हमारी भारतीय संस्कृति विश्व की सभी अनमोल संस्कृतियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती रही है। इस संस्कृति का जन्म ऋषियों मुनियों के अथक परिश्रम तथा तप के फलस्वरूप हुआ। जिनका जीवन का उद्देश्य सर्वजन सुखाय रहा है। यह संस्कृति अपने आप में एक दूसरे के साथ मेल जोल बढ़ाती है। इस प्रकार से हमारा भारत वर्ष पूरे विश्व में विविध देशों में से एक है।यहां कई धर्म, रीति-रिवाज, परम्परायें,व्यन्जन और भाषायें हैं। हिन्दी भारत में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। 26 करोड़ लोग हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हैं।
हिन्दी, बांग्ला, उर्दू, पंजाबी, तेलगू, तमिल, कन्नड, मलयालम, उड़िया आदि भाषायॅ भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्र की अधिकृत भाषायें हैं। इन सभी भाषाओं में हिन्दी भाषा की महत्ता सबसे अधिक है। यह राजभाषा के रूप में मान्य है। राज भाषा वह भाषा होती है, जिस भाषा का प्रयोग किसी देश के कार्यों को सम्पादित करने के लिए किया जाता है।
14 सितम्बर 1949 को भारत वर्ष में हिन्दी भाषा को एक दर्जा मिला। इसे भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। लेकिन फिर भी अब तक अंग्रेजी का ब्यापक प्रयोग होता रहा है। राज भाषा का सम्मान प्राप्त होने का गौरव जो हिन्दी को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है। अंग्रेजी हिन्दी की सह वर्तनी कभी भी नहीं बन सकती है। हिन्दी भाषा में जो सहजता तथा अपना पन है, वह अन्य भाषा में हो ही नहीं सकता। इस स्थिति को हम इस तरह से भी स्पष्ट कर सकते हैं कि जैसे सौतेली माँ अपने सौतेले बच्चों से प्यार का कितना भी स्वांग रचा दे, लेकिन वह अपनी मां जैसे प्यार नहीं दे सकती। इसी प्रकार हिन्दी भाषा भी है। यह हमारी राज भाषा, राष्ट्र भाषा, मातृभाषा है।
देश की अन्य भाषा की तुलना में हिन्दी भाषा को महत्व इस कारण से भी दिया गया कि आजादी के समय आन्दोलन कारियों को यह बोध हुआ कि इस भाषा के माध्यम से आजादी की क्रान्ति चारों ओर फैला ई जा सकती है। इसमें किसी तरह का सन्देह नही कि हमारी भारतीय सॅस्कृति जीवन को प्रभाव शाली बनाने में हिन्दी भाषा अचूक औषधी है। इसी भाषाई एकता के आधार पर भारत वर्ष को जगत गुरु के रूप में प्रतिष्ठा मिली। सम्पूर्ण विश्व के मार्ग दर्शन में भारत की अग्रगण्य भूमिका रही।विश्व बन्धुत्व, विश्व प्रेम ही हिन्दी भाषा का दूसरा नाम है।
विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन इस दिवस को मनाये जाने की सार्थकता यह है कि इस दिन 1975 में प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया था । जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इसकी वर्ष गांठ के पुनीत अवसर पर यह दिवस मनाया जाता है
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी ने 1917 में हिन्दी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा-राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। ह्रदय की कोई भाषा नही है। ह्रदय ह्रदय से बातचीत करता है। हिन्दी ह्रदय की भाषा है। इतिहास कारों का मानना है कि हिन्दी विद्वानों द्वारा अपनी महान साहित्यिक कृतियों का प्रयोग की जाने वाली भाषा है। रामचरितमानस एक धरोहर है। जिसमें मर्यादापुरुषोत्तम राम की कहानियों का सुन्दर चित्रण किया गया है। हिन्दी सबसे प्राचीन भाषा है। यह आदिम युग की भाषा है। जो मूल रुप से संस्कृत से सम्बंधित रही है। प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी ने भाषा के सन्दर्भ में यह कहा –भारत में भाषा का अनमोल खजाना है। यदि इन्हें हिन्दी से जोड़ दिया जाय तो मातृ भाषा मजबूत होगी। हिन्दी भाषा बड़ी संख्या में बिदेशों में फैली हुई है।
लेखक: अखिलेश चन्द्र चमोला