Robin Hibu, the first IPS officer of Arunachal Pradesh
  • उड़ान भर ही रहे है हम, अभी तो पूरा आसमान बाकी है,
  • ये तो एक पड़ाव है, अभी तो मंज़िलों का जहान बाकी है।

जी हां, हम बात कर रहे है उस शख्शियत की जिन्हे अरुणाचल प्रदेश का गाँधी कहा जाता है। राजधानी दिल्ली में उन्हें “वर्दी वाला गाँधी” कहा जाता है और नार्थ-ईस्ट के लोगों में देश के वर्तमान गाँधी के नाम से मशहूर है। गांधीवादी होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक, एक समाजसेवी और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के लिए “हेल्पिंग हैण्ड” नामक सामाजिक संस्था चलने वाले सीनियर पुलिस अधिकारी किसी परिचय के मोहराज नहीं है। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर ज़िंदगी भर चलने वाले गांधीजी से हज़ारों लोग प्रेरणा लेते हैं, लेकिन एक सच्चे गाँधी प्रेमी की जीती-जागती मिसाल है रोबिन हिबू। अपने पद और रुतबे के अलावा उनकी पहचान देश के पहले आदिवासी आईपीएस के रूप में होती है। सादगी भरा जीवन ही रोबिन हिबू की पहचान है। रोबिन हिबू कुशल व्यक्तित्व के धनी तो है ही, वरन उनका जज्बा और काम करने की उनकी लगन देखने लायक है।

अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से होन्ग नाम के गांव से निकलकर दिल्ली पुलिस में डीजी रैंक तक का सफर उनके लिए आसान नहीं रहा। रोबिन हिबू ने बताया कि बचपन से लेकर आठवीं कक्षा तक उन्होंने कभी पैर में चप्पल तक नहीं पहनी। उनकी गरीबी का आलम यहाँ तक था कि उनकी माता जंगल से लकड़ी काटकर जो भी रुखा-सूखा बनाती थी, उसको खाकर ही उनका बचपन बीता। अरुणाचल प्रदेश के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे उस गांव में आज भी जिंदगी की बुनियादी जरूरतों के लिए जूझना पड़ता है, तो उस समय उस गांव की क्या स्तिथि रही होगी जब हिबू वहां पर अपना बचपन बिता रहे थे।

उस गांव में बसने वाली अवतानी जनजाति में रोबिन हिबू का जन्म हुआ था। उनके पिता लकड़ी काटने का काम करते थे और माँ घर संभालती थी। रोबिन के अलावा घर में एक भाई और दो बहने भी थी। लकड़ी काटने के अलावा उनका परिवार मछलियों के तालाब से गाद निकलने का काम करता था। इतनी गरीबी में बचपन गुजरने के बावजूद रोबिन हिबू पढाई में काफी होशियार थे। उनका आदिवासी होना स्कूल, कालेज या कही और भी हमेशा परेशानी का सबब बना। भेदभाव और प्रताड़ना झेलकर बड़े होते रोबिन हिबू की मुलाकात जब गाँधी सेविका टीचर गुनी वाइटियो से हुई तो उनकी ज़िंदगी ही बदल गई। गुनी वाइटियो रोबिन के गांव के पास कस्तूरबा गाँधी सेवा आश्रम में पढ़ाती थी। 1991 में रोबिन हिबू का एडमिशन दिल्ली के जवाहरलाल विश्विधालय में हो गया। तब वह पहली बार अपने गांव से निकलकर दिल्ली आये।

ट्रेन में टॉयलेट के सामने बैठकर बिताई पूरी रात

रोबिन हिबू ने बताया कि जब उनका दाखिला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हो गया, तब वह अपने जीवन में पहली बार ट्रेन में बैठे। उनके पास कन्फर्म टिकट था और वह अपनी बोगी में बैठे थे। तभी उनकी बोगी में फौजियों का एक दस्ता चढ़ गया और उनको उनकी सीट से उठाकर खड़ा कर दिया।  जिसके बाद उन्होंने पूरी रात टॉयलेट के सामने बदबू में बिताई। जैसे-तैसे किसी तरह वो दिल्ली पहुंचे और जेएनयू में दाखिले के बाद भी उनके साथ काफी भेदभाव हुआ. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लोगों की उपेक्षा को ही अपनी प्रेरणा बनाकर पढाई शुर की और वर्ष 1993 में उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी पास की और अरुणाचल के पहले आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया।

