नोएडा में उत्तराखंड मूल के लोगों में बैठकी होली का दौर अपने पूरे शबाब पर है। होलिका दहन से पहले हर कोई बैठकी होली में पहाड़ के परंपरागत होली गीतों में सराबोर होना चाहता है इसके लिए कई सेक्टरों बैठकी होली मनाई जा रही है। सेक्टर 11 में धवलगिरी अपार्टमेंट्स के आरडब्ल्यूए आफिस में स्पीक कुमाउनी और द इनक्रेडिबल पहाड़ी के संयुक्त तत्वावधान में बैठकी होली का आयोजन किया गया। साल 1984 से नोएडा में रह रहे साहित्यकार प्रदीप कुमार वेदवाल ने बताया कि उत्तराखंड के लोगों में होली को लेकर विशेष अनुराग देखने को मिलता है,खास उत्साह रहता है। यही वजह है कि पहाड़ों का आदमी चाहे पहाड़ में रहे या फिर मैदान में उसके अंदर का होली का हौल्यार बैठकी होली की उमंग और मतंग में मतवाला हो ही जाता है।

बैठकी होली में हौल्यारिन किरन पंत ने शास्त्रीय संगीत के रागों पर आधारित राग और फाग से पगी होली गीतों का गायन किया।

धवलगिरी अपार्टमेंट सेक्टर 11 में बैठकी होली के संयोजक सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि द्वितीय कुमाउनी बैठकी होली के इस आयोजन में रमेश उप्रेती ने युवा होलियारों की टोली ‘ टीम पंख्यारु ‘  के अन्य सदस्यों – डॉक्टर दीपक दत्त,  दीक्षा उप्रेती, नीतिका नेगी, गौरव बलूनी, अथर्व खण्डूरी,  शिवम   खुगसाल, संदीप जोशी – सभी गायन व भास्कर खुल्बै गिटार, प्रीतम सिंह नेगी ढोलक, तबले के साथ संगत कर के कार्यकृम का शानदार आग़ाज़ किया।

‘सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन’, ‘हाँ हाँ मोहन गिरधारी’ और ‘सैयां होली में लाना गुलाल’ को विशेष पसंद किया गया।

विशिष्ट अतिथियों में  साहित्यकार डॉ हरिसुमन बिष्ट, साहित्यकार एवं पत्रकार प्रदीप कुमार वेदवाल, डॉ संजीव कुमार, डॉ ओम प्रकाश प्रजापति, टीवी पत्रकार दिनेश कांडपाल, लेखक चंद्र सिंह रावत ‘स्वतंत्र ‘ एसपी चमोली, पूजा भट्ट, सरिता भट्ट जोशी, अंकिता जोशी, गणमान्य अथितियों ने होली के मधुर कार्यक्रम का भरपूर आनंद उठाया।

टीम पंख्यारु की प्रस्तुति के बाद पिता पुत्र की बेमिसाल जोड़ी प्रदीप चंद्र जोशी  एवं हल्द्वानी से पधारे उनके पिता वरिष्ठ होलियार नंदा बल्लभ जोशी  ने अपनी  गायन प्रतिभा से समस्त जन समूह को झूमने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम को अपनी गायकी से  उच्चतम   शिखर पर पहुँचाया निधि जोशी ने। तबले पर उनका बखूबी  साथ दिया  तबला वादक  चंद्रेश ने । दोनों की जोड़ी ने विभिन्न रागों जैसे  भैरवी, भूपाली, ठुमरी में  एक से बढ़कर एक पारम्परिक होली प्रस्तुतियों  से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उनकी प्रमुख होलियों में रही – ‘रंग डालूंगी नन्द के लालन पे’, ‘चतुर कन्हईया कही’, ‘आज सबको मुबारक हो ये शुभ घडी’, आदि ।

निधि जोशी  ने ‘मूर्छना’  का अपनी गायकी में बेहतरीन प्रयोग कर के होली गायन को चरम सीमा तक पहुंचा कर एक नया ही समां  बांध दिया। बीच बीच में महेश ने अपने संतुलित और सिद्ध गायन से सभी सुनने वालों को बांधे  रखने में सफलता पाई।