साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के साथ कई दिनों से उम्मीदें और सपने संजोए हुई थी। प्रशांत किशोर ने गांधी परिवार को 2 साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव का प्रेजेंटेशन भी बताया था। सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित 10 जनपथ में पीके ने कांग्रेस नेताओं के साथ 3 लंबी मैराथन बैठकें की। इन बैठकों के बाद अटकलें शुरू हो गई कि अब प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं।

पीके की कांग्रेस में ज्वाइन को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत पार्टी के कई नेताओं ने तैयारी भी शुरू कर दी थी। सोमवार तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन मंगलवार आते-आते पीके और कांग्रेस की राहें मिलने से पहले ही जुदा हो गई। सबसे खास बात यह है कि प्रशांत किशोर एक दलबदलू नेता की तरह है। यह चुनावी संगीतकार अभी तक किसी भी राजनीतिक दल में ज्यादा समय तक टिक नहीं सके हैं। पहले भाजपा, जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस, फिर आम आदमी पार्टी के साथ रहकर चुनावी रणनीति तैयार की लेकिन ज्यादा समय तक साथ नहीं चल सका।

बता दें कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में अपने स्टाइल की राजनीति करना चाहते थे जो सोनिया गांधी समेत कई पार्टी के धुरंधरों को पसंद नहीं आई। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को पीके की शर्तें पसंद नहीं आईं। आखिरकार प्रशांत किशोर कांग्रेस की दहलीज तक ही पहुंच पाए। प्रशांत ने कांग्रेस  में शामिल होने से मना कर दिया। 15 दिनों से अटकलें चल रही थीं कि पीके कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। प्रशांत ने इस पर खुद ही विराम लगा दिया और कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं, अच्छे नेतृत्व की जरूरत है।

मंगलवार को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का गठन किया और प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी देते हुए ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया।