Electoral strategist prashant kishor wake up Political desires in Congress

हाल के वर्षों में कई राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस नए ‘साथी’ को पाकर उत्साहित है। इसकी बड़ी वजह यह है कि गांधी परिवार अपनी ही पार्टी के कई शीर्ष नेताओं के साथ मतभेद बने हुए हैं। जिसमें गुलाम नबी, आजाद कपिल, सिब्बल आनंद शर्मा मनीष तिवारी समेत कई ऐसे नेता है जो अभी भी केंद्रीय आलाकमान के साथ पूरी तरह से तालमेल नहीं बैठा पाए हैं। इनके अलावा हाल के वर्षों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद और आरपीएन सिंह समेत कई नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब गांधी परिवार में चुनावी रणनीतिकार समझे जाने वाले प्रशांत किशोर (पीके) की एंट्री हुई है।

प्रशांत किशोर ने साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी में नए ‘सियासी अरमान’ जगा दिए हैं। गांधी परिवार के अलावा भी कई शीर्ष कांग्रेसी नेता भी पीके का कांग्रेस की ओर झुकाव से जोश में है। फिलहाल अभी प्रशांत किशोर ने कांग्रेस जॉइन नहीं किया है । लेकिन आलाकमान की ओर से उन्हें पार्टी में शामिल कराने के लिए जोर-शोर से तैयारियां शुरू हो गई हैं। कांग्रेस भले ही पीके को लेकर उत्साहित है लेकिन उसको यह भी याद रखना होगा कि यह चुनावी रणनीतिकार का अभी तक जो करियर रहा है वह एक ‘दलबदलू नेता’ की तरह है। नया सियासी गलियारों में जगजाहिर है कि पीके कहीं भी अधिक समय तक टिक नहीं पाते हैं।

चुनावी रणनीतिकार पीके ने भाजपा के साथ शुरू किया था अपना करियर

प्रशांत किशोर ने शुरुआत साल 2013 में भारतीय जनता पार्टी के साथ की थी। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और केंद्र की सत्ता में आने की तैयारी कर रहे थे। उसी दौरान पीके और नरेंद्र मोदी की नजदीकियां बढ़ी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों में से एक थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की।

नरेंद्र मोदी साल 2014 में प्रधानमंत्री बने। उसके कुछ समय बाद भाजपा और प्रशांत की दूरी बढ़ने लगी। भाजपा को अलविदा कहकर पीके नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो गए। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर जेडीयू के साथ मिलकर चुनावी रणनीति तैयार की। इस दौरान नीतीश कुमार ने पीके को जेडीयू में महासचिव भी बनाया। उसके बाद प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से भी खटपट होने के बाद उन्होंने जेडीयू को भी अलविदा कह दिया।

फिर यह चुनावी रणनीतिकार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक और सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के चुनावी रणनीतिकार भी बने। लेकिन ज्यादा दिन तक यहां भी टिक नहीं सके और अलग हो गए। बता दें कि प्रशांत किशोर अपनी ‘आईपैक’ कंपनी भी चलाते हैं। यह कंपनी मुख्य रूप से देश में राजनीतिक और चुनावी सर्वे के लिए काम करती है।

कांग्रेस हाईकमान को साल 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बताया रोडमैप

बता दें कि शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास 10 जनपथ पर पार्टी नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। 4 घंटे तक चली इस मीटिंग में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी शामिल हुए। इस दौरान प्रशांत ने कांग्रेस को देशभर में मजबूत करने के लिए एक डिटेल प्रेजेंटेशन दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर दिए गए रोडमैप के बाद एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। पीके ने अपने सुझाव में 2024 के चुनाव में भाजपा को हराने का रोडमैप बताया।

प्रशांत ने कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सिर्फ 370 सीटों पर फोकस करने के लिए कहा है। देशभर में लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं। पीके ने गांधी परिवार को दूसरा सुझाव यह दिया कि जहां कांग्रेस कमजोर है, वहां पर सहयोगी दलों से समझौता कर चुनाव लड़े। फिलहाल पीके और कांग्रेस की शुरू हुई नई दोस्ती सियासी गलियारों में चर्चा में बनी हुई है। दोनों ही एक दूसरे को लेकर उत्साहित हैं।

शंभू नाथ गौतम