूता नहीं है। इस दिन मृत्यु के देवता यम को उनकी बहिन यमुना ने राखी बांधी और अमर होने का आशीर्वाद दिया। यम ने इस पर्व के सन्दर्भ में कहा-जो भाई इस पर्व पर अपनी बहिन से राखी बंधवायेगा, वह लम्बी उम्र जीयेगा।

इस वर्ष इस पुनीत पर्व के सन्दर्भ में सशंय बना हुआ है कि इस पर्व को 30 को मनायें या 31 को, वैसे यह पर्व 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरु हो रहा है, लेकिन ज्योतिषीय मान्यता के आधार पर इस दिन भद्रा की साया है। भद्रा में रक्षा सूत्र बांधना शुभ नही माना जाता है। इस कारण रक्षाबंधन 31अगस्त को ही मनाया जाना शुभ है। रक्षाबंधन के इस पर्व पर इस वर्ष सुकर्मा योग के साथ शतभिषा नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है।

लेखक:अखिलेेश चन्द्र चमोला,स्वर्ण पदक प्राप्त, श्रीनगर गढ़वाल।