WORLD-AIDS-DAY

नोएडा : ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) एक लेंटिवायरस है, जो अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) का कारण बनता है। एचआईवी आमतौर पर एक वायरस के कारण होता है, जो संक्रमित से संभोग, रक्ताधान, सुई साझा करने से या गर्भावस्था के दौरान बच्चे को एचआईवी ग्रसित मां से फैल सकता है। इसके अलावा संक्रमित मां से बच्चे तक एचआईवी संक्रमण पहुंच सकता है। एक बार जब वायरस किसी व्यक्ति में पहुंच जाता है, तो यह उसके शरीर को किसी भी तरह के संक्रमण या कैंसर से बचाने के लिए मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को कम करना शुरू कर देता है। हर वर्ष एक दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस बार इस दिवस की थीम इक्वलिटी (समानता) है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा.शिरीश जैन का कहना है कि वैसे तो संक्रमण फैलने के कई माध्यम हो सकते हैं लेकिन गर्भवती महिला से उसके बच्चे को यह संक्रमण होने की आशंका सबसे अधिक होती है। दरअसल गर्भ में पल रहा शिशु अपने पोषण के लिए मां पर ही निर्भर रहता है।  उन्होंने कहा अच्छी बात यह है कि अब उपचार से ऐसे बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाया जा सकता है जिनकी मां एचआईवी पॉजिटिव हैं। उन्होंने बताया- जनपद गौतमबुद्ध नगर में स्वास्थ्य विभाग लगातार एड्स जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। इसके तहत जहां लोगों की काउंसलिंग की जाती है, जांच की जाती है वहीं उन गर्भवती का सुरक्षित प्रसव भी कराया जाता है, जो एचआईवी पॉजिटिव होती हैं। विभाग के प्रयासों से पिछले चार साल में एचआईवी पॉजिटिव पायी गयीं 39 गर्भवती के प्रसव कराये गये। इनमें 37 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें एचआईवी संक्रमण से मुक्त करा लिया गया है। दो बच्चों के जांच परिणाम आने बाकी हैं। ऐसी गर्भवती का प्रसव सुरक्षित हाथों से पूरे एहतियात के साथ जिला अस्पताल में कराया जाता है।

डा. जैन ने बताया एचआईवी पॉजिटिव महिला को गर्भधारण के तीसरे महीने से ही एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल) की दवा देना शुरू कर दिया जाता है। सेफ डिलीवरी किट के माध्यम से संस्थागत प्रसव कराया जाता है। प्रसव के आधा घंटे के भीतर नवजात को चिकित्सक की मौजूदगी में एक दवा दी जाती है। अधिकतम पांच दिन के भीतर यह डोज देनी होती है। इसके ठीक 45 दिन बाद सीपीटी की दवा दी जाती है। फिर बच्चे की एचआईवी जांच करायी जाती है। ऐसे मामलों में 18 महीने तक दवा चलती है। वहीं इन बच्चों के माता-पिता का उम्रभर उपचार चलता है।

डा. जैन ने बताया जिले में वर्तमान में 785 मरीज एचआईवी पॉजिटिव हैं। इन सभी का उपचार चल रहा है। गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (जिम्स) ग्रेटर नोएडा, सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दादरी और भंगेल में इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) हैं। इन चारों सेंटर पर एचआईवी की जांच उपचार व काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध है। अब जिला अस्पताल में एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल) सेंटर भी विकसित हो गया है। सभी सेंटर पर जांच व उपचार मुफ्त में उपलब्ध है।

एचआईवी एड्स कैसे फैलता

  • बिना कंडोम पहने किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ संभोग करने से।
  • किसी ऐसे व्यक्ति के साथ सीरिंज और सुई साझा करने से जिसे पहले से ही एचआईवी एड्स है।
  • एचआईवी संक्रमित रक्त से दूषित सर्जिकल उपकरण के इस्तेमाल से।
  • बच्चे को अपनी माता से एचआईवी एड्स मिल सकता है जो पहले से ही जन्म के दौरान संक्रमित हो चुके हैं।
  • एचआईवी एड्स गले लगाने, पीने के गिलास साझा करने से नहीं फैलता है।

जनपद गौतमबुद्ध नगर में विभागीय आंकड़ों के अनुसार आठ वर्षों में हुई जांच के नतीजे

वर्ष                काउंसलिंग            जांच        एचआईवी पॉजिटिव

2015                     24304              23248              106

2016                     26920              26407              110

2017                     30739             30201               129

2018                     37491             37343               161

2019                     40686             40657               203

2020                     22850             22827               91

2021                    20353               20290               88

2022                    41532              41476               187

कुल                 244875            242449              1075