रोबिन हिबू वर्तमान में दिल्ली पुलिस में डीजी रैंक के अधिकारी हैं। और इस समय स्पेशल कमिश्नर आर्मड पुलिस  के पद पर तैनात है। पुलिस में वरिष्ठ पद पर रहते हुए भी उन्हे गरीबों, मज़लूमो और बेसहारा लोगो की चिंता बनी रही। इसके लिए उन्होंने एक समाजसेवी संस्था “हेल्पिंग हैंड” शुरू की और नार्थ-ईस्ट के लोगों के लिए जो भी दिक्कतें, परेशानियां बाहर के राज्यों में आती थी, उनको दूर करने की पुरज़ोर कोशिश करते हैं। रोबिन हिबू पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गठित संस्था के ब्रांड एम्बेस्डर भी हैं। पूर्वोत्तर के लोगों की हर जरूरतों चाहें वह पुलिस केस से जुडु हो या बीमारी से, अस्पताल में भर्ती करना हो या दवाइयों की व्यवस्था, ढंग से इलाज कराना हो या दुर्घटना में मौत होने के बाद उनके पार्थिव शरीर को घरवालों तक पहुँचाना उनके दिनचर्या के कार्यों में शामिल है।

बेरोज़गारों को नौकरी दिलवाना और उनके रहने की व्यवस्था करना तक उनके कामो में शामिल है। अस्पताल में बीमारों को खून की जरूरतों को पूरा करना और ब्लड कैम्पो का आयोजन करवाना उनकी नियति बन चुकी है। रोबिन हिबू खुद हर तीन महीनो में ब्लड डोनेट करते है। दिल्ली के एम्स अस्पताल ने उन्हें सबसे बड़े ब्लड डोनर के रूप में सम्मानित भी किया है। पिछले साल उन्होंने नार्थ-ईस्ट के रहने वाले लोगों के जरुरतमंदो के लिए 2035 यूनिट ब्लड मुहैया करवाया था।

स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स अस्पताल में रक्तदान के लिए हेल्पिंग हैंड्स को किया सम्मानित

दिल्ली में जरूरतमंद मरीजों के लिए बड़े पैमाने पर रक्तदाताओं को जुटाने के लिए एम्स अस्पताल सभागार में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने  सम्मानित किया है। नॉर्थ ईस्ट ब्लड बैंक के रूप में एम्स अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में ब्लड बैंक की स्थापना की गई है।

रोबिन हिबू ने बताया कि दिल्ली में एनई लोगों द्वारा रक्तदान को प्रेरित करने के अलावा एम्स अस्पताल में एनई ब्लड बैंक के लिए हर 3 महीने में रक्तदान करके मैं स्वयं रक्तदान का नेतृत्व करता हूं। रक्त की आवश्यकता के लिए कोई भी व्यक्ति 9810083486 पर एसएमएस या व्हाट्सएप भेजकर लाभ उठा सकता है, उसके बाद रोगी / उसके देखभाल करने वाले मोबाइल को व्हाट्सएप या एसएमएस संदेश द्वारा रक्त की आवश्यकता डिजिटल रूप से आवंटित की जाती है, जो सीधे एम्स अस्पताल/ट्रॉमा इमरजेंसी सेंटर में जा सकती है। हेल्पिंग हैंड्स ने 2021 में दिल्ली में एनई जरूरतमंद मरीजों को 2035 ब्लड यूनिट दिया था। हाल ही में अरुणाचल छात्र संघ की टीम – अपतानी यूथ एसोसिएशन ने दिल्ली के ट्रामा एंड इमरजेंसी सेंटर में एनई ब्लड बैंक के लिए रक्तदान किया।

मैरी कॉम ने IPS रॉबिन हिबू की जीवनी का विमोचन किया

छह बार की विश्व एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन और राज्यसभा सांसद मैरी कॉम ने मुख्य अतिथि तारा गांधी (महात्मा गांधी की पोती) के साथ अरुणाचल प्रदेश के पहले आईपीएस अधिकारी रॉबिन हिबू की जीवनी का विमोचन किया।

समारोह का मुख्य आकर्षण गौरवान्वित विजेताओं को प्रतिष्ठित “नॉर्थ ईस्ट सेमेरिटन गोल्ड मेडल” प्रदान करना और उत्तर पूर्व राज्यों के 50 नवोदित चैंपियनों के लिए “8AM स्पोर्ट्स डाइट स्कॉलरशिप” का शुभारंभ था।

