World Environment Day 2020

World Environment Day 2020 : दुनियाभर में पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 5 जून 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पहली बार आयोजित  विश्व पर्यावरण दिवस में दुनियाभर के 119 देशों ने इसमें हिस्सा लिया था। तभी से हर वर्ष 5 जून को इस दिन को मनाने का सिलसिला जारी है। हर वर्ष World Environment Day की थीम तय की जाती है और पूरी दुनिया में उसी आधार पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार World Environment Day 2020 की थीम है ‘Time for Nature’ (‘प्रकृति के लिए समय’)। यानी अब प्रकृति के लिए समय निकालने का समय गया है। जिस तरह आज मानव निर्मित संसाधनों ने प्रदूषण फैलाकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर मानव सहित धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं के जीवन को खतरे में डाल दिया है।अगर जल्दी ही इसके बारे में नहीं सोचा गया तो आने वाले समय में स्थिति भयावह हो जाएगी।

कोरोना महामारी के चलते बीते ढाई महीनों से देश में किये गए लॅाकडाउन का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कारखानों के बंद रहने तथा सड़कों पर वाहनों के न दौड़ने से हमारे आसपास के वातावरण बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इस दौरान दिल्ली/एनसीआर जैसे महानगरों में लोगों को पहली बार पहाड़ों की तरह नीला आसमान देखने को मिला।

इस साल कोरोना महामारी के चलते भारत सहित दुनियाभर के कई देशों में लॉकडाउन चल रहा है। जिसकी वजह से विश्व पर्यावरण दिवस 2020 को उस अंदाज में नहीं मनाया जा रहा है, जैसे हर साल मनाया जा रहा है। इस साल लोग घरों में रहकर ही अपने आसपास यानी घर के बाहर, टैरेस गार्डन, किचन गार्डन आदि जगहों पर पौधे लगाकर विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। इसके अलावा प्लास्टिक या पौलिथिन का इस्तेमाल न करने का संकल्प लेकर भी कोरोना संकट में पर्यावरण के प्रति सजग हो रहे हैं। साथी अपने बच्चों को प्रकृति, पर्यावरण, पानी व पेड़-पौधों का महत्व समझा रहे है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस (05 जून) के अवसर पर प्रदेशवासियों से पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय योगदान देने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण में उत्तराखण्डवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रदेश सरकार समृद्ध जैव संसाधनों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। उत्तराखण्ड अपनी वन सम्पदा और नदियों के कारण पर्यावरण संरक्षण की मुहिम का ध्वज वाहक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ ही जनता, जन प्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन चेतना जागृत करने और इसके संवर्द्धन में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के साथ ही नदी और जल स्रोतों की साफ-सफाई के लिए भी पूरा प्रयास जरूरी है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पर्यावरण की सुरक्षा आम आदमी के जीवन से जुडा विषय है, अतः यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी भी है।