नोएडा, 25 अगस्त 2022। एकीकृत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) की ओर से बृहस्पतिवार को ऑनलाइन पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। पोषण पाठशाला का सजीव प्रसारण एनआईसी के माध्यम से जनपद गौतमबुद्ध नगर समेत प्रदेश के 75 जिलों में किया गया।

जिला कार्यक्रम अधिकारी पूनम तिवारी ने बताया- ऑनलाइन पोषण पाठशाला में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने पोषण और खासकर “ सही समय पर ऊपरी आहार की शुरुआत” पर अपनी बात रखी। सीटीएआरए, आईआईटी बाम्बे की सहायक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रूपल दलाल ने पोषक तत्व टाइप- एक और दो के महत्व पर प्रकाश डाला । एसएमडीटी की हेड न्यूट्रीशियनिस्ट और आई वाईसीएफ की मास्टर ट्रेनर डॉ. दीपाली फर्गडे ने ऊपरी पूरक आहार- कब, कौन सा, कैसा और कितना पर अपनी राय रखी। एसजीपीजीआई एमएस लखनऊ की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कुपोषित बीमार बच्चे का आहार व व्यवहार के बारे में बताया जबकि जन स्वास्थ्य और पोषण विशेषज्ञ डॉ. देवजी पाटिल ने ऊपरी आहार- परामर्श के आवश्यक बिंदु पर प्रकाश डाला।

पोषक तत्व टाइप एक और दो का महत्व समझना जरूरी- डॉ. रूपल
डॉ. रूपल दलाल ने पोषक तत्व टाइप एक और दो का महत्व बताया। उन्होंने बताया- पोषक तत्व टाइप दो शरीर का यंत्र चलाते हैं और विकसित करते हैं। यह पोषक तत्व शरीर में संग्रहीत नहीं होते। यदि बच्चे को प्रतिदिन भोजन में टाइप दो के पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते हैं तो बच्चों की वृद्धि (ग्रोथ) बंद हो जाती है। इसकी कमी होने पर शरीर की मांसपेशियों को पिघलाकर टाइप दो पोषक तत्व निकालकर अपना यंत्र चलाते हैं। इससे बच्चा तीव्र कुपोषण का शिकार हो जाता है।

प्रोटीन, अमीनो एसिड, वसा, ओमेगा-3,6,9, सोडियम, पोटेशियम, गंधक, मैग्नीशियम, जिंक, फास्फोरस और क्लोराइड टाइप दो पोषक तत्व हैं। बच्चों के विकास के लिए टाइप दो पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। लोह, कैल्शियम, सभी विटामिन, आयोडीन, तांबा, मैगजीन, फ्लोराइड, सेलेनियम आदि टाइप एक पोषक तत्व हैं। यह पोषक तत्व शरीर के विशिष्ट कार्यों पर काम करते हैं। बच्चे के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। रोग प्रतिरोधक शक्ति टाइप एक और दो दोनों से आती है। उन्होंने बताया – हमें अपने भोजन से 40 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह हमें केवल दाल रोटी, चावल से नहीं मिलते हैं। इसमें प्रोटीन समृद्ध आहार शामिल होना जरूरी है। उन्होंने कहा – पहले 1000 दिन बच्चे के समुचित विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। गर्भवती यदि रोजाना टाइप-दो पोषक तत्व नहीं लेंगी तो उसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ना स्वाभाविक है।

एक साल तक ऊपरी आहार में नमक और दो साल तक मीठा बिल्कुल न डॉलें- डॉ. दीपाली
डॉ. दीपाली फर्गडे ने छह माह पूरे होते ही बच्चे को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार में मसला हुआ भोजन देने की सलाह दी। उन्होंने कहा बच्चे को एक चम्मच सुबह और शाम देना शुरू करें और उसे पतले से गाढ़ा करते जाएं। छह माह के बाद बच्चे के लिए केवल स्तनपान पर्याप्त नहीं है। उसे मस्तिष्क के विकास के लिए टाइप-दो पोषक तत्वों की जरूरत होती है। छह माह से पहले ऊपरी आहार इसलिए नहीं देते क्योंकि उसकी आंतें और किडनी इस लायक नहीं होतीं।

आहार में विविधता बनाए रखें। उन्होंने कहा- ऊपरी आहार देते समय स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है। साफ सफाई न होने से संक्रमण का डर रहता है और बच्चे को दस्त हो सकते हैं। आठ माह के बच्चे को आधी कटोरी ऊपरी आहार दें, साथ में 30 से 50 एमएल तक उबला हुआ पानी देना शुरू करें। उन्होंने कहा सेरेलैक, पेस्ट्री और बिस्कुट जैसे जंक फूड कतई न दें, यहां तक कि चाय भी न दें। एक साल तक ऊपरी आहार में नमक और दो साल तक मीठा अलग से बिल्कुल न डॉलें। शक्कर, शहद गुड़ कुछ भी नहीं। उन्होंने बताया बच्चे को ऊपरी आहार देते समय ध्यान रखना है कि उसे पहले मीठी चीज जैसे फल नहीं दें, इसकी शुरुआत सब्जियों से करें, अन्यथा बच्चा कभी सब्जी नहीं खाएगा।

बोतल से दूध पिलाना सबसे ज्यादा घातक : डॉ. पियाली
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बोतल से दूध पिलाने का सख्त विरोध किया। उन्होंने कहा बोतल से दूध पिलाना कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा बहुत सी माताओं की शिकायत रहती है कि बच्चे का उनके दूध से पेट नहीं भरता है। उन्होंने कहा इसके लिए सबसे पहले यह देखें कि बच्चा छह से आठ बार पेशाब करता है और दूध पीने के बाद दो घंटे सोता है तो उसे पर्याप्त दूध मिल रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो दूध कम है। उस स्थिति में पूरी सफाई के साथ कटोरी-चम्मच से दूध पिलाएं। सुपोषित मां का बच्चा कुपोषित नहीं हो सकता। इसलिए मां के खानपान पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है। डॉ. भट्टाचार्य ने कहा यदि बच्चा बीमार है तो भी उसका स्तनपान और ऊपरी आहार बंद न करें।

मां को पता होने चाहिये बच्चे को गोद लेने के तरीके- डॉ. देवजी
जन स्वास्थ्य और पोषण विशेषज्ञ डॉ. देवजी पाटिल ने ऊपरी आहार- परामर्श के आवश्यक बिंदु पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा – गर्भावस्था से ही सही पोषण का ख्याल रखना जरूरी है। यदि मां सुपोषित होगी तो बच्चा भी सुपोषित होगा। उन्होंने कहा गर्भावस्था में प्रसव पूर्व सभी जांच, असरदार स्तनपान, असरदार पूरक आहार के साथ स्तनपान जरूरी है। उन्होंने कहा छह माह की आयु पूरी होने के साथ ही ऊपरी आहार देना शुरू कर दें और इस बात का ध्यान रखें कि जब बच्चा भूखा हो तभी उसे ऊपरी आहार दें। उन्होंने कहा इसके साथ शुरुआत से मां को बच्चे को गोद लेने और स्तनपान कराने के तरीके पता होने चाहिये।

पोषण पाठशाला का प्रसारण कलेक्ट्रेट ‌स्थित एनआईसी सभागार समेत तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी किया गया। इस मौके का लाभ बाल विकास परियोजना अधिकारियों, मुख्य सेविकाओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं समेत काफी संख्या में लाभार्थियों ने उठाया।