इस अवसर पर बोलते हुए, मैरी कॉम ने कहा, “रॉबिन हिबू पिछले काफी वर्षों में संकट, पीड़ित और जरूरतमंद लोगों के लिए एक योद्धा रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश राज्य के पहले आईपीएस अधिकारी के रूप में, उन्होंने न केवल अपने लिए सम्मान पाया है बल्कि अपने गृह राज्य और पूरे देश के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा रहे है। सभी अचीवर्स वास्तव में उत्तर पूर्वी भाइयों और बहनों के कल्याण के लिए उनका योगदान सराहनीय रहा हैं।”

इस अवसर पर रोबिन हिबू ने कहा कि “यह अब तक एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण यात्रा रही है, और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मैं रास्तों पर पैदल चलने से कभी नहीं कतराता हूं। मैं संकट में उत्तर पूर्व के लोगों की सेवा करने और जागरूकता पैदा करके उन्हें सशक्त बनाने का संकल्प लेता हूं। उनको कानूनी आपातकालीन सहायता के साथ-साथ स्वास्थ्य-शिक्षा सुविधाएं प्रदान करना। हम लोगों के बीच उनकी समग्र भलाई सुनिश्चित करने और उन्हें किसी भी भेदभाव से बचाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। समाज का प्रत्येक सदस्य, और हर राज्य एक है देश का अभिन्न अंग, और सही मायने में हमारे देश और बहुलवादी समाज की मुख्यधारा का हिस्सा है। निदो तानिया का बलिदान, जिस पर क्रूरता से हमला किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी, व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। मैंने हमेशा संदेश देने का प्रयास किया है कि उत्तर पूर्व के लोग देश में विशिष्ट सुंदरता और जीवंतता को जोड़ते हैं।

उत्तर पूर्व के लोगों के प्रतिनिधि के रूप में, मैंने नार्थ-ईस्ट मोज़ेक संस्कृति को समृद्ध करने के लिए लगन से प्रयास किया और उन्होंने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन सचिवालय में संयुक्त आयुक्त के रूप में सेवा करने के लिए रायसीना हिल में राष्ट्रपति भवन के राजसी माहौल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के पहले आईजीपी के रूप में कार्य किया। यह मेरी हार्दिक इच्छा है कि आने वाले समय में मेरे पूर्वोत्तर के भाई-बहन देश में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

मैंने हमेशा लड़कियों के मौलिक आत्मरक्षा कौशल सीखने के महत्व पर जोर दिया है। मैं अपनी जीवनी के विमोचन के अवसर पर सचमुच अभिभूत महसूस कर रहा हूं। मैं आने वाले समय में अपनी मातृभूमि के लिए और बड़ी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”

उपलब्धियां

  • भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), एजीएमयूटी कैडर 1993
  • भारत सरकार के राष्ट्रपति पदक/संयुक्त राष्ट्र पदक
  • मेधावी सेवा के लिए भारत पुलिस पदक के राष्ट्रपति -2010
  • विशिष्ट सेवाओं के लिए भारत के राष्ट्रपति पदक-2017:
  • भारत सरकार, अति-उत्कृष्ट सेवा पदक-2021

राज्य स्वर्ण पदक

  • सराहनीय सेवाओं के लिए अरुणाचल प्रदेश का स्वर्ण पदक – 2003
  • विशिष्ट सेवाओं के लिए अरुणाचल प्रदेश का स्वर्ण पदक- 2009

संयुक्त राष्ट्र पदक

  • बोस्निया में सराहनीय सेवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति पदक – 1998
  • कोसोवो-1999 में विशिष्ट सेवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति पदक

दिल्ली पुलिस में सेवा

  • दिल्ली पुलिस के सहायक आयुक्त (1995-1997)
  • जिला पुलिस अधीक्षक, अरुणाचल प्रदेश (1997-2005)
  • दिल्ली पुलिस के उपायुक्त (2005-2008)
  • उप. पुलिस महानिरीक्षक, पूर्वी रेंज (2008-2011)
  • पुलिस महानिरीक्षक, अरुणाचल प्रदेश (2011)
  • दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त, प्रशिक्षण, SPUNER / SPUWAC / संचालन (2012-17)
  • उत्तर पूर्व लोगों के लिए नोडल अधिकारी, दिल्ली (2017)
  • दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त, राष्ट्रपति भवन (2017-2019)
  • दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (2018- अब तक)

संयुक्त राष्ट्र मिशन नौकरी के अनुभव

कमांडर: संयुक्त राष्ट्र पुलिस, जिला गजिलान, (पूर्व यूगोस्लाविया), कोसोवो (1999-2000): मॉनिटर, संयुक्त राष्ट्र मिशन, डोबोज, बोस्निया (पूर्व यूगोस्लाविया) (1998-1999)

राकेश रावत