Atal Bihari Vajpayee death anniversary

केंद्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी साल 2014 से विराजमान है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कमान संभाले हुए हैं। 1980 में स्थापित हुई भाजपा की गिनती आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे मजबूत पार्टी के रूप में की जाती है। पार्टी को स्थापित करने और बुलंदियों पर पहुंचाने के पीछे ‘युगपुरुष’ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

जी हां हम बात करेंगे राजनीतिक जगत में सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार रहे अटल बिहारी वाजपेयी की। उनकी गिनती देश के उन गिने चुने नेताओं में होती है, जिन्‍हें सभी पार्टियों का स्‍नेह मिला। आज तीसरी पुण्यतिथि पर अटल जी को देश याद कर श्रद्धांजलि दे रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री और ‘भारत रत्न’ वाजपेयी जी को याद करते हुए कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। सोमवार सुबह दिल्ली में ‘सदैव अटल स्मृति स्थल’ पर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां आयोजित प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया और श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने स्मृति स्थल पर पुष्प चढ़ाकर नमन किया। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला समेत भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी याद कर श्रद्धांजलि दी।

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर लोग, कवि और राजनेता को याद करते हुए उनकी कविताओं के माध्यम से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। गौरतलब है कि 16 अगस्त 2018 को देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार रहे अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में निधन हो गया था। अटल जी भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन आज भी उनके राजनीति के आदर्श उसूल, भाषा शैली, कविताओं को देशवासी नहीं भूल पाए हैं।

बता दें कि अटल जी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था। अटल जी के नेतृत्व में ही भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में पहली बार सत्ता संभाली थी। वाजपेयी सबसे पहले 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने थे और उसके बाद 1998 में उन्होंने केंद्र में 13 महीनों की सरकार चलाई थी। 1999 में वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने और 2004 में एनडीए की हार तक इस पद पर बने रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने परमाणु परीक्षण कर यह क्षमता हासिल की थी । इसके साथ संयुक्त राष्‍ट्र महासभा 1977 के उनके भाषण को अब भी याद किया जाता है, जब हिंदी में उनके भाषण के बाद सभागार तालियों से गूंज उठा था। नेता के साथ  देशवासी अटल जी को कवि के रूप में भी पसंद करते हैं।

शंभू नाथ गौतम